अमेरिका की नौकरी और IIM छोड़कर भारतीय सेना में शामिल हुआ मजदूर का बेटा
नई दिल्ली। जो गरीबी देखकर उठते हैं उनके लिए पैसों का महत्व बहुत ज्यादा होता है, लेकिन पैसों के आगे वो देशभक्ति को भूलते नहीं है। इस बात की मिसाल पेश की है बरनाना यडागिरि ने, जिन्होंने अमेरिका की नौकरी और आईआईएम को छोड़कर सेना में शामिल होने का फैसला किया और कड़ी महनत कर सेना में शामिल हो गए।
ठुकराई US की नौकरी और IIM
बरनाना यडागिरी के पिता बरनाना गुन्नाया हैदराबाद की एक सीमेंट फैक्ट्री में 100 रु रोजाना के हिसाब से दिहाड़ी मजदूरी करते हैं। गरीबी झेलते हुए यडागिरी ने हैदराबाद के इंटरनैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ इन्फर्मेशन टैक्नॉलजी से सॉफ्टवेयर इंजिनियरिंग की। सॉफ्टवेयर इंजिनियर के तौर पर उन्हें अमेरिकी कंपनी यूनियन पसफिक रेल रोड ने नौकरी ऑफर की,लेकिन उन्होंने उसे ठुकरा दिया। यडागिरी ने आईआईएम इंदौर में ऐडमिशन ठुकरा दिया। उन्होंने कैट एग्जाम में 93.4 पर्सेंट अंक हासिल किए, लेकिन एडमिशन नहीं लिया। उन्होंने भारतीय सेना में शामिल होने का फैसला किया और सेना के इंजिनियरिंग यूनिट को ज्वाइंन कर लिया। अपनी मेहनत के बल पर उन्होंने इंडियन मिलिटरी अकैडमी में टेक्निकल ग्रैजुएट कोर्स में पहला स्थान हासिल किया और सेना में ऑफिसर बन गए।
गरीबी में बीता बचपन
अप ने बच पन को याद करते हुए यडागिरी कहते हैं कि उनके पिता दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करते हैं। पूरा दिन काम करने के बाद उन्हें 50 से 100 रुपए मिलते थे, जबकि उनकी पोलियो से पीड़ित हैं और वो दफ्तरों में सफाई का काम करती है। उन्होंने कहा कि मैं पैसों के कभी आकर्षित नहीं हुआ, क्योंकि मैं देश की सेवा करना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि अपने देश के लिए सेवा करने से जो मानसिक संतुष्टि मिलेगी उसकी तुलना पैसे से नहीं की जा सकती।