Coronavirus: जानिए चिकित्सकों के अनुसार आइसोलेशन का क्या है सही तरीका?
बेंगलुरु। कोरोना वायरस के संक्रमण का प्रकोप भारत में बढ़ता ही जा रहा है। जिसके चलते देश भर में कंप्लीट लॉकडाउन कर दिया गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार ये अब तक का सबसे खतरनाक वायरस है जो कि संक्रमित व्यक्ति से दूसरे को फैलता हैं। इतना ही नहीं डब्लूएचओ ने इस बात की भी पुष्टि कर दी हैं कि ये वायरस हवा में भी सक्रिय रहते हैं इसलिए अब इसके कई गुना बढ़ने की संभावनाएं बढ़ गई है।
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कोरोना बीमारी फैलाने का सबसे बड़ा कारण परिवार है जो साधारण सर्दी जुकाम से लेकर बड़े रोगों के बढ़ने की वजह है। हालिया रिपोर्ट के अनुसार एक परिवार के पांच ही लोग कोरोना के संक्रमण का शिकार हो चुके हैं तो ऐसे में यदि आप को खुद या परिवार के किसी सदस्य में कोरोना के गंभीर लक्षण नजर आते हैं तो ऐसे में परिवार से खुद को अलग करना लेना सबसे बेहतर तरीका हैं।
क्वारंटीन व आइसोलेशन में क्या अंतर हैं
जब से कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ा है तभी से दो शब्द बार-बार सुनने को मिल रहा हैं जिसमें क्वारंटीन व आइसोलेशन। देश भर में अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना के मरीजों का इलाज कर रहे डाक्टर-नर्स की जुबान पर ये ही शब्द हैं। ऐसे में आपको भी ये जान ले चाहिए कि आखिर क्वारंटीन व आइसोलेशन में क्या अंतर हैं और चिकित्सकों के अनुसार आइसोलेशन का सही तरीका क्या है।
क्वारंटीन का सही तरीका
संक्रमण का शक होने पर ही मरीज को घर में अलग कमरे में रखा जाता है। जरुरी है कि वो अलग बाथरूम का इस्तेमाल करें। परिवार के सदस्य या किसी बाहरी से सीधा संपर्क नहीं रखा जाता है। संदिग्ध के कमरे में कोई दूसरा व्यक्ति नहीं जाए। बाथरूम नियमित साफ हो। दूसरा व्यक्ति इसे इस्तेमाल न करे। संदिग्ध से छह फीट दूर रहना चाहिए। बाहर निकलें तो मास्क पहन लें । घर में अकेले हैं तो अपना जरूरी सामान किसी से मंगवाए। एक ही किचन है तो एक ही व्यक्ति वहां जाए। खुद किचन में जाने से बचें। बार-बार साबुन से हाथ धुलते रहें। अपना कचरा इधर-उधर न फेंके।
ऐसे करवाए जांच
कोरोना संक्रमण का शक होने पर स्वयं हॉस्पिटल न जाएं। जांच करानी हो तो फोन से सूचना दें, जिससे स्वास्थ्य विभाग की टीम सुरक्षित तरीके से सैंपल ले सके। जांच के लिए लार देते समय सावधानी बरतें। सांस लेने में परेशानी हो तो तत्काल डॉक्टर से बात करें। जरूरत के हिसाब से अस्पताल में रहें। अपने आप से दवा न लें। सार्वजनिक यातायात, कैब, टैक्सी आदि से भी बचें।
चिकित्सकों के अनुसार क्या है आइसोलेशन का सही तरीका
एक
ही
कमरे
में
रहें
इसमें
संक्रमित
व्यक्ति
को
अलग
हवादार
रोशनी
वाले
कमरे
में
रहना
चाहिए।
इस
दौरान
आपकी
आवाजाही
केवल
एक
ही
कमरे
तक
होनी
चाहिए।
इसमें
शौचालय
अटैच
होना
चाहिए।
जिसका
इस्तेमाल
कोई
दूसरा
न
करे।
बाहरी
व्यक्ति
वहां
पर
न
आएं।
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एक ही व्यक्ति से संपर्क करें
अगर घर के किसी अन्य सदस्य का आपके कमरे में आना जरूरी हो तो उससे एक से तीन मीटर तक की दूरी बनाए रखें। आइसोलेसन वाले मरीज से घर के एक ही सदस्य को देखभाल और संपर्क के लिए चुनें। जो सदस्य कमरे में आए वह मास्क व सर्जिकल दस्ताने जरूर पहने। वह कोई ऐसी चीज या सतह न छुए, जो आपके संपर्क में आई हो। दस्ताने उतारने के बाद साबुन से अच्छे से हाथ धोएं।
परिवार के अन्य सदस्य
मरीज को बच्चों, वृद्धजनों और गर्भवती महिला और घर के अंदर अन्य बीमार सदस्यों को तो बिलकुल संपर्क में आना ही नही चाहिए। क्योंकि बच्चों, बुजुर्गों समेत इन सबमें इम्यूनिटी पॉवर कम होता हैं इसलिए बेहतर हो कि संदिग्ध पेसेन्ट की परछाई से भी बचे। आइसोलेशन में रखे गए मरीज की इस्तेमाल की गई चीजों और जगहों को वे बिल्कुल न छुएं।घर के हर सदस्य को जितना हो सके बार-बार अपने हाथ साबुन से धोने चाहिए। वे अल्कोहल वाले हैंड सेनिटाइजर का इस्तेमाल भी कर सकते हैं और घर को सेनेटाइज करें।
मास्क और कपड़े का निस्तारण
कोरोना वायरस बहुत ही खतरनाक वायरस है ये किसी भी माध्यम से दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है इसलिए जरुरी है कि आपके द्वारा इस्तेमाल चादर और कपड़े परिवार के अन्य सदस्यों के सीधे संपर्क में बिलकुल भी नहीं आए। डिस्पोजेबल दस्ताने पहनकर आपके बर्तन धोने चाहिए। आपकी बरतन बिलकुल होने चाहिए प्लेट, ग्लास, कप आदि का इस्तेमाल कोई और न करे। जो मास्क आपने पहना है उसे उतारने के बाद या तो जला दें या जमीन में गहरा दबा दें।
बाहर से खाना मंगवाने पर
घर पर अलग रहने के दौरान यदि आप बाहर से खाना मंगाते हैं तो भुगतान ऑनलाइन करें ताकि नोट या सिक्के या बिल लेने-देने से बचा जा सके। खाना पहुंचाने वाले से कहें वह खाना गेट पर ही रख दे क्योंकि ये साबित हो चुका है कि नोटों के माध्यम से भी ये वायरस दूसके को संक्रमित कर सकता है।
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