2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वोट नहीं देना चाहता ये संघ समर्थक किसान, जानिए वजह
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर सभी प्रमुख सियासी दल जमकर चुनाव प्रचार में जुटे हैं। ऐसे में केंद्र की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी की कोशिश एक बार फिर से शानदार प्रदर्शन की है। इसके लिए पार्टी के दिग्गज नेताओं के साथ-साथ खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मोर्चा संभाल रखा है। भले ही बीजेपी की ओर से जमकर चुनाव प्रचार किया जा रहा हो, लेकिन वायनाड लोकसभा सीट पर एक किसान इस बार के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पक्ष में मतदान नहीं करना चाहते हैं। टेलीग्राफ की खबर के मुताबिक, संघ समर्थक ये किसान ये तय करने में जुटे हैं कि इस बार कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को वोट करें या फिर सीपीआई के पीपी सुनीर को।
इसलिए मोदी का समर्थन नहीं करना चाहता ये किसान
2014 के लोकसभा चुनाव में वायनाड के इस किसान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन करते हुए वायनाड लोकसभा सीट पर एनडीए के प्रत्याशी को अपना वोट दिया था। हालांकि इस बार किसान धनिल दिवाकरन का फैसला कुछ और है। The Telegraph में छपी खबर के मुताबिक, बचपन से संघ परिवार की ओर उन्मुख रहने वाले एमबीए डिग्रीधारक ये युवा किसान साफ तौर से कहते हैं कि वो पांच साल पहले की गई अपनी गलती को दोहराना नहीं चाहते हैं। उनकी नाराजगी की वजह किसानों की आत्महत्या की बढ़ती घटनाएं हैं। जिस तरह से किसान भारी बैंक लोन और नकदी फसलों की कीमतों में गिरावट के कारण ऋणग्रस्तता की वजह से आत्महत्या कर रहे हैं उससे धनिल दिवाकरन आहत हैं।
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'पांच साल पहले की गई अपनी गलती को दोहराना नहीं चाहते'
The Telegraph की खबर के मुताबिक, पुलपल्ली के चठमंगलम कुन्नू में रहने वाले 36 वर्षीय धनिल दिवाकरन ने बताया, "मेरे पिता एक मेहनती किसान थे। वो भाजपा की विचारधारा को मानने वाले भी थे। हालांकि पिछले साल 20 दिसंबर को उन्होंने उस समय आत्महत्या कर ली, जब बैंक ने एक ऋण के लिए गारंटर की संपत्ति पर राजस्व वसूली शुरू की थी जिसे हम चुकाने में असफल रहे थे। "मैं कर्ज में डूबा हुआ हूं और उन्हें चुकाने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कभी भी देश के संघर्षरत किसानों का समर्थन नहीं किया। केंद्र ने अपनी किसान विरोधी नीतियों को केवल कॉर्पोरेट घरानों को खुश करने के लिए बरकरार रखा। मोदी के लिए किसान कभी प्राथमिकता में नहीं रहे।"
किसानों के मुद्दे पर नरेंद्र मोदी से नाराज हैं धनिल दिवाकरन
धनिल दिवाकरन ने आगे कहा, "अगर यहां से एनडीए के उम्मीदवार को देखें तो वह राजनेता नहीं हैं। वो बाहर से आए एक धनी व्यक्ति हैं। उन्हें वायनाड के कृषि संकट के समाधान के बारे में बहुत कम या फिर बिल्कुल जानकारी नहीं है। वायनाड एक तरह से केरल का विदर्भ है। (विदर्भ महाराष्ट्र का वो इलाका है जहां से किसानों की आत्महत्या स्थानिक हैं।) वायनाड में 11 अन्य किसान परिवारों ने अपनों को आत्महत्या की वजह से खो दिया। अगर पिछले पांच साल के आंकड़े देखें तो वायनाड में 100 से अधिक किसानों ने यहां आत्महत्या की। माना जा रहा कि इन किसानों ने फसल कीमतों में गिरावट और बैंकों के बदलते रवैये की वजह से ये कदम उठाया। बावजूद इसके कोई राहत पैकेज या फिर नीतिगत सुधारों की घोषणा नहीं की गई है।
कर्ज की वजह से धनिल दिवाकरन के पिता ने पिछले साल कर ली थी आत्महत्या
धनिल के पिता दिवाकरन ने केवल प्राथमिक स्कूल तक ही पढ़ाई की, लेकिन अपने दोनों बड़े बेटों को उन्होंने उच्च शिक्षा देने का फैसला किया, जिससे उन्हें उम्मीद थी कि वो एक प्रोफेशनल वेतन प्राप्त करेंगे और परिवार की वित्तीय स्थिति ठीक हो जाएगी। धनिल सार्वजनिक क्षेत्र के पंजाब नेशनल बैंक से 3 लाख रुपये के शिक्षा ऋण पर एमबीए की पढ़ाई करने के लिए तेलंगाना के सिकंदराबाद गए। दिवाकरन ने उनकी शिक्षा के लिए अपनी बचत से 2 लाख रुपये खर्च किए। धनिल अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण हुए। उन्होंने बैंगलोर और हैदराबाद की कंपनी में काम किया, हालांकि उन्हें जो सैलरी मिली उसका आधा बैंक लोन की ईएनआई में चला जाता था।
वायनाड लोकसभा सीट पर 23 अप्रैल को वोटिंग
धनिल ने बताया कि इस दौरान मेरी मां को कैंसर का पता चला। जिनके इलाज के लिए पिता दिवाकरन ने सार्वजनिक क्षेत्र की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी केरल स्टेट फाइनेंशियल एंटरप्राइजेज से 4 लाख रुपये का कर्ज लिया। हालांकि उनकी मां की मृत्यु पिछले सितंबर में हो गई और इसके तीन महीने बाद ही पिता दिवाकरन ने भी आत्महत्या कर ली। धनिल ने कहा, "मुझे ये ऋण विरासत में मिले हैं। दो ऋणों के लिए गारंटर अभी भी वसूली की कार्यवाही का सामना कर रहे हैं। यह मेरा एमबीए ही था जिसने मेरे पिता को आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया।" उन्होंने कहा, "अगर हम मोदी को सत्ता में वापस लाने के लिए वोट कर रहे हैं, तो इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वो किसान-हितैषी बनेंगे।" बता दें की वायनाड लोकसभा सीट पर 23 अप्रैल को वोटिंग होगी।