Renani Jewellers Diamonds के इस्तेमाल से बना विश्व कीर्तिमान धारक, एक घड़ी पर जड़े 17 हजार से अधिक हीरे
भारत के जौहरी ने अपनी कला का कमाल दिखाते हुए विश्व कीर्तिमान बनाया है। उत्तर प्रदेश के मेरठ में जौहरी रेनानी ज्वैलर्स ने एक घड़ी पर जड़े 17 हजार से अधिक हीरे। जानिए कामयाबी की कहानी
Renani Jewellers Diamonds जड़ित घड़ी बनाने के मामले में कमाल के हुनरबाज साबित हुए हैं। हिंदुस्तानी कलाकारों का हुनर इतना कमाल का है, कि भारत का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गया है। दरअसल, भारत के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में मेरठ में रेनानी ज्वेलर्स अपनी कला को तराशने का काम करते हैं। कमाल के जौहरी रेनानी ने 17 हजार से अधिक हीरे, एक रिस्ट वॉच पर जड़ दिखाए।
पूरी दुनिया में अद्वितीय कला
भारत की कला यूं तो किसी परिचय की मोहताज नहीं, लेकिन जब कोई जौहरी 17 हजार से अधिक हीरों का उपयोग करके घड़ी की डिजाइन तैयार करे तो बात पूरी दुनिया में अद्वितीय बन जाती है। बात इतनी खास हो जाती है कि कला के कद्रदान जब हीरे की परख करने वाले जौहरी की परीक्षा लेते हैं तो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स का खिताब मिल जाता है।
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने में कामयाबी
दरअसल, भारत के जौहरी रेनानी ज्वेलर्स ने एक घड़ी पर सबसे अधिक हीरे जड़ने का नया गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने में कामयाबी पाई है। मेरठ के रेनानी ज्वेल्स ने 17,524 हीरों को एक रिस्ट वॉच पर फिक्स कर दिखाया। इसमें 17,512 सफेद और 12 काले हीरे हैं।
रत्न जड़ित हीरे से बना नया कीर्तिमान
रिपोर्ट के मुताबिक गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड (GWR) ने मंगलवार को बताया कि उत्तर प्रदेश के मेरठ में रेनानी ज्वैलर्स ने तमाम कलाकारों को चौंका दिया। इनकी कला देखने के बाद यही लगता है कि रत्न को घड़ी पर जड़ने के कई शौकीन देखे होंगे लेकिन 29 दिसंबर, 2022 को नया कीर्तिमान कायम हुआ वह भी भारतीय हुनरबाजों ने किया। इसलिए इस उपलब्धि को सेलिब्रेट करने का मौका खास है।
सौभाग्य की घड़ी
घड़ी की बनावट उतनी ही अनूठी है जितनी उस पर लगे हीरों की संख्या। एक बार घड़ी का डिजाइन हाथ से तैयार किया गया। स्केच को अंतिम रूप देने के बाद कंप्यूटर-एडेड-डिज़ाइन के रूप में 3डी में फिर से बनाया गया। इसके बाद फिर प्रिंट किया गया। प्रिंट के बाद हीरों को एक-एक करके कलाई घड़ी पर जड़ा गया। इस बेमिसाल कलाकृति के बारे में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड (GWR) ने कहा कि घड़ी को उसका मनचाहा रूप देने के लिए पांच अलग-अलग तरीकों से पॉलिशिंग की गई। जौहरी ने घड़ी का नाम श्रींकिया रखा जिसका अर्थ है सौभाग्य की घड़ी।
असंभव को संभव कर दिखाने वाली तकनीक
रेनानी ज्वेल्स के संस्थापक और सीईओ हर्षित बंसल के अनुसार, प्राचीन भारतीय पौराणिक कथाओं से प्रेरित, श्रींकिया का अर्थ है फूल और धन। इसे सौभाग्य की देवी माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। बंसल ने कहा, मुझे विश्वास है कि यह तकनीक असंभव को संभव कर दिखाने में कारगर साबित होगी। उन्होंने कहा, हमने और पूरी टीम ने महीनों तक कड़ी मेहनत की। इस घड़ी को बहुत जुनून के साथ बनाया गया। बकौल बंसल जीवन में हमेशा नई चुनौतियों की तलाश करनी चाहिए। उन्होंने रेनानी की भावी योजना के बारे में कहा कि ऐसी नई तकनीकों की प्रतीक्षा कर रहे हैं जिसकी मदद से आभूषण बनाने के पारंपरिक तरीकों के साथ मिलाया जा सके।
नीचे देखें श्रींकिया घड़ी की वीडियो--
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घड़ी में वास्तविक हीरों का ही उपयोग
हीरों को अंतरराष्ट्रीय जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट लैब सर्टिफिकेट द्वारा प्रमाणित किया गया था। ऐसा इसलिए किया गया जिससे यह निर्धारित किया जा सके कि घड़ी में वास्तविक हीरों का ही उपयोग किया गया था। रिकॉर्ड के लिए संख्या को सत्यापित करने के लिए, प्रत्येक हीरे को एक आभूषण और हीरा विशेषज्ञ की उपस्थिति में गिना जाना था। GWR के दिशानिर्देशों के अनुसार, हीरे को किम्बरली प्रोसेस सर्टिफिकेशन स्कीम (KPCS) द्वारा प्रमाणित उत्पादकों से प्राप्त किया जाना था। KPCS "संघर्ष" वाले हीरों को मुख्यधारा के बाजार में प्रवेश करने से रोकता है।
चार साल पुराना कीर्तिमान ध्वस्त हुआ
रेनानी ज्वेल्स ने कहा कि रिकॉर्ड तोड़ने वाली घड़ी बनाने में मुख्य चुनौती एक ही रंग, आकार और स्पष्टता के साथ बड़ी मात्रा में हीरे की खोज करना था। जौहरी ने कहा कि पूरी की गई घड़ी का वजन 373.30 ग्राम (0.823 पाउंड) है और यह पहनने योग्य भी है। इस घड़ी ने दिसंबर 2018 में हांगकांग में हारून शुम ज्वेलरी लिमिटेड द्वारा 15,858 हीरों के साथ बनाए गए पिछले रिकॉर्ड को तोड़ दिया।
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