महाराष्ट्र विधानसभा में विधायकों को मुख्यमंत्री और सरकार के बिना क्यों दिलाई गई शपथ, जानिए वजह
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नई दिल्ली। महाराष्ट्र में पिछले एक महीने से चल रहे राजनीतिक ड्रामें के बाद बुधवार को 14वीं विधानसभा के सदस्यों को उनके पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई गई। इस बार का सत्र खास है क्योंकि जब विधायकों को शपथ दिलाई जा रही थी तो उस समय तक न तो राज्य में सरकार का गठन हुआ है और न ही मुख्यमंत्री ने अपना पद संभाला है। सदियों से चली आ रही परंपरा 14वीं विधानसभा में टूट गई, राज्य विधानभवन के प्रभारी सचिव राजेंद्र भागवत ने इसके पीछे की वजह के बारे में बताया है।
फ्लोर टेस्ट से पहले ही अजित पवार ने दिया इस्तीफा
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद फ्लोर टेस्ट से पहले ही पूर्व डिप्टी सीएम अजित पवार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। अजित के कुछ समय बाद ही देवेंद्र फडणवीस को ने भी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, फडणवीस ने बताया कि उनके पास संख्याबल न होने की वजह से इस्तीफा देना पड़ रहा है। महाराष्ट्र में इस उलटफेर के बाद शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के लिए सरकार गठन करने का रास्ता साफ हो गया और उद्धव ठाकरे प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में चुने गए हैं। वह गुरुवार को सीएम पद पर शपथग्रहण करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के चलते हुआ शपथ ग्रहण
14वीं विधानसभा में सीएम के बिना ही कार्यवाहक अध्यक्ष कालीदास कोलांबर ने 288 सदस्यों के शपथ दिलाई, इससे पहले मंगलवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कोलांबर को विधानसभा का कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त किया और उन्हें शपथ दिलाई थी। राज्य विधानभवन के प्रभारी सचिव राजेंद्र भागवत ने कहा कि ऐसा पहली बार हो रहा है जब विधायकों को बिना सरकार गठन हुए शपथ दिलाई जा रही है। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के चलते शपथ ग्रहण समारोह कराना हमाने लिए अनिवार्य हो गया था।
मुख्यमंत्री की शपथ के बाद होगा शुरू होगा काम
भागवत ने बताया कि, सभी विधायकों को शपथ के बाद बिना मुख्यमंत्री और सरकार गठन के काम करना होगा। मुख्यमंत्री के शपथ के लेने के बाद मंत्रिमंडल का गठन करना होगा तब तक सभी सदस्यों को बिना मंत्रिमंडल के ही अपने पद पर रहते हुए कर्तव्यों का निर्वहन करना होगा। भागवत ने आगे बताया कि अगले पूर्ण सत्र का कार्यक्रम मंत्रिमंडल की पहली बैठक में तय किया जाएगा और शक्ति परिक्षण भी उसी सत्र में किया जाएगा। बता दें कि, शपथ ग्रहण की शुरूवात देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार, छगन भुजबल, अशोक चव्हाण से हुई।
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