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23 मई के नतीजों से पहले भाजपा के सहयोगियों में बढ़ा जीत को लेकर संदेह

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नई दिल्ली- अभी एक चरण का चुनाव होना बाकी ही है, लेकिन बीजेपी (BJP) की जीत को लेकर उसके सहयोगियों को ही संदेह नजर आने लगा है। एनडीए के कुछ नेता अब भरोसे के साथ ये कहने को तैयार नहीं हो रहे हैं कि 2014 की तरह नरेंद्र मोदी इस बार भी अपने दम पर जादुई आंकड़ा पार करने में सफल हो जाएंगे।

अकाली दल को संदेह

अकाली दल को संदेह

शिरोमणि अकाली दल (SAD) के नेता नरेश गुजराल (Naresh Gujral) ने हाल ही में एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा है कि लोकसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलेगा। अलबत्ता उन्होंने ये जरूर जोड़ा कि एनडीए (NDA) को पूर्ण बहुमत मिलेगा और वह अपने दम पर सरकार बनाने में कामयाब होगी। खुद को यथार्थवादी बताते हुए उन्होंने संभावना जताई कि बीजेपी अपने दम पर पूर्ण बहुमत से थोड़ा पीछे रह जाएगी, लेकिन एनडीए (NDA) को इतनी सीटें जरूर मिल जाएंगी, जितने से वो गठबंधन की पूर्ण बहुमत वाली एक मजबूत सरकार बना सके। गौरतलब है कि शिरोमणि अकाली दल (SAD) बीजेपी की सबसे पुरानी और भरोसेमंद सहयोगी मानी जाती है।

जेडीयू ने भी जताई है आशंका

जेडीयू ने भी जताई है आशंका

जेडीयू (JDU) नेता के सी त्यागी (K C Tyagi) पहले ही ये बात कह चुके हैं कि बीजेपी को इसबार 2014 जितनी सीटें मिलने की उम्मीद नहीं है। हालांकि, उन्होंने ये नहीं कहा कि उसे बहुमत नहीं मिलेगा। वैसे उन्हीं की पार्टी के एक और नेता गुलाम रसूल बलयावी (Gulam Rasool Balyavi) इससे कई कदम जाकर ये तक कह चुके हैं कि एनडीए (NDA) को भी इस बार पूर्ण बहुमत मिलने की उम्मीद नहीं है। इसके लिए वह एक सुझाव भी दे चुके हैं कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को एनडीए के प्रधानमंत्री के चेहरे के तौर पर पेश किया जाना चाहिए। शायद उनका ये मानना है कि बिहार के मुख्यमंत्री के चेहरे पर अगर जरूरत पड़ी, तो कुछ और सहयोगियों को एनडीए (NDA) के साथ जोड़ा जा सकता है।

अठावले ने भी सीटें कम होने का जताया अनुमान

अठावले ने भी सीटें कम होने का जताया अनुमान

जी न्यूज की खबर के मुताबिक केंद्रीय मंत्री और आरपीआई (RPI) नेता रामदास अठावले (Ramdas Athawale) ने भी कहा है कि महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में बीजेपी को इसबार 2014 के मुकाबले कम सीटें मिलेंगी। उनके मुताबिक यूपी में बसपा-सपा के बीच गठबंधन के चलते भाजपा को 10 से 15 सीटों का नुकसान हो सकता है। वहीं महाराष्ट्र में भी उन्होंने बीजेपी की 5 से 6 सीटें घटने की आशंका जताई है। अलबत्ता उन्होंने ये भी दावा किया है कि इन दोनों राज्यों में होने वाले नुकसान की भरपाई बीजेपी पश्चिम बंगाल और ओडिशा में कई सीटें जीतकर करेगी और नरेंद्र मोदी एक बार फिर से प्रधानमंत्री बनेंगे। इस बीच महाराष्ट्र बीजेपी के नेता केशव उपाध्याय ने महाराष्ट्र के लिए अठावले (Ramdas Athawale) के अनुमानों को नकारते हुए दावा किया है, उनकी पार्टी राज्य में 2014 से भी ज्यादा सीटें जीतने जा रही है।

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राम माधव भी जता चुके हैं संदेह

राम माधव भी जता चुके हैं संदेह

बीजेपी को अपने दम पर पूर्ण बहुमत आने को लेकर सबसे पहले बीजेपी के अंदर से ही आशंका जताई जा चुकी है। पार्टी महासचिव राम माधव (Ram Madhav) कह चुके हैं कि पार्टी मैजिक फिगर (Magic Figure) को छूने में नाकाम रह सकती है। इसके बाद सत्ताधारी दल के भीतर इस चर्चा ने भी जोर पकड़ना शुरू कर दिया था कि कहीं 23 तारीख के बाद उसे कुछ और सहयोगियों की जरूरत न पड़ जाए।

शिवसेना को भी है संदेह

शिवसेना को भी है संदेह

गौर करने लायक बात ये है कि जब राम माधव के बयान पर सत्ताधारी गठबंधन के अंदर घमासान मचा हुआ था, तभी एनडीए की एक और सहयोगी शिवसेना (Shiv Sena) ने भी उनकी बात से सहमति जता दी थी। शिवसेना (Shiv Sena) नेता संजय राउत (Sanjay Raut) ने एक चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि, "उनका (राम माधव) का बयान सही लगता है। देश में अभी मैं भी ऐसा ही महसूस कर रहा हूं। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सरकार बनेगी और बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी होगी। लेकिन, बीजेपी के लिए 280 प्लस (280 Plus) जीतना थोड़ा मुश्किल लग रहा है।" उनके मुताबिक देशभर में विपक्षी गठबंधन की वजह से बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिलने में दिक्कत होगी। उन्होंने कहा, "हमें विश्वास है कि नेशनल नेमोक्रेटिक अलायंस (NDA)300 के आंकड़े को पार करेगा, लेकिन बीजेपी की सीटें कम होंगी।"

बीजेपी के सहयोगियों की टीस!

बीजेपी के सहयोगियों की टीस!

2014 में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एनडीए की सरकार बनी थी। लेकिन, बीजेपी के पास पूर्ण बहुमत होने के कारण सहयोगियों को मोदी पर दबाव बनाना आसान नहीं था। अगर बीजेपी को सरकार बनाने के लिए इसबार अगर सहयोगियों पर निर्भर होना पड़ा, तो कहानी में ट्विस्ट आना निश्चित है, जिसके संकेत मिल भी रहे हैं। अलबत्ता प्रधानमंत्री पद को लेकर बीजेपी न भी माने, लेकिन प्रमुख मंत्रालयों की चाबी अपनी मुट्ठी में रखने का दबाव सहयोगी दल जरूर बना सकते हैं। सतीश गुजराल ने इसका संकेत भी ये कहकर दे दिया है कि उनकी पार्टी किसानों का प्रतिनिधित्व करती है, इसलिए वह एग्रीकल्चर से जुड़ी पोर्टिफोलियो (Portifolios) की मांग कर सकती है।

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English summary
NDA partners doubt BJP will get majority on its own
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