मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कोरोना के इलाज में बन सकता है 'गेम चेंजर', एक्सपर्ट ने कॉकटेल ड्रग को लेकर किया ये दावा
मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कोरोना के इलाज में बन सकता है 'गेम चेंजर', एक्सपर्ट ने कॉकटेल ड्रग को लेकर किया ये दावा
नई दिल्ली, 31 मई: कोरोना वायरस के खिलाफ भारत में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी (कॉकटेल ड्रग) का इस्तेमाल शुरू हो गया है। भारत सरकार ने हाल ही में इस के दवा के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी है। दावा किया गया है कि मोनोक्लोनल एंटीबॉडी भारत में फैले कोरोना वैरिएंट B.1.617 पर प्रभावी है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जब कोविड-19 संक्रमित थे तो उन्हें यही दवा दी गई थी। अब मोनोक्लोनल एंटीबॉडी को लेकर रविवार (30 मई) को मेदांता अस्पताल में इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर ट्रांसप्लांट एंड रीजनरेटिव मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ. अरविंदर एस सोइन ने कहा कि भारत में उचित मूल्य पर मोनोक्लोनल एंटीबॉडी दवा का उत्पादन कोरोना के खिलाफ लड़ाई में देश के लिए "गेम चेंजर" हो सकता है।
डॉ, सोइन ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा, "यदि ये (मोनोक्लोनल एंटीबॉडी दवा) उचित मूल्य पर बड़ी मात्रा में देश में बनाई जाती है तो मोनोक्लोनल एंटीबॉडी भारत और दुनिया के लिए और विशेष रूप से उच्च जोखिम वाले बुजुर्ग रोगियों और बच्चों के लिए एक गेम चेंजर हो सकती है। साल का एक समय आ सकता है जब पॉजिटिव पाए जाने वाले किसी व्यक्ति में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी हो सकते हैं, और गंभीर बीमारी से बचने के लिए, हमें इसे जल्दी अपनाना चाहिए।''
डॉ सोइन ने कहा कि अमेरिका के पास अब 3 मोनोक्लोनल एंटीबॉडी दवाएं हैं, जिसका फायदा उन्हें साफतौर पर मिल रहा है। इसलिए हमें भी जल्दी ही इसे शुरू करना चाहिए। मोनोक्लोनल एंटीबॉडी व्हाइट ब्लड सेल से बनता है और कोरोना के इलाज में यह असरदार हो रहा है।
उन्होंने कहा कि वायरल स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ मोनोक्लोनल एंटीबॉडी के रूप में तीन विशिष्ट दवाएं हैं, जिन्हें अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) द्वारा मंजूर किया गया है और एक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी दवा को भारत में मंजूर किया गया है।
उन्होंने कहा, यदि कोरोना परीक्षण के बाद पॉजिटिव आते ही तुरंत बाद अगर इस दवा को पहले हफ्ते में दिया जाए तो ये कोविड के संक्रमण को खत्म कर सकता है। इसलिए ये गंभीर बीमारी और मौतों को रोक सकता है। ये संक्रमित मरीजों को घर पर भी जल्दी मुहैया कराया जाए तो काफी फायेदमंद होगा।
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ड्रग कॉकटेल के बारे में बताते हुए डॉ सोइन ने कहा, " पहला कासिरिविमैब और इम्देवीमैब का मिश्रण है, जो भारत में फिलहाल उपलब्ध है। 20,000 से अधिक रोगियों में इसका परीक्षण किया गया है और यह अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु को रोकने में 70 प्रतिशत प्रभावी है। हल्के से मध्यम लक्षणों वाले मरीजों को कासिरिविमैब और इम्देवीमैब का मिश्रण दिया जाता है। इसी तरह दो और कॉकटेल है, जो बामलानिविनाब और एटेसेविमैब का मिश्रण है, जो 70 फीसदी असरदार है। वहीं नया वाला कॉकटेल सोट्रोविमैब गंभीर बीमारी को रोकने में 85 प्रतिशत प्रभावी है, अगर इसे जल्दी जिया जाए तो।''