रेलवे में बड़े सुधार की पहल, आधा होगा रेलवे बोर्ड का स्टाफ
दिल्ली स्थित रेल भवन में बहुत ऐसे अधिकारी हैं जो सालों से यहां जमे बैठे हैं। पीयूष गोयल ने वैसे अधिकारियों को जोनल ऑफिस में भेजने का फैसला किया है।
नई दिल्ली। जब से रेल मंत्रालय का जिम्मा पीयूष गोयल को मिला है तब से वो रेलवे की हालत सुधारने के लिए कड़े फैसले ले रहे हैं। रेल मंत्री पीयूष गोयल के नए फैसले के मुताबिक रेलवे बोर्ड में अधिकारियों की संख्या आधी की जाएगी। रेल मंत्री के इस आदेश के बाद रेलवे बोर्ड के उन अधिकारियों की शामत आ गई है जो लंबे समय से रेल मंत्रालय में बने बने हुए है और दिल्ली छोड़कर जाना नहीं चाहते हैं। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने रेलवे बोर्ड में कार्यरत वरिष्ठ अधिकारियों की संख्या को आधा करने का फैसला किया है। उन्होंने फरवरी के दूसरे सप्ताह तक उक्त 50 फीसदी अधिकारियों को रेलवे जोन और मंडल में तैनात करने को कहा है।
250 अधिकारियों को दिल्ली से बाहर जाना पड़ेगा
पीयूष गोयल के इस फैसले से कुल 500 अधिकारियों में से 250 अधिकारियों को दिल्ली से बाहर जाना पड़ेगा। इसमें 100 से अधिक अधिकारियों को दिल्ली के बाहर जाने का आदेश जारी किया जा चुका है। रेल मंत्रलय के मुताबिक सितंबर 2017 तक रेलवे बोर्ड में कुल स्वीकृत पदों पर तैनात अधिकारियों को आधा करने का फैसला किया गया था। लेकिन अभी तक उसको पूरा नहीं कियाजा सका है।
वरिष्ठ अधिकारियों को फील्ड में बहाल करने का फैसला
दरअसल दिल्ली स्थित रेल भवन में बहुत ऐसे अधिकारी हैं जो सालों से यहां जमे बैठे हैं। पीयूष गोयल ने वैसे अधिकारियों को जोनल ऑफिस में भेजने का फैसला किया है। पीयूष गोयल ने 29 जनवरी को रेलवे बोर्ड की बैठक में वरिष्ठ अधिकारियों को बाहर भेजने की नीति पर सख्ती से पालन करने के लिए कहा है। पीयूष गोयल ने रेलवे की यात्रा को बेहतर बनाने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को फील्ड में बहाल करने को कहा है।
श्रमिकों की समस्याओं पर खासा ध्यान
भारतीय रेलों में मरम्मत एवं उत्पादन के साथ स्टेशनों के रखरखाव के कार्य ठेकेदारों द्वारा श्रमिकों से कराए जा रहे हैं। ऐसे में उनकी सुरक्षा व अन्य समस्याओं को ध्यान में रखते हुए रेलवे बोर्ड ने ठेकेदारों को दिशा निर्देश जारी किए हैं। इससे पहले रेल मंत्रालय ने वीआईपी संस्कृति को समाप्त करने का फैसला किया था। मंत्रालय ने अभूतपूर्व कदम उठाते हुए 36 साल पुराने एक प्रोटोकॉल को समाप्त कर दिया, जिसमें महाप्रबंधकों के लिए अनिवार्य था कि रेलवे बोर्ड के चेयरमैन और बोर्ड के अन्य सदस्यों की क्षेत्रीय यात्राओं के दौरान उनके आगमन और प्रस्थान के समय मौजूद रहें। मंत्रालय में वीआईपी संस्कृति को समाप्त करने के लिए रेलवे बोर्ड ने 1981 के एक सर्कुलर में जारी निर्देशों को समाप्त करने का फैसला किया था, जिसमें इस तरह का प्रोटोकॉल था।
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