श्रीलंका पहला नहीं, पोलैंड में भी दो सगे भाई एक साथ रह चुके हैं राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री!
बंगलुरू। लोकतांत्रिक प्रणाली में श्रीलंका संभवतः दूसरा ऐसा देश बन गया है, जहां राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की कुर्सी पर दो सगे भाई बैठने जा रहे हैं। गत 16 नवंबर को चुनाव जीतने के बाद श्रीलंका के नए-नए राष्ट्रपति चुने गए गोटाबाया राजपक्षे ने नए संसदीय चुनाव तक अपने बड़े भाई महिंदा राजपक्षे श्रीलंका के अगला प्रधानमंत्री नामित किया है।
महिंदा राजपक्षे जल्द ही श्रीलंका के अगले प्रधानमंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारी संभाल लेंगे, जो महिंदा पूर्व श्रीलंकाई प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे का स्थान लेंगे। महिंदा अप्रैल, 2020 में श्रीलंका में होने वाले नए संसदीय चुनाव तक कार्यवाहक मंत्रिमंडल के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालेंगे।
गौरतलब है विपक्षी गोटाबाया राजपक्षे के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद पूर्व श्रीलंकाई प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने गत 20 नवंबर को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था ताकि राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे नए संसदीय चुनाव तक अपनी पसंद के प्रतिनिधियों व नई सरकार नियुक्त कर सकें।
रनिल विक्रमसिंघे के इस्तीफे के बाद ही श्रीलंकाई राष्ट्रपति गोटाबाया ने बड़े भाई महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री पद के लिए नामित किया है। रोचक तथ्य यह है कि महिंदा राजपक्षे वर्ष 2005 से 2015 तक यानी करीब एक दशक तक श्रीलंका के राष्ट्रपति पद पर रह चुके हैं।
हालांकि श्रीलंका के संविधान के अनुसार पूर्व श्रीलंकाई प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे अप्रैल, 2020 में होने वाले नए संसदीय चुनाव तक अपने पद पर रह सकते थे, लेकिन उन्हें अपनी पार्टी के दवाब के चलते इस्तीफा सौंपना पड़ा, क्योंकि श्रीलंका के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद तुरंत बाद गोटाबाया राजपक्षे ने यह कार्यवाहक मंत्रिमंडल का संकेत दे दिया था।
राष्ट्रपति चुने जाने के बाद जारी पहले बयान में गोटाबाया राजपक्षे ने कहा था कि वो नए संसदीय चुनाव तक 15 सदस्यीय कार्यवाहक मंत्रिमंडल की नियुक्ति करेगी। चूंकि नए राष्ट्रपति संसदीय चुनाव होने तक कार्यवाहक मंत्रिमंडल नियुक्त कर सकें, इसलिए रनिल विक्रमसिंघे मंत्रिमंडल के कई सदस्यों ने पहले ही इस्तीफा दे दिया था।
उल्लेखनीय है एक दशक पहले श्रीलंका में सक्रिय आतंकी संगठन लिट्टे के सफाए में श्रीलंका में चुने गए नए राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और प्रधानमंत्री पद के लिए नामित महिंदा राजपक्षे ने बड़ी भूमिका निभाई थी। वर्ष 2005 में जब महिंदा राजपक्षे श्रीलंका में पहली बार राष्ट्रपति चुन गए थे।
तब उन्होंने गोटाबाया को श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय में स्थायी रक्षा सचिव नियुक्त किया था। 1971 में सेना में हुए भर्ती हुए सैन्यकर्मी गोटाबाया के नेतृत्व में ही श्रीलंका में लिट्टे के खिलाफ सैन्य अभियान चलाया गया था। माना जाता है कि दोनों सगे भाइयों के चीन से काफी करीबी रिश्ते हैं।
वैसे, श्रीलंका पहला देश नहीं है, जहां दो सगे भाई देश के शीर्ष पदों पर एक साथ पहुंचे हैं। इससे पहले यूरोपियन देश पोलैंड में भी 10 जुलाई, 2006 को पोलैंड के राष्ट्रपति लेच काज़िनस्की ने अपने जुड़वां भाई जारोस्लाव काज़िनस्की को प्रधानमंत्री नियुक्त किया था जब लॉ एंड जस्टिस पार्टी (PiS) पार्टी ने 25 सितंबर, 2005 के चुनावों में बहुमत से जीत हासिल करने के बाद गठबंधन सरकार का गठन किया था।
हालांकि लेच काज़िनस्की ने जुड़वा भाई जारोस्लाव काज़िनस्की को एक वर्ष बाद प्रधानमंत्री पद के लिए नामित किया था,क्योंकि जारोस्लाव ने पहले प्रधानमंत्री पद लेने से इसलिए इनकार कर दिया था, क्योंकि वह राष्ट्रपति पद के लिए अपने भाई के अभियान में बाधा नहीं डालना चाहते थे।
लेकिन जैसे ही लिच ने 23 अक्टूबर, 2005 को एक चुनाव में जीत दर्ज की, उसके एक साल से भी कम समय के बाद लेच ने जुड़वा भाई जारोस्लाव को प्रधानमंत्री पद के लिए नामित कर दिया ताकि सरकारी शक्ति उनके हाथ में रह सके।
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