राजघाट के करीब बनेगा अटल बिहारी वाजपेयी का समाधि स्थल, UPA सरकार का कानून बदलेगी मोदी सरकार
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नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद, भारतीय राजनीति में उनके योगदान को देखते हुए एनडीए सरकार ने अटल जी की समाधि स्थल बनाने का फैसला लिया है। दिल्ली राजघाट के करीब यमुना नदी किनारे इस समाधि स्थल का निर्माण कराया जाएगा। गौर करने वाली बात यह है कि वर्ष 2013 में यूपी सरकार ने एक कानून पास किया था जिसके अनुसार पूर्व प्रधानमंत्री का राष्ट्रीय समिति या मेमोरियल बनाने पर पाबंदी लगा दी थी। यह पाबंदी उन प्रधानमंत्री पर लागू होगी जिनका खुद का अपना समाधि स्थल नहीं है।
कई दिग्गजों का है समाधि स्थल
लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद उनके समाधि स्थल के लिए एनडीए सरकार यूपीए सरकार के कानून को बदलेगी। सूत्रों का कहना है कि इस कानून को अगली कैबिनेट की बैठक में बदल दिया जाएगा। आपको बता दें कि राजघाट पर महात्मा गांधी के समाधि स्थल के अलावा , 8 पूर्व प्रधानमंत्री , दो पूर्व राष्ट्रपति और दो पूर्व उपप्रधानमंत्री का समाधि स्थल है। जवाहर लाल नेहरू के समाधि स्थल को शांति वन, इंदिरा गांधी के समाधि स्थल को शक्ति स्थल, लाल बहादुर शास्त्री के समाधि स्थल को विजय घाट, चौधरी चरण सिंह के समाधि स्थल को किसान घाट के नाम से जाना जाता है।
शाम 4 बजे अंतिम विदाई
वहीं दो पूर्व राष्ट्रपति ग्यानी जैल सिंह और शंकर दयाल शर्मा दो पूर्व उपप्रधानमंत्री जगजीवन राम और देवी लाल का भी नई दिल्ली में समाधि स्थल है। आपको बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी 1996, 1998, 2004 में देश के प्रधानमंत्री रहे हैं, उनका गुरुवार को दिल्ली के एम्स में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था। अटल बिहारी वाजपेयी की अंतिम यात्रा की तैयारी चल रही है और शाम को 4 बजे उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी।
जेल भी गए थे अटल जी
गौरतलब है कि अटल बिहारी वाजपेयी क जन्म क्रिसमस डे पर 1924 में हुआ था। उन्होंने महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन में भी हिस्सा लिया था, युवावस्था में वाजपेयी और उनके भाई को जेल भी जाना पड़ा था। इसके बाद वह आरएसएस में शामिल हो गए। 1957 में वह पहली बार दूसरी लोकसभा में उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से चुनकर आए थे। वह 10 बार लोकसभा सांसद रहे और दो बार राज्यसभा सांसद रहे। 1996 में वह हपहली बार भाजपा के नेता के तौर पर देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन 13 दिन के भीतर उनकी सरकार गिर गई थी। इसके बाद 1998 में एक बार फिर से वह चुनाव जीतकर एनडीए के नेता चुने गए और प्रधानमंत्री बने।
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