'MOM' कभी निराश नहीं करती: पीएम मोदी
बेंगलुरू। आज हमारे देश और इसरो ( इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन )के लिए काफी बड़ा दिन है। आज मंगलयान को इसरो के वैज्ञानिकों ने सफलतापूर्वक मंगल पर स्थापित कर दिया। इसके बाद पीएम मोदी ने इसरो में मौजूद सभी लोगों को दिल से बधाई देते हुए कहा कि आज देश के लिए ऐतिहासिक देश है। मोदी ने कहा कि इस मिशन का नाम मॉम था तो मैं बता दूं कि मॉम कभी निराश नहीं करती हैं।
आज मुझे फक्र हो रहा है कि जो काम नासा नहीं कर पाया वो हमने कर दिखाया। आज पूरे विश्व की निगाहें हम पर हैं, जिसकी वजह से आज देश के हर भारतीय का सीना फक्र से चौड़ा हो गया है। इस सफलतापूर्वक मिशन और ऐतिहासिक पल के पीछे हमारे देश के महान वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत है जिसकी जितनी तारीफ की जाये वो कम ही है।
'MOM' कभी निराश नहीं करती: पीएम मोदी
भारत पहली बार ये मुकाम हासिल करने वाला पहला देश बन गया है. इस यादगार दिन के गवाह देश के प्रधानमंत्री मोदी बने। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाने के लिए इसरो सेंटर में मौजूद थे।
What
is
red,
is
a
planet
and
is
the
focus
of
my
orbit?
pic.twitter.com/HDRWjOcPus
—
ISRO's
Mars
Orbiter
(@MarsOrbiter)
September
24,
2014
जैसे ही मंगलयान मिशन पूरा हुआ,वैसे ही एक मुस्कान इसरो में मौजूद हर वैज्ञानिक और पीएम मोदी के चेहरे पर फैल गई। मोदी ने तालियां बजा कर सबको बधाई दी और कहा कि आज का पल हर भारतीय के लिए गौरव वाला है।
Let
us
set
ourselves
for
even
more
challenging
goals
and
try
even
harder
to
achieve
them:
PM
Modi
#Mangalyaan
pic.twitter.com/4FXgK3XRnk
—
ANI
(@ANI_news)
September
24,
2014
मोदी ने कहा कि मैंने वैज्ञानिकों से कहा था कि वे असफलता की चिंता न करें, अगर हम असफल होते तो यह मेरी जिम्मेदारी होती. मोदी ने यहां एक कविता भी सुनाई- "विफल होते हैं तो आलोचना के शिकार होते हैं, सफल होते हैं तो ईष्या के शिकार होते हैं."
Let
us
set
ourselves
for
even
more
challenging
goals
and
try
even
harder
to
achieve
them:
PM
Modi
#Mangalyaan
pic.twitter.com/4FXgK3XRnk
—
ANI
(@ANI_news)
September
24,
2014
इसरो निदेशक अन्नादुरई ने कहा कि इस उपलब्धि के बाद भारत एशिया का ऐसा पहला देश बन गया है, जिसका अंतरिक्ष यान मंगल के प्रभाव क्षेत्र में पहुंचा हो। आपको बता दें कि 450 करोड़ रुपये की लागत वाले इस महत्वाकांक्षी अभियान की शुरुआत पांच नवंबर, 2013 को हुई थी। इंजन चालू करने के लिए लगभग 500 ग्राम तरल ईंधन खर्च हुआ। मालूम हो कि मंगलयान प्रोजेक्ट में हॉलीवुड फिल्म ग्रैविटी से भी कम पैसा लगा है। दुनिया में सिर्फ अमेरिका, रूस और यूरोपिय यूनियन ने अब तक मंगल पर अभियान कामयाबी से भेजे हैं। यानी भारत नंबर चार पर आ गया है।