चाचा पशुपति के खिलाफ चुनाव आयोग पहुंचे चिराग, खुद को बताया LJP का असली अध्यक्ष
नई दिल्ली, 18 जून: रामविलास पासवान के निधन के बाद ही लोक जनशक्ति पार्टी में दो फाड़ हो गई थी, जो अब खुलकर सामने आ गई है। कुछ दिनों पहले पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस ने 5 सांसदों को अपने खेमे में कर लिया। साथ ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से मिलकर खुद को संसदीय दल का नेता घोषित करवा लिया। इसके बाद उन्होंने पार्टी पर अपना प्रभाव स्थापित करने के लिए सुरजभान सिंह को कार्यकारी अध्यक्ष बनवा दिया। बाद में राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक बुलाई गई और पशुपति कुमार निर्विरोध पार्टी अध्यक्ष चुन लिए गए। जिसके खिलाफ शुक्रवार को चिराग पासवान चुनाव आयोग के पास पहुंचे और खुद को एलजेपी का असली अध्यक्ष बताया।
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दिल्ली में शुक्रवार को 5 सदस्यीय दल के साथ चिराग पासवान चुनाव आयोग के कार्यालय पहुंचे। साथ ही अधिकारियों के सामने पूरे मामले को रखा। इसके बाद मीडिया से बात करते हुए चिराग ने कहा कि 2019 में मैं 5 साल के लिए एलजेपी अध्यक्ष चुना गया। चुनाव आयोग ने उन्हें आश्वासन दिया है कि अगर कोई एलजेपी के नाम पर दावा साबित करने की कोशिश करता है, तो उनको सबूत देने का मौका दिया जाएगा।
चिराग के बयान के बाद उनके चाचा पशुपति कुमार पारस ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि मुझे सर्वसम्मति से चुना गया था। निर्वाचन अधिकारी ने मुझे लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने का पत्र दिया। मसौदा अब चुनाव आयोग को सौंपा जाएगा। वहीं केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिलने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वो चुनाव आयोग को सबूत देंगे, इसके बाद प्रधानमंत्री तय करेंगे कि किसी मंत्री बनाया जाए।
सब
मंत्री
पद
का
खेल
दरअसल
बीजेपी
की
सहयोगी
पार्टी
होने
की
वजह
से
रामविलास
पासवान
को
केंद्रीय
कैबिनेट
में
जगह
दी
गई
थी।
पिछले
साल
उनका
निधन
होने
के
बाद
से
एलजेपी
का
कोटा
खाली
है।
हाल
ही
में
खबर
आई
थी
कि
पीएम
मोदी
अपनी
कैबिनेट
का
विस्तार
कर
रहे
हैं।
ऐसे
में
अब
चिराग
और
उनके
चाचा
में
पार्टी
के
अंदर
अंदरुनी
जंग
चल
रही
है,
जो
इसमें
जीतेगा
केंद्रीय
मंत्री
के
पद
पर
उसी
की
ताजपोशी
होगी।