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जानिए, किस डील पर कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया?

मध्य प्रदेश में सिंधिया पर भाजपा की नजर आज से नहीं पिछले करीब दो सालों से थी...

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नई दिल्ली। सोमवार रात से चले सियासी ड्रामे के बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस में अपनी 18 साल लंबी पारी को मास्टर स्ट्रोक से खत्म कर दिया। जोर से लगे इस झटके ने कांग्रेस पार्टी को मध्यप्रदेश से लेकर दिल्ली तक हिला कर रख दिया है। कांग्रेस पार्टी को हुए इस नुकसान के लिए जितना जिम्मेदार कमलनाथ और दिग्विजय गुट को ठहराया जा रहा है, उससे कहीं ज्यादा पार्टी हाईकमान की अकर्मण्यता को भी जवाबदेह बताया जा रहा है। सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी को एक साथ डबल झटका दिया है। एक तो सिंधिया के तौर पर एक युवा ऊर्जावान और चार बार का सांसद पार्टी ने खो दिया और दूसरी तरफ एक और राज्य में कांग्रेस पार्टी की सरकार दांव पर लग चुकी है।

क्यों लिया कांग्रेस छोड़ने का फैसला

क्यों लिया कांग्रेस छोड़ने का फैसला

पहले सीएम की कुर्सी, फिर प्रदेशाध्यक्ष और अब राज्यसभा तक के लिए तरसे सिंधिया ने पार्टी को अलविदा कहना ही मुनासिब समझा। ऐसा नहीं कि सिंधिया ने पार्टी हाईकमान से दखल देने की गुहार नहीं की थी। तमाम प्रयासों के बावजूद पार्टी नेतृत्व ना केवल टालता रहा बल्कि उनकी बातों को अनदेखा तक कर दिया गया। मध्यप्रदेश में छोटे-छोटे कामों में भी उनकी रिकमडेंशन को तवज्जो नहीं दी गई और यूपी में जहां के वो प्रियंका गांधी के साथ सह प्रभारी बनाए गए, तमाम नियुक्तियों में उनसे सलाह-मशविरा तक नहीं किया गया। यही वजह है कि उन्होंने कांग्रेस खेमे से बाहर निकलने का फैसला किया और अमित शाह के संग अपने कल्याण के लिए पीएम से मुलाकात के लिए लोक कल्याण मार्ग जा पहुंचे।

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भाजपा ज्वाइन करने की क्या है डील

भाजपा ज्वाइन करने की क्या है डील

सिंधिया पर भाजपा की नजर आज से नहीं पिछले करीब दो सालों से थी। पू्र्व वित्त मंत्री स्वर्गीय अरुण जेटली ने एक कार्यक्रम में सिंधिया को पीएम मोदी से मिलाया था और उन्हें आज के दौर का एक करिश्माई नेता बताया था। भाजपा केवल इस वजह से असमंजस में थी कि सिंधिया को राहुल गांधी का सबसे करीबी नेता बताया जाता था। कुछ भाजपाई नेताओं को इस बात का भी अंदेशा था कि कहीं अजित पवार की तरह फजीहत ना हो। प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात में पूरी तरह आश्वस्त होने के बाद इस डील को हरी झंडी दी गई। ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा के कोटे से राज्यसभा भेजा जाएगा और मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री का भी पद दिया जाएगा। कांग्रेस पार्टी में अपनी और अपने समर्थकों की पहचान के लिए तरस रहे सिंधिया के लिए एक बड़ा ओहदा है।

मध्यप्रदेश में उनकी पसंद का डिप्टी सीएम

मध्यप्रदेश में उनकी पसंद का डिप्टी सीएम

जैसे कि खबर आ रही है कि सिंधिया गुट के 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है जिसमें कमलनाथ सरकार के छह मंत्री शामिल है। कमलनाथ की सरकार पूरी तरह अब संकट में है और अगर भाजपा मध्यप्रदेश में सरकार बनाने में कामयाब होती है तो सिंधिया के किसी समर्थक विधायक को डिप्टी सीएम का पद दिया जाएगा। निश्चित तौर पर सिंधिया समर्थक कुछ विधायकों को नई सरकार में मंत्री पद भी दिया जाएगा। इस तरह कांग्रेस पार्टी में जिस राज्यसभा सीट तक के लिए तरस रहे सिंधिया को भाजपा में जाने पर वो सब मिलेगा जिसे वो सम्मान की लड़ाई बताकर कांग्रेस को अलविदा कह गए।

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English summary
Madhya Pradesh: Know On Which Deal Jyotiraditya Scindia Left Congress And Joined BJP.
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