मायावती बोली, 'उपचुनाव में हार के बाद समय से पहले लोकसभा चुनाव कराने की तैयारी में BJP'
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चंडीगढ़। यूपी में हाल ही में हुई उपचुनावों में भाजपा को मिली करारी हार ऐसे किया कयास लगाए जा रहे हैं कि मोदी सरकार समय से पहले लोकसभा चुनाव करा सकती है। सुप्रीमो मायावती ने गुरुवार को चंडीगढ़ में एक विशाल रैली को संबोधित किया। मायावती ने चंडीगढ़ में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि उपचुनाव में हार के बाद भाजपा समय से पहले ही लोकसभा चुनाव करा सकती है। वह रैली में सपा और बसपा के बीच हाल ही में हुई गठबंधन पर बोली।
उपचुनाव में भाजपा को सबक सिखाया जाए
मायावती ने कहा कि, वह चाहती थीं कि इस उपचुनाव में भाजपा को सबक सिखाया जाए, इसी वजह से उन्होंने सपा से गठबंधन किया। रैली को संबोधित करते हुए मायावती ने केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार को‘तानाशाह' करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र में भाजपा की सरकार ने 1975 में लगाए गए आपातकाल को भी पीछे छोड़ दिया। सरकार ने लोकतंत्र को कमजोर करने और संवैधानिक संगठनों और मीडिया को प्रभावहीन बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
निशाने पर आई कांग्रेस और आप
उन्होंने कहा कि जब से केंद्र और देश के कई राज्यों में बीजेपी सरकार बनी है, तभी से आरएसएस के एजेंडे को लागू करने की कोशिश की जा रही है। दलित, मुस्लिम समेत गरीब तबकों का उत्पीड़न किया जा रहा है। मायावती कांग्रेस पर भी बरसी। कहा कि कांग्रेस ने मंडल कमीशन की रिपोर्ट को लागू नहीं किया था। बाद में बसपा के दबाव में वीपी सिंह सरकार ने इसे लागू किया था। बाबा भीमराव अंबेडकर को भारत रत्न भी वीपी सिंह सरकार में ही दिया गया। उन्होंने बिना नाम लिए आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि वह चाहती तो यूपी से मोटी धनराशि लेकर कई अमीरों को राज्यसभा भेज सकती थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
अगले चुनाव ईवीएम से कराने की बजाय बैलेट पेपर से कराए
मायावती ने बीजेपी को ललकारते हुए कहा कि पार्टी अगले चुनाव ईवीएम से कराने की बजाय बैलेट पेपर से कराए, पता चला जाएगा कि कौन किसके हक में है। यूपी विधानसभा चुनाव में धांधली हुई थी, इस बार ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। मायावती ने कहा कि आगामी विधानसभा और लोकसभा में अगर बीजेपी को शिकस्त दे दी तो समझो मेरा राज्यसभा सदस्य से इस्तीफा देना का बदला सूत समेत वापिस किया जाए। वैसे भी यूपी में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को बसपा और सपा ने मिलकर जो शिकस्त दी है, उससे सभी की नींद उड़ गई है। गौरतलब है कि पंजाब में 31 फीसदी और हरियाणा में 21 फीसदी से ज्यादा दलित रहते हैं। हालांकि बसपा पिछले लोकसभा और विधान सभा चुनावों के दौरान अपना वोट बैंक संभालने में नाकाम रही थी।