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प्रियंका के ‘वोटकटवा’ पर सिर फुटौवल से अब किसको क्या मिलने वाला है?

By आर एस शुक्ल
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नई दिल्ली। कहते हैं कि बात निकलेगी, तो दूर तलक जाएगी। एक बात निकली और इतनी दूर तक चली गई कि हर कोई उसमें उलझकर रह गया है। यह बात थी कांग्रेस की ऐन लोकसभा चुनाव के वक्त अचानक पार्टी की महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी नियुक्त की गईं प्रियंका गांधी की जिन्होंने प्रेस से बात करते हुए वह कह दिया जिसे सियासी हलकों में कहा जा रहा है कि उन्हें नहीं कहना चाहिए था। चुनाव प्रचार के दौरान प्रियंका ने एक तरह से कांग्रेस की रणनीति का खुलासा करते हुए कैमरे के सामने कह दिया कि उनके कई प्रत्याशी भाजपा का वोट काटेंगे। हालांकि प्रियंका ने यह भी कहा था कि कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में मजबूत प्रत्याशी उतारे हैं और सब जीतेंगे। जो नहीं जीतेंगे वे भाजपा का वोट काटेंगे। अगर सामान्य तौर पर देखा जाए, तो कोई भी पार्टी खुद यह नहीं कहती कि उसके प्रत्याशी वोट काटने के लिए लड़ रहे हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश के खास परिप्रेक्ष्य में देखा जाए, तो यह उतना अजीब नहीं लग सकता। यह जरूर है कि ऐसा कहा नहीं जाना चाहिए था। लेकिन अगर नहीं भी कहा जाता तब भी यह आम चर्चा रही है कि आपसी समझदारी के तहत ऐसा किया गया है। दूसरे नजरिये से देखा जाए, तो इसे थोपी गई मजबूरी भी कहा जा सकता है क्योंकि गठबंधन में शामिल न किए जाने से शायद कांग्रेस के पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। उसके समक्ष विकल्प बहुत सीमित थे। ऐसे में अगर विपक्षी एकता के लिए इतना भी कर रही है, तो इसकी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए थी। लेकिन इसे भी हर दल की अपनी राजनीतिक जरूरत कहा जा सकता है कि वह अपने हितों को ध्यान में रखे।

प्रियंका ने किया कांग्रेस की रणनीति का खुलासा

प्रियंका ने किया कांग्रेस की रणनीति का खुलासा

हालांकि चौतरफा सवाल उठाए जाने के बाद प्रियंका गांधी की ओर से बहुत सख्त सफाई भी प्रस्तुत की गई। उन्होंने बहुत साफ तौर पर कहा कि मैं जान दे दूंगी लेकिन भाजपा के साथ किसी तरह का समझौता नहीं करूंगी। भाजपा हमारी राजनीतिक दुश्मन है। उसे किसी भी तरह से लाभ पहुंचाने का सवाल ही नहीं उठता। असल में प्रियंका के ‘वोटकटवा' वाले कथन के बाद बसपा प्रमुख मायावती ने कांग्रेस को निशाने पर ले लिया था। बीते काफी दिनों से कांग्रेस पर लगातार हमलावर रहीं मायावती के लिए तो जैसे बिना कोशिश बड़ा मौका मिल गया था। मायावती ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के लोग भाजपा को जिताने की अपील कर रहे हैं। कांग्रेस के लोग यहां तक कह रहे हैं कि गठबंधन के उम्मीदवार किसी भी हालत में जीतने नहीं चाहिए। दूसरी तरफ गठबंधन के एक दूसरे घटक समाजवादी पार्टी की ओर से भी निशाने पर लिया गया। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी तीखी प्रतिक्रिया जताई और कह दिया कि असल में जनता ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया है। इसलिए उसकी भूमिका ‘वोटकटवा' की हो गई है। अखिलेश ने यह भी कहा कि कोई भी पार्टी कमजोर प्रत्याशी नहीं उतारती। इस तरह वह यह कहना चाह रहे होंगे कि कांग्रेस ने भी मजबूत प्रत्याशी उतारे हैं और गठबंधन की जीत की संभावनाएं कम करने में लगे हुए हैं।

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सवाल उठाए जाने पर प्रियंका गांधी ने दी सफाई

सवाल उठाए जाने पर प्रियंका गांधी ने दी सफाई

अगर देखा जाए तो इस तरह प्रियंका गांधी के एक वक्तव्य ने उत्तर प्रदेश की चुनावी राजनीति में हलचल मचा दी है। इसके अलावा उस विपक्ष में ही सिर फुटौवल की स्थिति उत्पन्न कर दी है जो एकजुटता के जरिये भाजपा को सत्ता से बाहर करने का दावा करता रहा है। लेकिन पहले विपक्ष में एकता नहीं हो सकी और अब विपक्ष आपसी लड़ाई में उलझता जा रहा है। ऐसे में विपक्ष की वह रणनीति भी सवालों के घेरे में खड़ी होती जा रही है जिसमें अक्सर यह कहा जाता रहा है कि चुनाव बाद मोर्चा बन जाएगा और प्रधानमंत्री का चयन भी कर लिया जाएगा। पहले भी सत्ताधारी भाजपा की ओर से इस पर सवाल उठाए जाते रहे हैं। अब तो विपक्षी एकता के पैरोकारों की ओर से भी यह सवाल उठाए जाने लगे हैं कि अगर विपक्ष का यही हाल रहा तो पहले तो उनकी जीत मुश्किल है और अगर जीत मिल भी गई तो एकता और मुश्किल हो सकती है। वैसे भी अभी तो चुनावी प्रक्रिया ही चल रही है और तीन चरणों के मतदान बाकी हैं। उसके बाद परिणाम आने हैं जिसके बारे में अभी भी कोई इस राय नहीं पहुंच रहा है कि सत्ताधारी पार्टी और गठबंधन एकतरफा हार रहा है और विपक्ष एकतरफा जीत रहा है। लेकिन एक बात आम तौर पर कही जा रही है कि अगर भाजपा अथवा एनडीए को जीत मिलती है, तो इसके लिए विपक्ष और उसकी आपसी लड़ाई ही ज्यादा जिम्मेदार होगी।

प्रियंका के बयान पर मायावती-अखिलेश ने जताई तीखी प्रतिक्रिया

प्रियंका के बयान पर मायावती-अखिलेश ने जताई तीखी प्रतिक्रिया

हार के इस बड़े कारण के पीछे ठोस आधार भी हैं। आम मतदाताओं ने पूर्व के कई उदाहरणों से अपनी मंशा साफ कर रखी है। मतदाताओं ने अपनी इच्छा बता रखी है कि संपूर्ण विपक्ष को अपने आपसी मतभेद भुलाकर एक हो जाना चाहिए। यदि ऐसा होता है तो विपक्ष की जीत सुनिश्चित है। उत्तर प्रदेश में ही गोरखपुर, फूलपुर और कैराना इसके बड़े और आंख खोल देने वाले उदाहरण रहे हैं। इन तीनों चुनावों में पूरा विपक्ष एकजुट रहा और भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था। इनके जरिये उत्तर प्रदेश की जनता ने यह स्पष्ट संदेश दिया था कि वह सत्ताधारी भाजपा को हराना चाहती है लेकिन उससे पहले विपक्ष की एकता की गारंटी चाहती है। कारण चाहे जो रहे हों और जिम्मेदार भले ही कोई हो, लेकिन वह गठबंधन बन नहीं सका। हालांकि इसके बावजूद कुछ प्रतीकात्मक एकजुटता दिखाने की कोशिशें भी हुईं जिसके तहत गठबंधन ने अमेठी और रायबरेली सीटों पर अपने प्रत्याशी न उतारकर कांग्रेस को समर्थन दिया तो कांग्रेस ने सपा की पांच सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारे और गठबंधन को समर्थन दिया। कांग्रेस की ओर से यह भी कहा गया था कि अगर मायावती चुनाव लड़तीं, तो उस सीट पर भी उसका उम्मीदवार नहीं होता।

भाजपा ने गठबंधन और समझौते में काफी लचीला रुख अपनाया

भाजपा ने गठबंधन और समझौते में काफी लचीला रुख अपनाया

लेकिन दूसरी तरफ यह तीनों पार्टियां एक दूसरे पर हमलावर भी रहीं। क्या जनभावना को ध्यान में रखते हुए यह ज्यादा अच्छा नहीं होता कि कांग्रेस भी गठबंधन का हिस्सा होती। कहा जा सकता है कि इस मामले में विपक्ष सत्ताधारी पार्टी भाजपा से कुछ सीख सकता था। भाजपा ने गठबंधन और समझौते में काफी लचीला रुख अपनाया। उसने बिहार में जदयू के लिए अपनी जीती सीटें तक छोड़ दीं और महाराष्ट्र में उस शिवसेना के साथ भी समझौता कर लिया जो बीते पांच वर्षों तक लगातार विपक्ष के सुर में सुर मिलाते हुए उस पर हमलावर रही है। उत्तर प्रदेश में अपना दल को छिटकने नहीं दिया। ऐसे में कहा जा सकता है कि विपक्ष की आपसी सिर फुटौवल से उसे कुछ हासिल नहीं होने जा रहे हैं बल्कि नुकसान का खतरा ही ज्यादा रहेगा। अभी भी विपक्ष के पास यह मौका है कि आपसी लड़ाई से बचे ताकि कम से कम चुनाव बाद अगर कोई सरकार बनाने की स्थिति बने, तो उसमें किसी तरह की अड़चन न आए। अगर उसके बाद भी ऐसी ही सिर फुटौवल सामने आई, तो विपक्ष के समक्ष जनता का विश्वास खोने का खतरा तो बढ़ेगा ही, भविष्य की राह और ज्यादा कठिन हो सकती है।

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English summary
Lok Sabha Elections 2019: Priyanka Gandhi on congress Candidate BJP SP BSP Uttar Pradesh
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