स्टिंग केस में पूर्व CM हरीश रावत को झटका, हाईकोर्ट ने CBI को दी FIR दर्ज करने की छूट
नैनीताल। स्टिंग मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ सीबीआई को एफआईआर दर्ज करने की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने कहा है कि सीबीआई जांच शुरू कर सकती है लेकिन कोर्ट के अंतिम फैसले तक हरीश रावत को गिरफ्तार नहीं कर सकती। मामले की अगली सुनवाई एक नवंबर को होगी। हाईकोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग मामले में आज सुनवाई हुई। पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने हरीश रावत की ओर से पैरवी की।
हाईकोर्ट में जस्टिस सुंधाशु धूलिया की बेंच ने सुनवाई के बाद सीबीआई से कहा है कि उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने या कोई और कार्रवाई करने की छूट है। लेकिन इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि 31 मार्च, 2016 का मामला जिसमें राज्यपाल द्वारा सीबीआई जांच की संस्तुति और 15 मई को सीबीआई जांच को एसआईटी में बदलने संबंधी केस गया उसके अन्तिम निर्णय पर निर्भर रहेंगे। कोर्ट इस मामले में एक नवंबर को सुनवाई करेगी।
Nainital High Court allows Central Bureau of Investigation (CBI) to register FIR against former Uttarakhand CM Harish Rawat, in 2016 sting video case. Court said that CBI can initiate inquiry but the agency can not arrest Rawat until the final judgement of the court. (File pic) pic.twitter.com/HrtW96Hd14
— ANI (@ANI) September 30, 2019
हरीश रावत के वकील देव दत्त कामत ने बताया कि, सुनवाई की अगली तारीख 1 नवंबर है। सीबीआई द्वारा किसी भी प्राथमिकी के पंजीकरण सहित कोई कार्रवाई रिट याचिका में अंतिम निर्णय के अधीन होगी। सरकार व सीबीआई की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल राकेश थपलियाल ने पैरवी की। कोर्ट के समक्ष सीबीआई ने प्रारंभिक जांच की सीलबंद रिपोर्ट पेश की। सीबीआई के वकील थपलियाल ने कहा कि जिस व्यक्ति (हरीश रावत) पर आरोप हैं। उसे ही अपने खिलाफ कौन सी एजेंसी जांच करेगी यह तय करने का अधिकार नहीं हो सकता। सिब्बल ने इस मामले में गहरी साजिश का आरोप लगाते हुए कहा कि रविवार के दिन सीडी की प्रामाणिकता को लेकर चंडीगढ़ लैब से रिपोर्ट आना इसका प्रमाण है।
बता दें कि 2016 में विधायकों की खरीद-फ़रोख्त के आरोप में किए गए एक स्टिंग में केन्द्र सरकार ने 2 अप्रैल, 2016 को राज्यपाल की मंजूरी के बाद सीबीआई जांच शुरु की थी। इधर राज्य में कांग्रेस सरकार की बहाली हो गई और सरकार ने कैबिनेट बैठक में सीबीआई जांच को निरस्त कर मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया। इसके बाद भी सीबीआई ने जांच जारी रखी और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को जांच के लिए 9 अप्रैल, 2016 को समन भेजा।
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