क्या AIIB है चाइनीज बैंक, मोदी सरकार ने जिससे लिया है 9000 करोड़ का कर्ज ?
नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर तनाव जारी है। इसी तनाव के बीच केंद्र सरकार की तरफ से सदन को जानकारी दी गई है कि उसने चीन के मालिकाना हक वाले बैंक से दो लोन लिए हैं। ये लोन 9000 करोड़ रुपए से ज्यादा के हैं और सरकार ने बीजिंग स्थित एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी) से यह कर्ज लिया है। चीन मामलों के जानकारों की मानें तो एआईआईबी को चीनी बैंक कहना गलत है। यह एक बहुपक्षीय बैंक है और भारत इसमें दूसरा सबसे बड़ा शेयरहोल्डर है।
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UN ने किया है लॉन्च
एशियन इनफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट बैंक यानी AIIB को आप एशिया का वर्ल्ड बैंक कह सकते हैं। इस बैंक में वर्तमान समय में 103 सदस्य हैं और आने वाले समय में 21 और सदस्यों को शामिल किया जा सकता है। 25 दिसंबर 2015 को यूनाइटेड नेशंस (यूएन) की तरफ से इस बैंक को लॉन्च किया गया था। 10 सदस्य देशों की तरफ से 50 प्रतिशत तक की धनराशि देने के बाद इसे मंजूरी मिली थी। यूएन ने बैंक को लॉन्च करते समय कहा था कि एआईआईबी, एशिया में वित्तीय विकास को आगे बढ़ाएगा। शुरुआत में बैंक को 100 बिलियन डॉलर की पूंजी के साथ शुरू किया गया था। यह पूंजी एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) और वर्ल्ड बैंक की पूंजी का दो तिहाई है।
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फ्रांस, जर्मनी और UK भी शामिल
बैंक का प्रस्ताव साल 2013 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तरफ से दिया गया था और अक्टूबर 2014 में बीजिंग में हुए एक कार्यक्रम में इसकी शुरुआत हुई थी। इस बैंक के शेयरहोल्डर्स में फ्रांस, जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम (यूके) भी शामिल हैं। विशेषज्ञों की मानें तो एक बहुपक्षीय बैंक से कर्ज लेना और बॉर्डर पर चीन के साथ तनाव दोनों अलग-अलग बातें हैं, इनका आपस में कोई-लेना देना नहीं है। बुधवार को वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर की तरफ से सदन को बताया गया है कि कोरोना वायरस महामारी से जूझने के लिए सरकार ने यह कर्ज चीन से लिया है। भारत इस बैंक के साथ फाउंडिंग मेंबर के तौर पर जुड़ा है। कुछ लोग इस बैंक को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की तरह भी करार देते हैं।
भारत ने निवेश किए हैं 8.7 बिलियन डॉलर
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में पीएमओ के मीडिया सलाहकार रहे कंचन गुप्ता ने ट्वीट कर बताया कि भारत के इस बैंक में करीब 8.4 बिलियन डॉलर के साथ निवेश किया था और 8.7 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। भारत ने जो कर्ज कोविड-19 के लिए लिया है वह 1.3 बिलियन डॉलर का है। बैंक का हेडक्वार्टर जरूर चीन की राजधानी बीजिंग में है मगर इसे चाइनीज बैंक कहना गलत है। चीन की हिस्सेदारी बैंक में 26 प्रतिशत है लेकिन बैंक की बाकी की हिस्सेदारी पर 100 से ज्यादा देशों का अधिकार है। भारत दूसरा सबसे बड़ा शेयरहोल्डर है इसलिए वह रकम लेने का अधिकारी है। बैंक के बोर्ड में भारत के वित्त मंत्री भी शामिल हैं।
गुजरात कैडर के IAS बैंक के मैनेजमेंट का हिस्सा
गुजरात कैडर के आईएएस ऑफिसर और गुजरात के मुख्य सचिव रह चुके डीजे पांडियान, बैंक के साथ बतौर चीफ इनवेस्टमेंट ऑफिसर जुड़े हैं। फरवरी 2016 में उन्हें इस पद पर नियुक्त किया गया था। बैंक के मैनेजमेंट में पांडियान के अलावा चीन के जिन लिकुआन इसके प्रेसीडेंट के तौर पर यूके के डैनी एलेक्जेंडर वाइस प्रेसीडेंट और कॉरपोरेट सेक्रेटरी के तौर पर, रूस के कोनस्टांटिन लिमितोवस्की वाइस प्रेसीडेंट इनवेस्टमेंट ऑपरेशंस, जर्मनी के जोआशिम वोन एम्सबर्ग, पॉलिसी और स्ट्रैटेजी वाइस प्रेसीडेंट, इंडोनेशिया के लकी एको वुरयांतो चीफ एडमिनिस्ट्रेशन ऑफिसर, न्यूजीलैंड के गेरार्ड सैंडर्स जनरल काउंसल और यूके के एंड्रयू क्रॉस चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर के तौर पर जुड़े हैं।