दो मामलों में संत रामपाल को अदालत ने किया रिहा, वकील ने कहा- सत्य की जीत
हिसार/चंडीगढ़। हरियाणा के ही बरवाला स्थित सतलोक आश्रम संचालक संत रामपाल पर चल रहे चार में से दो मामलों में हिसार कोर्ट ने फैसला सुनाया है। बीते बुधवार को संत रामपाल के खिलाफ दर्ज धारा 201, धारा 426, धारा 427 और धारा 443 के तहत पेशी हुई थी। अदालत ने संत रामपाल को धारा 426 और 427 वाले मामले से बरी कर दिया है। संत रामपाल के वकील एपी सिंह ने कहा कि यह सत्य की जीत है।
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हिसार की जिला अदालत ने रापाल को बंधक बनाने और पुलिस के हमला करने के मामले से बरी कर दिया। हालांकि देशद्रोह और हत्या का मामला अभी चलता रहेगा। हालांकि रामपाल पर जब तक सभी मामलों में बरी नहीं होता तब तक वो जेल में ही रहेगा।
अदालत ने सुरक्षित रखा था फैसला
कोर्ट ने धारा 426 और धारा 427 का फैसला सुरक्षित रख लिया था। संत रामपाल पर धारा 426 में सरकारी कार्य में बाधा डालने और धारा 427 में आश्रम में जबरन लोगों को बंधक बनाने का केस दर्ज था। इन दोनों केसों में संत रामपाल के अलावा प्रीतम सिंह, राजेंद्र, रामफल, विरेंद्र, पुरुषोत्तम, बलजीत, राजकपूर ढाका, राजकपूर और राजेंद्र को आरोपी बनाया गया है।
ये है पूरा मामला
बताते चलें कि कबीर पंथी विचारधारा के समर्थक संत रामपाल दास देशद्रोह के एक मामले में इन दिनों हिसार जेल में बंद हैं। गौरतलब है कि बरवाला में हिसार-चंडीगढ़ रोड स्थित सतलोक आश्रम में नवंबर 2014 में सरकार के आदेश के बाद पुलिस ने आश्रम संचालक रामपाल के खिलाफ कार्रवाई की थी।
पुलिस ने रामपाल को 20 नवंबर 2014 को गिरफ्तार किया था। इससे पहले 2006 में स्वामी दयानंद की लिखी एक किताब पर संत रामपाल ने एक टिप्पणी की थी। आर्यसमाज इस टिप्पणी से नाराज हो गया। आर्य समाज और रामपाल समर्थकों में हिंसक झड़प हुई। इसमें एक महिला की मृत्यु हुई। झड़प के बाद पुलिस ने रामपाल को हत्या के मामले में हिरासत में लिया। 22 महीने जेल में रहने के बाद वह 30 अप्रैल 2008 को जमानत पर रिहा हुआ था।