कौन हैं स्वामी असीमानंद, जिन्हें मक्का मस्जिद ब्लास्ट में किया गया बरी
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नई दिल्ली। स्वामी असीमानंद को आज हैदराबाद स्थित मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस में बरी कर दिया गया है। अदालत ने सबूतों के अभाव में असीमानंद को बरी किया है। बता दें कि फिलहाल असीमानंद जमानत पर बाहर हैं। स्वामी असीमानंद को अजमेर दरगाह ब्लास्ट (2007) समझौता एक्सप्रेस विस्फोट और हैदराबाद मक्का मस्जिद ब्लास्ट के लिए साल 2010 की 19 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। असीमानंद की गिरफ्तारी उत्तराखंड के हरिद्वार से हुई थी। पश्चिम बंगाल स्थित हुगली निवासी स्वामी असीमानंद का बचपन का नाम नब कुमार था। असीमानंद ने 18 दिसंबर 2010 को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दीपक डबास के समक्ष तीस हजारी अदालत में कथित कृत्यों को कबूल किया।
फिर बयान से पलट गए असीमानंद
उन्होंने कहा कि वह और अन्य हिंदू कार्यकर्ता विभिन्न मुस्लिम धार्मिक स्थानों पर बम विस्फोट में शामिल थे, क्योंकि वे हर इस्लामी आतंकवादी कार्रवाई का उत्तर देना चाहते थे। उनका बयान हिंदी में दर्ज किया गया था। हालांकि, मार्च 2011 के अंत में, असीमानंद ने कहा कि जांच एजेंसियों ने उन्हें कबूल करने के लिए दबाव बनाया कि वह इन विस्फोटों के पीछे थे।
एक साक्षात्कार में RSS पर लगाए थे सनसनीखेज आरोप
फरवरी 2014 में, स्वामी असीमानंद द्वारा दिए गए साक्षात्कार के दौरान एक पत्रिका को दिए साक्षात्कार के बाद विवाद उभरा। जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि भारत में कुछ सबसे बुरे आतंकी हमलों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या ने मंजूरी दी थी, उस वक्त इसके महासचिव मोहन भागवत थे । हालांकि असीमानंद ने बाद में इस तरह के आरोपों को लगाने से इंकार कर दिया। इस पत्रिका ने साक्षात्कार के ऑडियो टेप जारी किए, जिसमें स्वामी के आरोप शामिल थे।
अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह गए
असीमानंद, 1988 में वनवासी कल्याण आश्रम (वीकेए) के स्थानीय कार्यालय के साथ काम करने के लिए अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में चले गए। सूत्रों ने पुष्टि की है कि स्वामी असीमानंद ने कुछ झोपड़ी प्रकार के मंदिरों का निर्माण किया था, और कुछ दूरदराज के इलाकों में, भगवान हनुमान की प्रतिमा स्थापित की थी।