आंखें नम कर देंगी शहीद हुए 18 जवानों के घर की ये कहानियां
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के उरी में आर्मी बेस कैंप पर आतंकियों के हमले में 18 जांबाज जवान शहीद हो गए। उनकी कहानी आपकी आंखें नम कर देंगी।
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रविवार को तड़के पांच बजे जम्मू कश्मीर के उरी स्थित आर्मी एडमिन बेस कैंप पर आतंकी हमला हुआ। सिर्फ तीन मिनट पर 17 ग्रेनेड धमाके हुए जिसकी वजह से 14 सैनिक अपने कैंप में जिंदा जल गए और बाकी आतंकियों की ओर से हुई फायरिंग में शहीद हो गए।
नॉर्दर्न कमांड की ओर से ट्विटर पर उन 18 शहीदों के नाम और वह कहां से हैं इसकी जानकारी साझा की गई है। इंडियन आर्मी के उरी स्थित 12वीं ब्रिगेड के हेडक्वार्टर पर जैश-ए-मोहम्मद की ओर से हुए हमले में कम से कम 30 सैनिक घायल हैं।
रविवार सुबह आतंकियों ने किया था हमला
एक नजर डालिए उन 18 बहादुरों के नाम और उनके पते पर जिन्हें इस आतंकी हमले शहादत हासिल हुई है। शहीद जम्मू कश्मीर से लेकर बिहार और उत्तर प्रदेश से लेकर महाराष्ट्र तक के हैं।
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इन 18 शहीदों से अलग सिपाही एचएन बाला दियाग और लांस नायक राम कृष्ण तीन घंटे तक आतंकियों से मोर्चा लेते रहे और वे गंभीर रूप से घायल हैं।
सिपाही जावरा मुंडा (35), मेरला गांव, खूंटी (झारखंड)
तीन पीढ़ियों से झारखंड के खूंटी स्थित मेरला गांव के युवा सेना में भर्ती होकर देश सेवा में जाते रहे हैं। ये पहली बार है जब मेरला गांव का कोई जवान शहीद हुआ हो। 35 वर्षीय सीपॉय जावरा मुंडा उरी में शहीद हुए 18 जवानों में शामिल थे।
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जावरा मुंडा को तीन साल पहले कश्मीर भेजा गया और उन्हें ट्रांसफर का इंतजार था। फिलहाल अपने गांव के पहले शहीद जवान को श्रद्धांजलि देने के लिए एक मेमोरियल बनाने की योजना ग्रामीणों ने की है। वहीं जावरा के भाई दौड़ मुंडा भी अपने भाई की तरह सेना में जाने की तैयारी कर रहे हैं।
सिपाही राकेश सिंह (28), बद्धा गांव, कैमूर (बिहार)
बिहार के कैमूर स्थित बद्धा गांव के सिपाही राकेश सिंह के उरी हमले में शहीद होने के बाद से उनके घर में आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। राकेश सिंह की पत्नी किरन कुशवाहा का बुरा हाल है। वह अपने पति और बेटे के साथ हाल ही में असम के कामाख्या मंदिर की एक तस्वीर को लगातार देखे जा रही हैं।
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शहीद राकेश सिंह के पिता अपने आधे बने घर की तस्वीर दिखाकर अपनी भावनाओं को काबू में करने की कोशिश कर रहे हैं। शहीद राकेश सिंह अपने घर के इकलौते कमाने वाले सदस्य थे। वह अपने भाइयों में सबसे छोटे थे। शहीद राकेश सिंह के पिता ने हमलावरों के खिलाफ केंद्र सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
हवलदार अशोक कुमार सिंह (44), भोजपुर, बिहार
उरी आतंकी हमले में शहीद हुए हवलदार अशोक कुमार सिंह (44) के पिता जगनारायण सिंह के आंखों की रोशनी 20 साल पहले ही चली गई थी। वह भले ही कुछ देख नहीं सकते हों बावजूद इसके उनकी चाहत है कि वह भारतीय सेना की तरफ से पाकिस्तान के खिलाफ लड़ें। वह अपने बेटे का बदला लेना चाहते हैं। उनका कहना है कि जिस तरह से आतंकियों ने हमारे जवानों को शहीद किया मैं उन्हें भी मारना चाहता हूं।
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नायक सुनील कुमार विद्यार्थी (40), बोकनरी, गया (बिहार)
उरी में शहीद हुए नायक सुनील कुमार विद्यार्थी (40), बिहार के गया जिले के बोकनरी गांव के रहने वाले थे। उनके शहीद होने की खबर जैसे ही उनके गांव पहुंची उनके पिता मथुरा यादव (68) ने बताया कि ये मेरे लिए गौरव का पल है। मेरे परिवार में केवल मेरा बेटा ही सेना में गया। वह हमेशा शिक्षा को महत्व देता था और चाहता था कि अपनी बेटियों को अच्छी शिक्षा मुहैया कराए।
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शहीद सुनील कुमार विद्यार्थी की ती बेटियां हैं जो गया में अपनी मां किरण के साथ रहती हैं। विद्यार्थी करीब ढ़ाई महीने पहले अपने गांव आए थे। उन्होंने उस समय अपने पिता से कहा था कि वह दशहरा पर घर आएंगे। इस दौरान वह अपने घर की मरम्मत कराएंगे। हालांकि इससे पहले ही उनके शहीद होने की खबर आ गई।
सिपाही राजेश कुमार सिंह (33), भाकुर गांव, जौनपुर (यूपी)
सिपाही राजेश कुमार सिंह के भाई उमेंद्र को अपने भाई के फोन का इंतजार था। जिनकी पोस्टिंग कश्मीर में हुई थी। फोन तो नहीं आया हां उनके शहीद होने की खबर जरूर उमेंद्र तक पहुंच गई। उमेंद्र ने बताया कि वह करीब 20 दिन पहले ही गए थे और इस दौरान उनसे कोई बातचीत नहीं हुई थी। इस इंतजार भरे पल के बीच ये खबर आ गई।
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राजेश ने 12 साल पहले सेना ज्वाइन की थी। वह अपने तीन भाइयों में सबसे छोटे थे। उमेंद्र ने बताया कि हमारे पास ज्यादा जमीन नहीं थी इसलिए राजेश कुमार में सेना में चले गए और हम दो भाई काम के सिलसिले में लखनऊ आ गए। उन्होंने बताया कि मेरे पिता दिल की बीमारी से ग्रसित हैं और उन्हें हम ये खबर नहीं दे सकते हैं। अगर उन्हें ये पता चला तो वो बर्दाश्त नहीं कर सकेंगे। राजेश के पीछे उनकी पत्नी जूली और रिशांत (10) हैं।
सिपाही हरेंद्र यादव (26), गईन देवपुर, गाजीपुर (यूपी)
26 वर्षीय सिपाही हरेंद्र यादव के परिवार में उनकी पत्नी, दो बेटे समेत उनके माता-पिता और चार बड़े भाई, एक छोटा भाई हैं। अपने परिवार हरिंदर अकेले सरकारी नौकरी में थे। उनके बाकी भाई राजस्थान में श्रमिक की नौकरी करते हैं।
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हरेंद्र की पत्नी और बच्चे गांव में ही रहते हैं। ये जानकारी हरेंद्र के छोटे भाई नगेंद्र ने दी है। नगेंद्र ने बताया कि भले ही हमारा परिवार बड़ा हो लेकिन हमारे भाई ने इसे एकजुट रखने का काम किया। उन्होंने कुछ साल पहले अपना एटीएम कार्ड मुझे दे दिया था। जिससे घर की जरूरत के मुताबिक मैं पैसे निकाल सकूं। नगेंद्र ने बताया कि हमारे पास 6 बीघा खेती योग्य जमीन है।
लांसनायक राजेश कुमार यादव (35), दुबर्धा गांव, बलिया (यूपी)
उरी हमले में शहीद हुए लांसनायक राजेश कुमार यादव बलिया के दुबर्धा गांव के रहने वाले थे। उनके पीछे उनकी पत्नी पार्वती देवी हैं जो 8 महीने की गर्भवती हैं। साथ ही उनकी मां सिमरिया देवी हैं जो दिल की बीमारी से पीड़ित हैं। दोनों महिलाओं की स्थिति को देखते हुए राजेश कुमार के पड़ोसियों और परिवार के दूसरे सदस्यों ने उनके घर का रास्ता रोक दिया है। उनके ऐसा करने के पीछे मंशा यही है कि अगर उनके घर में ये खबर पहुंच गई तो दोनों महिलाओं का क्या होगा?
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राजेश के सबसे छोटे भाई और पेशे से किसान विकेश यादव ने बताया कि हम नहीं चाहते कि कोई भी ये खबर दोनों महिलाओं तक लेकर जाएं। हम सभी लोगों को रास्ते में ही रोक ले रहे हैं। हालांकि कुछ लोग शहीद राजेश की पत्नी पार्वती तक पहुंच गए और उन्हें सारी जानकारी दे दी। इस बीच हमने जिला प्रशासन से एंबुलेंस और डॉक्टर की सुविधा मुहैया कराने की बात कही है। राजेश ने 18 साल पहले आर्मी ज्वाइन की थी। वह 20 दिन पहले ही कश्मीर गए थे।
सिपाही नाईमान कुजुर (30), चैनपुर, गुमला (झारखंड)
एक दिन पहले ही सिपाही नाईमान कुजुर (30) ने अपनी पत्नी बीना को फोन करके कहा था कि वह बच्चों की और अपनी फिक्र करें उनकी नहीं। एक दिन बाद ही वो उरी हमले में शहीद हो गए। ये बातें बीना ने कही हैं। उन्होंने कहा कि वह खुद सेना में जाने की तैयार हैं। अगर आतंकी मेरे सामने आएंगे तो मैं उन्हें नहीं छोडूंगी।
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बीना ने साल 2013 में नाईमान से शादी की थी। अब उनके सामने तीन साल के बेटे अभिनव को पालने की जिम्मेदारी है।
सिपाही गणेश शंकर (34), घूरापल्ली गांव, संत कबीर नगर (यूपी)
उरी आतंकी हमले में शहीद हुए सिपाही गणेश शंकर (34) के घर पर जब ये खबर पहुंची तो वहां शादी की तैयारी चल रही थी। उनकी छोटी बहन इंद्रावती (20) की शादी कुछ दिन बाद थी। हालांकि जैसे ही ये खबर उनके घर पहुंची शादी की तैयारियों की जगह मातम का माहौल पसर गया।
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गणेश के बड़े भाई सुरेश चंद्र यादव ने बताया कि इंद्रावती की शादी गोरखपुर में तय हुई थी। हम इसकी तैयारियों में लगे हुए थे लेकिन गणेश शंकर के शहीद होने की खबर आ गई। सुरेश चंद्र पेशे से किसान हैं। शहीद गणेश के पीछे उनकी पत्नी गुड़िया यादव और तीन बच्चे अमृता (9), अंकित (7) और खुशी (4) हैं।
सूबेदार करनैल सिंह (46), शिबू चाक, जम्मू (जम्मू-कश्मीर)
सूबेदार करनैल सिंह के शहीद होने की खबर जैसे ही उनके घर पहुंची उनके 19 वर्षीय बेटे (अनमोल) ने भी सेना में जाने का फैसला कर लिया। अनमोल ने कहा कि मुझे अफने पिता पर गर्व है क्योंकि उन्होंने देश के लिए अपना बलिदान दिया है। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद मैं भी सेना में शामिल होकर अपने पिता के सपने को पूरा करूंगा।
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अनमोल बीए फर्स्ट ईयर के छात्र हैं। अनमोल ने बताया कि तीन दिन पहले ही उनके पिता से उनकी बात हुई थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि कड़ी मेहनत करो जिससे परीक्षा में अच्छे अंक आएं। शहीद करनैल सिंह का पार्थिव शरीर जैसे ही उनके गांव पहुंचे लोगों का जनसैलाब उन्हें आखिरी विदाई देने के लिए उमड़ पड़ा।
सिपाही गंगाधर दलाई (23) जमुना बलाई, हावड़ा (पश्चिम बंगाल)
उरी हमले शहीद हुए सिपाही गंगाधर दलाई (23) के घर की स्थिति बेहद गंभीर थी। उनकी दो कमरों की झोपड़ी थी जिसके रास्ते में कीचड़ था और पड़ोसियों ने बालू डालकर किसी तरह से इसे सुखाया था। दूसरे ग्रामीण ने पास के पेड़ों पर ट्यूबलाइट लगाकर वहां उजाला करने की कोशिश की थी। ये सारी तैयारियां इसलिए की जा रही थी क्योंकि उनके शहीद जवान का पार्थिव शरीर वहां लाया जा रहा था।
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एक ग्रामीण ने बताया कि गंगाधर दलुई चाहते थे कि उनकी घर की हालत सुधर जाए इसके लिए वह काफी मेहनत कर रहे थे। दो साल पहले ही उनका सेना में चुनाव हुआ। उस समय वो कॉलेज में पहले साल में थे।
सिपाही बिश्वजीत घोराई (22), गंगासागर, दक्षिण 24 परगना (पश्चिम बंगाल)
सिपाही बिश्वजीत घोराई के शहीद होने की खबर जैसे ही उनके घर पहुंची उनकी बहन बुल्टी घोराई ने कहा कि मैं नहीं चाहूंगी कि घर का कोई और सदस्य सेना में शामिल हो। इस क्षति के बदला किसी भी धन से पूरा नहीं किया जा सकता है। क्या पैसे से मेरा भाई वापस आ सकता है। वह पश्चिम बंगाल के गंगासागर इलाके में स्थित अपने घर में ये बातें कह रही थी। उनके घर की हालत बेहद खराब थी। यहां तक कि उनके घर पहुंचने वाले रास्ते में कोई प्रकाश की व्यवस्था भी नहीं की गई थी।
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हालांकि शहीद बिश्वजीत घोराई के पिता रविंद्रनाथ घोराई ने कहा कि शहीद कभी मरते नहीं हैं। मैंने अपना बेटा खोया है। मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं जिंदा कैसे रहूंगा। लेकिन मैं ये जरूर कहूंगा कि मुझे उस पर गर्व है।
हवलदार निंबसिंह रावत (48), राजवा, राजसमंद (राजस्थान)
शहीद हवलदार निंबसिंह रावत ने पिछली बार करीब आठ दिन पहले अपने परिवार से बात की थी। उनके छोटे भाई लक्ष्मण सिंह ने बताया कि उन्होंने अपनी पत्नी से बेहद छोटी बात की थी। उनका मोबाइल नेटवर्क नहीं आने की वजह से पूरा बात नहीं हो सकी।
शहीद की बेटी बोली, मैं IIT में पढ़ना चाहती थी लेकिन अब...
शहीद निंबसिंह रावत का गांव नेशनल हाइवे 8 से करीब 15 किमी. दूर है। ये इलाका अरावली की पहाड़ियों से घिरा हुआ है। जिसकी वजह से नेटवर्क की समस्या रहती है।
लांसनायक चंद्रकांत गलांडे (27), जशी गांल, सतारा
लांसनायक चंद्रकांत गलांडे के शहीद होने की खबर जैसे ही उनके पिता शंकर गलांडे को मिली उनकी आंखों से आंसू बहने लगे। उन्होंने कहा कि जैसे ही मुझे पता चला कि आतंकियों ने हमला किया है तो मुझे लगा कि मेरे तीनों बेटे मेरे पास आ जाएं। फिलहाल इस खबर के बाद अब चाहता हूं कि मेरे दोनों बेटे सुरक्षित होंगे। मैं केंद्र सरकार से बस यही चाहूंगा कि वह हमारे बच्चों को सुरक्षा प्रदान करें। वो ऐसे शहीद नहीं हों जैसे मेरा एक बेटा हुआ है।
तिरंगे में लिपटा पहुंचा शव, पिता के अरमान पूरे करने बेटियां निकलीं स्कूल
बता दें कि शंकर गलांडे के दो अन्य बेटे भी सेना में हैं और नॉर्दर्न सेक्टर में तैनात हैं। लांसनायक चंद्रकांत गलांडे को मंगलवार के दिन पूरे राजकीय सम्मान के साथ आखिरी विदाई दी गई।
सिपाही टीएस सोमनाथ (25), खडंगली गांव, नासिक (महाराष्ट्र)
सिपाही टीएस सोमनाथ भी उरी हमले में शहीद हुए हैं। उनके पिता को हाल ही सीने में दर्द के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दरअसल उन्होंने तीन एकड़ में प्याज का उत्पादन किया लेकिन प्याज के दाम बहुत गिर गए। ये सदमा वह बर्दाश्त नहीं कर सके और उनके सीने में दर्द शुरू हो गया जिसके बाद उन्हें अस्पताल पहुंचाया।
भारत V/s पाकिस्तान: पढ़ लीजिए किसमें कितना है दम?
अभी वो ठीक हुए ही हैं कि उनके बेटे के शहीद होने की खबर ने उन्हें पूरी तरह से झकझोर के रख दिया। उन्होंने जब से ये खबर सुनी है चुपचाप हो गए हैं। संदीप के रिश्तेदार ध्यानेश्वर चवांके ने बताया कि संदीप की यादें हमारे आस-पास मौजूद हैं। संदीप अपने 4 भाई-बहनों में सबसे छोटे थे।
सिपाही विकास जनराव उईक (26), नंदगांव (खंडेश्वर), अमरावती
सिपाही विकास जनराव उईक के शहीद होने की खबर जैसे ही उनकी मांग बेबीताई उईक (50) को हुई, पहले तो वह बेहोश हो गई। जब उन्हें होश आया तो उन्होंने कहा कि वह हमारे परिवार का मुखिया था। उन्होंने कहा कि विकास हर महीने 10 हजार रुपये परिवार के खर्च के लिए भेजते थे। वह अपने छोटी बहन प्रीती की शादी के लिए पैसे जमा कर रहे थे।
आतंकवाद के खिलाफ कैसे लड़ी इजरायल ने अपनी लड़ाई
विकास एक महीने पहले ही आए थे और वादा किया था कि वह जल्द ही वापस आएंगे। उन्होंने कहा था कि उनकी और उनके भाई की शादी एक ही पंडाल में होगी। वो आकर अपने लिए लड़की भी खोजेंगे। लेकिन अब ऐसा कुछ भी नहीं होगा।
सिपाही के विकास जनार्दन, पूरद नेहाद, यवतमाल (महाराष्ट्र)
महाराष्ट्र के यवतमाल जिले के वनी तहसील सिपाही के विकास जनार्दन का घर था। जनार्दन उरी हमले के दौरान घायल हो गए थे और अस्पताल में इलाज के दौरान शहीद हो गए थे।
उरी हमले में शहीद जवान ने कहा था- जितनी बात कर सको कर लो मां
विकास ने 2008 में सेना ज्वाईन की थी। उन्हें 6 महीने पहले उरी कैंप में ट्रांसफर किया गया था। दो साल पहले ही उनकी शादी हुई थी।