कोरोना वायरस से जंग जीतने के लिए जानिए जेलों में किस तरह से लगाया लॉकडाउन
Lockdown:This new experiment started in Maharashtra jail to win the battle against Coronavirus
मुंबई। कोरोनावायरस (कोविड19) के संक्रमितों की लगातार बढ़ रही संख्या ने सबको चिंता में डाल दिया हैं। मोदी सरकार ने देश भर में लॉकडाउन 3 मई तक इसीलिए बढ़ाया ताकि कोरोना संक्रमण फैलने पर नियंत्रण किया जा सके। कोरोना संक्रमण का खतरा देश की कैदियों से ठसाठस भी जेलों में भी हैं। ऐसे में महाराष्ट्र की एक जेल ने कोरोना की जंग जीतने के लिए नया प्रयोग किया हैं। जिसे भविष्य में देश की अन्य जेल भी फॉलो करने पर विचार कर रही हैं।
महाराष्ट्र की इन जेलों में किया गया ये प्रयोग
दरअसल, जेल में बंद कैदियों को इस संक्रमण से बचाने के लिए महाराष्ट्र के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सुनील रामानंद ने एक नई पहल की है। उन्होंने महाराष्ट्र की पांच जेलों को पूरी तरह से लॉकडाउन कर दिया है। ये सुनने में अजीब लगेगा कि जेल में लॉकडाउन ? लेकिन ये सच हैं कि जेलें भी लॉकडाउन के बीच अछूती नहीं हैं लेकिन जेल के लॉकडाउन में भी काम में कोई कमी नहीं आई हैं। महानिदेशक ने जिन पांच जेलों में संपूर्ण लॉकडाउन किया है उनमें मुंबई आर्थर और भायखला, केंद्रीय जेल ठाणे, केंद्रीय जेल कल्याण और केंद्रीय जेल पुणे शामिल है। इन पांचों जेलों में अपनी क्षमता से कहीं ज्यादा कैदियों की संख्या है और यहां एक पर अगर संक्रमण फैल गया तो जेल के कैदियों में तेजी से फैलकर तबाही मचा सकता हैं।
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जेल में ऐसे किया गया हैं लॉकडाउन
बता
दें
जेल
में
लॉकडाउन
करते
हुए
जेल
सुपरिटेंडेंट
और
सभी
जरूरी
स्टाफ
को
उन्हीं
की
जेलों
में
रहने
का
निर्देश
देते
हुए
लॉकडाउन
कर
दिया
गया।
अब
वे
इस
जेल
में
बाकी
बंदियों
के
साथ
एक
अलग
परिसर
में
रह
रहे
हैं।
लॉकडाउन
के
दौरान
इन
सभी
जेलों
में
अब
कोई
नया
बंदी
नहीं
आ
सकेगा।
नए
बंदियों
को
या
तो
किसी
उप-जेल
में
भेजा
जाएगा
या
फिर
पास
के
किसी
ग्रामीण
क्षेत्र
की
जेल
में।
लॉकडाउन
की
अवधि
पूरी
होने
तक
वे
जेल
से
बाहर
नहीं
आएंगे।
जेल
के
लिए
आने
वाले
सामान
जैसे
कि
दूध
और
सब्जी-
इनके
प्रवेश
की
अनुमति
है,
लेकिन
इसके
लिए
भी
एक
पूरी
ड्रिल
की
जा
रही
है
ताकि
किसी
भी
तरह
से
कोई
संक्रमण
जेल
में
ना
आ
सके।
लॉकडाउन
जहां
दुनिया
भर
के
करोड़ों
लोग
खाली
बैठे
हैं
वहीं
संपूर्ण
लॉकडाउन
में
भी
जेलें
पहले
की
ही
तरह
अपने
सारे
काम
कर
रही
हैं।
जरा
उस
भाव
को
सोचिए
जिससे
जेल
के
यह
अधिकारी
और
स्टाफ
खुद
ही
जेल
के
अंदर
बंद
होने
के
लिए
राजी
हो
गए
होंगे
तकि
रोज
की
आवाजाही
से
बंदियों
में
वायरस
आने
का
कोई
खतरा
न
पनपे।
जेलों में हैं 114 प्रतिशत की ओवरक्राउडिंग
बता दें भारत की जेलों में करीब 114 प्रतिशत की ओवरक्राउडिंग है और साथ ही कम से कम 33 प्रतिशत स्टाफ की कमी भी। ऐसे में जेलों के लिए सतर्कता बरतना बेहद जरूरी है, क्योंकि भीड़ भरी जेल में वायरस का आने का मतलब यह है कि पूरी जेल तुरंत उससे प्रभावित हो सकती है। ऐसा होना बेहद खतरनाक होगा। ऐसे में महाराष्ट्र के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सुनील रामानंद की इस प्रयोग ने अन्य जेलों को कैदियों को कोरोना से बचाने के लिए एक नई राह दिखाई हैं।
दूसरी जेलें भी करने जा रही ये प्रयोग
मालूम हो कि महाराष्ट्र के इस प्रयोग को अब देश की कुछ ओर जेलें भी अपनाने का मन बना रही हैं। इनमें हरियाणा की जेल भी शामिल है। रमानंद के इस प्रयोग ने बता दिया हैं कि कोरोना से निपटने को लेकर जेल तत्पर हैं, और सूझ-बूझ से काम ले रही। इतना ही नहीं ढीली कानूनी प्रक्रिया के चलते कैदियों से ठसाठस भरी जेल के अधिकारियों और स्टाफ ने कैदियों को कोरोना से बचाने के लिए खुद को ही जेल में बंद कर लेने जैसा जज्बा दिखाया है।
जेलों से 5000 लोगों को पैरोल पर रिहाई दी जा रही
गौरतलब हैं की सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस के चलते जेलों में 7 साल तक की सजा काट रहे कैदियों को पैरोल पर छोड़ने का आदेश दिया था इसी के आधार पर राज्य सरकार ने आदेश दिया गया था जिसके मद्देनजर महाराष्ट्र की जेलों से करीब 5000 लोगों को पैरोल पर रिहाई देने वाली है। इतना ही नहीं 11000 कैदियों को पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया था। विचाराधीन कैदियों को जमानत देने तथा निर्धारित सजा से अधिक काट चुके लोगों को पूर्णत: रिहा करने पर विचार किया जा रहा है। गृह मंत्रालय ने पहले ही महाराष्ट्र के नौ केंद्रीय कारागारों (मुंबई, ठाणे, खारघर, नासिक, पुणे, औरंगाबाद, कलंबा, अमरावती और नागपुर) को भारी भीड़ के कारण कैदियों को स्थानांतरित करने के लिए कह दिया था।
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