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10 साल पहले लापता हुआ 'अमन' निकला 'मोहम्मद आमिर', Aadhar Card ने परिवार से मिलवाया

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नागपुर, 10 जुलाई। बॉलीवुड फिल्मों में आप सभी ने देखा होगा कि बचपन में खोए हुए बच्चे के जवान होने पर मां उसके शरीर में बने किसी निशानी से पहचान पाती है। इस तरह फिल्मों में अधूरा परिवार पूरा होता और हैप्पी एंडिंग हो जाती है। हालांकि रियल लाइफ में ऐसा बहुत कम ही देखने को मिला है लेकिन हाल ही में महाराष्ट्र से ऐसा ही एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां 10 साल पहले घर से लापता हुआ एक लड़का 'आधार कार्ड' के जरिए अपने असली परिवार वालों से मिल पाने में सफल हुआ है।

आधार कार्ड से पता चला लड़के का असली घर

आधार कार्ड से पता चला लड़के का असली घर

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मानसिक रूप से बीमार 18 साल का युवक साल 2011 में मध्य प्रदेश के जबलपुर से आठ साल की उम्र में लापता हो गया था। इस दौरान वह महाराष्ट्र पहुंच गया और नागपुर में रहने लगा। इधर उसके घरवाले और पुलिस ने लड़के को खोजने के लिए जमीन-आसमान एक कर दिया लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला। कुछ दिनों पहले ही आधार कार्ड की डिटेल्स के जरिए उसके नामगपुर में होने के पता चला जिसके बाद वह अपने परिवार से मिल सका।

2011 में लापता हुआ था लड़का

2011 में लापता हुआ था लड़का

एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि 2011 में उनके लापता होने से पहले युवक के परिवार के सदस्यों ने उसका आधार पंजीकरण कराया था। आधार कार्ड की मदद के जरिए ही लड़के का पता लगाने में कामयाबी मिली। वहीं, 2015 में बंद होने से पहले तक नागपुर के पंचशील नगर में एक अनाथालय चलाने वाले समर्थ दामले ने कहा कि 30 जून को लापता युवक को उसके असली माता-पिता को सौंप दिया गया, जिन्होंने परिवार के सदस्य के रूप में इतने वर्षों तक उसकी देखभाल की।

पुलिस को रेलवे स्टेशन पर मिला

पुलिस को रेलवे स्टेशन पर मिला

समर्थ दामले ने बताया कि लड़का रेलवे स्टेशन पर पाया गया था जब वह लगभग आठ साल का था। पुलिस उसे उनते अनाथालय में ले आई। उन्होंने कहा, 'लड़के की मानसिह स्थिति ठीक नहीं थी, वह ठीक से बोल भी नहीं पा रहा था। हमने उसका नाम अमन रखा क्योंकि वह केवल 'अम्मा अम्मा' बोल सकता था। वह अनाथालय बंद होने तक यानी 2015 तक यहां रहा, इसके बाद उसके रहने का कोई ठिकाना नहीं रहा तो उसे हम अपने घर ले आए।'

आधार कार्ड में नहीं हो रहा था रजिस्ट्रेशन

आधार कार्ड में नहीं हो रहा था रजिस्ट्रेशन

दामले ने आगे कहा, 'वह हमारे साथ परिवार के सदस्य के रूप में रह रहा था, मेरी एक बेटी और बेटा भी हैं। बाद में अमन का दाखिला हमने एक स्थानीय स्कूल में कराया, जहां उसने 10वीं कक्षा तक पढ़ाई की। स्कूल को उसके आधार कार्ड के विवरण की आवश्यकता थी, तो मैं उसका आधार कार्ड बनवाने के लिए सेंटर पहुंचा। लेकिन बायोमेट्रिक जानकारी पहले से ही फीड होने की वजह से उसका नया आधार कार्ड नहीं बन सका।'

'अमन' का असली नाम है मोहम्मद आमिर

'अमन' का असली नाम है मोहम्मद आमिर

दामले ने बताया, 'उसके बाद यूआईडीएआई केंद्र प्रबंधक ने हमें बताया कि अमन का रिकॉर्ड पहले से ही यूआईडीएआई में दर्ज है और उसका असली नाम 'मोहम्मद आमिर' है। अमन उर्फ आमिर का असली नाम और पता चलने के बाद उसके परिवार से संपर्क किया गया।' पीटीआई से बात करते हुए यूआईडीएआई केंद्र प्रबंधक अनिल मराठे कहा कि दामले ने 3 जून को अमन के आधार पंजीकरण के लिए उनके कार्यालय से संपर्क किया था।

जबलपुर में है मोहम्मद आमिर का घर

जबलपुर में है मोहम्मद आमिर का घर

अनिल मराठे ने बताया, 'हमने कई बार 'अमन' नाम दर्ज करने की कोशिश की, लेकिन बायोमेट्रिक समस्या के कारण ऐसा नहीं हो रहा था। इसलिए, UIDAI के बेंगलुरु में तकनीकी केंद्र और मुंबई में क्षेत्रीय कार्यालय की मदद से हम लड़के का बायोमेट्रिक विवरण के आधार पर उसका आधार विवरण प्राप्त करने में सफल रहे। उन्होंने कहा कि यह पाया गया कि युवक आधार पंजीकरण 2011 में जबलपुर में हुआ था और उनका असली नाम मोहम्मद आमिर था।' मराठे ने कहा, अमन और मोहम्मद आमिर की तस्वीरें भी मेल खाती थीं।

यह भी पढ़ें: नहीं होगा स्पूतनिक लाइट का तीसरे चरण का ट्रायल, केवल रूसी सुरक्षा डेटा के आधार पर मिलेगा अप्रूवल- डॉ रेड्डीज

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English summary
Mentally ill boy who went missing 10 years ago met family through Aadhar card
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