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लोकसभा चुनाव 2019: मध्यप्रदेश में सपा-बसपा के साथ आने की ये है सबसे बड़ी वजह

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नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश के अलावा मध्य प्रदेश और उत्तराखंड के लिए भी गठबंधन कर लिया है। सोमवार को इस गठबंधन का ऐलान किया गया। मध्यप्रदेश में साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 29 में से 27 सीट मिली थी वहीं कांग्रेस दो सीटों पर सिमट गई थी। बीएसपी और सपा को इस चुनाव में कोई भी सीट हासिल नहीं हुई थी। वहीं बसपा ने साल 2009 के लोकसभा चुनाव में एक सीट जीती थी। समाजवादी पार्टी की बात करें तो उन्हें आज तक लोकसभा सीट नहीं मिली है।

एसपी-बीएसपी गठबंधन की ये है वजह

एसपी-बीएसपी गठबंधन की ये है वजह

मध्यप्रदेश में पहली बार गठबंधन कर दोनों पार्टियां यूपी के सटे इलाकों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहती है। पिछले कुछ सालों से सपा-बसपा दोनों एमपी में विधानसभा चुनाव लड़ रही है। लेकिन इन दोनों का वोट शेयर लगातार कम होता जा रहा है। सूबे में दोनों पार्टियों का गठबंधन होने के बाद सपा खुजराहो, टीकमगढ़ और बालाघाट में उम्मीदवार खड़ा करेगी। वहीं बीएसपी बची हुई 26 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। खुजराहो और टीकमगढ़ लोकसभा सीट यूपी के नज़दीक है वहीं बालाघाट संसदीय सीट महाराष्ट्र के छत्तीसगढ़ के नज़दीक है। बीएपी राज्य में पिछले तीन दशकों से चुनाव लड़ रही है और चार बार उसे सफलता मिली है। उसको पहली जीत 1991 में रीवा लोकसभा सीट से मिली थी। इसके बाद उसने साल 1996 और 2009 में भी इस सीट पर कब्जा किया। 1996 में उसने सतना लोकसभा सीट जीती। इस चुनाव में बसपा के उम्मीदवार ने कांग्रेस के अर्जुन सिंह को मात दी। इस सीट पर ओबीसी की सर्वाधिक जनसंख्या है और अच्छी खासी संख्या में ब्राहमण वोटर हैं।

विधानसभा चुनाव में सपा-बसपा का प्रदर्शन

विधानसभा चुनाव में सपा-बसपा का प्रदर्शन

हाल में हुए विधानसभा चुनाव में बसपा ने 227 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा और दो सीटें जीती। उनका वोट शेयर 5.01 फीसदी था, जो निर्दलीय उम्मीदवारों से कम था। उन्हें 5.82 फीसदी वोट मिले। बीएसपी का प्रदर्शन इस चुनाव में निराशाजनक इसलिए रहा क्योंकि एससी/एसटी एक्ट को लेकर चल रहे तनाव के बीच वो उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाई। ग्वालियर-चंबल बेल्ट पर एक सीट बीएसपी को मिली थी। ये इलाका 2 अप्रैल 2018 के आंदोलन में सबसे ज्यादा सुलगा था, जिसे दलितों कें संगठन ने बुलाया था। हालांकि पांच सीटों पर वो दूसरे नंबर
पर रही। कांग्रेस ने इस चुनाव में 114 सीटें जीती जबकि भाजपा ने 109। इस चुनाव में सपा को एक सीट मिली थी। सपा 1.30 फीसदी वोट शेयर के साथ छठे नंबर पर रही थी। लेकिन वो भी पांच सीटों पर दूसरे नंबर पर थी। जिसमें से दो बालाघाट लोकसभा के अंतर्गत आने वाली विधानसभा सीटें हैं। बसपा का एमपी विधानसभा चुनाव में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन साल 2008 में था,जब उसे 8.72 फीसदी वोट मिले थे। साल 2013 में ये गिरकर 6.29 फीसदी और साल 2018 में गिरकर 5.01 फीसदी पर पहुंच गया। वहीं सपा ने साल 2003 में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था।जब उसके साल विधआयक जीते थे और 3.71 वोट शेयर मिला था।

साल 2014 के चुनाव में सपा-बसपा आप से भी पीछे

साल 2014 के चुनाव में सपा-बसपा आप से भी पीछे

साल 2014 के चुनाव में सपा और बसपा को एक भी सीट नहीं मिली थी। इस चुनाव में बीएसपी को 3.79 फीसदी वोट मिला था वहीं सपा को 2.20 फीसदी वोट मिले थे। इस चुनाव में इनका प्रदर्शन आम आदमी पार्टी से भी खराब रहा जो पहली बार लोकसभा के चुनाव में उतरी थी। बीसपी के विधायक संजीव सिंह का कहना है कि गठबंधन का प्रभाव रीवा,सतना,भींड, मुरैना सीटों पर दिखेगा जो यूपी के नजदीक हैं। वहीं भाजपा के सीनियर नेता प्रभात झा का कहना है कि गठबंधन की मौजूदगी से इनकार किया। उन्होंने कहा कि इन दोनों ने मिलकर तीन सीटें जीती थीं। इस गठबंधन से कांग्रेस को नुकसान होगा जबकि भाजपा पर इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा। वहीं कांग्रेस की शोभा झा ने इस गठबंधन को नकरा दिया। उन्होंने आगे कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में भी इनका अघोषित गठबंधन था।

English summary
Losing ground in Madhya Pradesh is the main reason of SP-BSP alliance
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