'जय श्रीराम' और 'हिंदू' होने की वजह से ऑक्सफोर्ड में नस्लवाद का शिकार हुईं रश्मि, विदेश मंत्री ने उठाया मुद्दा
जय श्रीराम व हिंदू होने की वजह से ऑक्सफोर्ड में नस्लवाद का शिकार हुई थीं रश्मि सामंत, अब राज्सभा में विदेश मंत्री ने उठाया मुद्दा
नई दिल्ली: भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने सोमवार (15 मार्च) को राज्यसभा में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में बढ़ रहे नस्लवाद का मुद्दा उठाया। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में हाल ही में दक्षिण भारत की रहने वाली छात्रा रश्मि सामंत को विरोध के कारण ऑक्सफोर्ड स्टूडेंट यूनियन की अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। रश्मि सामंत का विरोध जय श्रीराम का नारा और हिंदू होने की वजह से हुआ। पूरा मामला जानने से पहले आइए ये जानते हैं कि राज्सभा में विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने इस मामले पर क्या कहा है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने राज्यसभा में कहा है, हम महात्मा गांधी के देश के लोग हैं, ऐसे में नस्लवाद और जातिवाद के मुद्दे से हम कभी आंखें नहीं फेर सकते हैं। वो भी उस देश में जहां भारतीय बड़ी संख्या में रहते हों। यूके के साथ हमारे मजबूत संबंध हैं। अगर कोई मामला सामने आता है तो हम उनके सामने जरूर उठाएंगे। हम इस मामलो पर करीब से नजर रखे हुए हैं। आइए जानें क्या है पूरा माजरा?
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ऑक्सफोर्ड स्टूडेंट यूनियन अध्यक्ष बनने के बाद चर्चा में आई थीं रश्मि सामंत
कर्नाटक के उडुपी की रहने वाली 22 वर्षीय रश्मि सामंत 11 फरवरी 2021 को ऑक्सफोर्ड स्टूडेंट यूनियन की अध्यक्ष चुनी गई थीं। रश्मि पहली भारतीय महिला बनीं, जिन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में यह पद हासिल किया था। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार रश्मि सामंत के साथ इस पद के लिए तीन और प्रतियोगी थे। जिसमें से रश्मि सामंत को सबसे अधिक वोट मिले थे। 3,708 वोटों में से रश्मि को 1,966 वोट मिले थे। जो बाकी अन्य दो उम्मीदवारों से ज्यादा थे। रश्मि मणिपाल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी की पूर्व छात्रा भी हैं। इसकी के बाद रश्मि सामंत चर्चा में आईं। उन्हें एक ओर जहां अखबरों और न्यूज चैनलों पर सराहा गया तो वहीं दूसरी ओर अपनी हिंदू पहचान को लेकर ऑक्सफोर्ड में नस्लवाद का शिकार होना पड़ा।
रश्मि सामंत ने 5 दिनों के भीतर ऑक्सफोर्ड स्टूडेंट यूनियन अध्यक्ष के पद से दिया इस्तीफा
रश्मि सामंत जैसे ही ऑक्सफोर्ड स्टूडेंट यूनियन की अध्यक्ष बनीं, उन्हें सोशल मीडिया पर आलोचनाओं और दुर्व्यवहारों का सामना करना पड़ा। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में एमएससी की छात्रा रश्मि सामंत आखिरकर ऑनलाइन ट्रोलिंग से परेशान होकर पांच दिनों के भीतर इस्तीफा देने के लिए मजबूर हो गईं और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
अब सवाल उठता है कि आखिर रश्मि को किस वजह से ट्रोल किया गया और क्यों वह नस्लवाद का शिकार हुईं? असल में रश्मि सामंत ने 2017 में जर्मनी में बर्लिन होलोकास्ट मेमोरियल की यात्रा के दौरान कुछ तस्वीरें पोस्ट की थीं। यात्रा के दौरान बर्लिन होलोकॉस्ट मेमोरियल के सामने से भी रशिम सामंत ने तस्वीर पोस्ट की थी, जिसके कैप्शन में उन्होंने लिखा था, "स्मारक पिछले अत्याचारों और कर्मों का एक खोखला सपना दिखाता है"। एक तस्वीर में रशिम मलेशिया के बुद्ध मंदिर के बाहर दिखाई दे रही हैं। जिसमें उन्होंने कैप्शन लिखा था, चिंग चांग। जिससे चीन के छात्र नाराज हो गए थे। वहीं इसी तरह के रश्मि के कुछ पुराने पोस्ट को लेकर उनके ऊपर गंभीर आरोप लगाए गए। इन सब पोस्टों के बारे में ऑक्सफोर्ड द्वारा प्रकाशित होने वाले एक साप्ताहिक स्टूडेंट अखबार 'चेरवेल'में लिखा भी गया। जिसके बाद ये रशिम सामंत के खिलाफ विवाद और भी बढ़ गया।
इसके बाद ऑक्सफर्ड कैम्पेन फॉर रेशियल अवेयरनेस एंड इक्वलिटी और ऑक्सफर्ड LGBTQ+ कैम्पेन ने सामंत से इस्तीफे की मांग कर दी। हालांकि इसके बाद रश्मि सामंत ने एक ओपेन लेटर लिखकर माफी भी मांगी लेकिन विवाद नहीं थमा।
रश्मि सामंत को हिंदू होने और जय श्रीराम के लिए भी निशाना बनाया गया
हद तो तब हो गई जब सोशल मीडिया पर रश्मि सामंत को हिंदू होने और जय श्रीराम के लिए निशाना बनाया जाने लगा। सोशल मीडिया पर ऐसे कई पोस्ट किए गए थे जिसमें रश्मि को एक समर्पित हिंदू होने के लिए भी निशाना बनाया जा रहा था। ऑक्सफोर्ड के एक फैकल्टी मेंबर ने रश्मि सामंत के माता-पिता को भी इस विवाद के साथ जोड़ा लिया। ऑक्सफोर्ड के एक फैकल्टी मेंबर ने अपने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया, जिसमें रश्मि सामंत के माता-पिता के सोशल मीडिया अकाउंट पर भगवान श्री राम की तस्वीर लगी थी, तस्वीर पर कैप्शन था- 'जय श्रीराम एक ही नारा'। इस तस्वीर को पोस्ट कर ऑक्सफोर्ड के फैकल्टी मेंबर ने रश्मि सामंत पर आरोप लगाया कि रश्मि के छात्र परिषद चुनावों को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वित्त पोषित किया गया था।
इन्ही सारी पोस्ट और तस्वीरों को आधार बनाकर रश्मि सामंत पर नस्ली और असंवेदनशील होने का आरोप लगाया गया। उन्हें नस्लवादी, इस्लामोफोबिक, ट्रांसफोबिक और यहूदी विरोधी बताया गया। इन्ही सब बातों और अप्रत्यक्ष रूप से दबाव बनाने के बाद रश्मि सामंत ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
'ये सच है कि मैं हिंदू हूं....', रश्मि ने अपने इस्तीफा पत्र में क्या-क्या कहा?
रश्मि ने सामंत ने अपने पद से इस्तीफा देने के बाद अपने घर कर्नाटक के उडुपी जिले में रहने आ गई हैं। यहां आने के बाद उन्होंने कई मीडिया चैनलों और अखबारों को इंटरव्यू देकर बताया कि कैसे उनको एक हिंदू होने और माता-पिता के भगवान राम में आस्था रखने के लिए सोशल मीडिया पर परेशान किया गया। इन सब बातों का जिक्र रश्मि सावंत ने अपने ओपन लेटर में किया था, जिसमें उन्होंने अपने इस्तीफे की घोषणा की थी।
रश्मि ने इस लेटर में उन सभी लोगों का धन्यवाद किया है, जिन्होंने ऑक्सफोर्ड में छात्र संघ अध्यक्ष के रूप में उन्हें चुनने के लिए वोट किया था। उन्होंने इसे अपने जीवन का सबसे बड़ा सम्मान बताया है।
इस पत्र में रश्मि ने ऑक्सफोर्ड के उस फैकल्टी मेंबर का भी जिक्र किया है, जिन्होंने उनके माता-पिता के सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर उनके धर्म और आस्था पर सवाल किए। रश्मि ने लिखा था, ''हा ये बिल्कुल सच है कि मैं हिंदू हूं...यह मुझे ऑक्सफोर्ड एसयू का अध्यक्ष पद पर बनने के लिए असहिष्णु या अनफिट नहीं बनाता है। मैंने अपने कदम सोचसमझ कर पीछे खींच लिए हैं...क्योंकि मेरे धर्म और संस्कारों ने मुझे बहुत संवेदनशील सिखाया है। मैं उन लोगों की भावनाओं के प्रति संवेदनशीलता महसूस करती हूं, जिन्होंने मुझे ऑक्सफोर्ड एसयू का अध्यक्ष पद को लिए चुना। मैं पर्लनल लेवल पर ऑनलाइबुलिंग से पड़ने वाले प्रभावों के प्रति भी संवेदनशील हूं, संवेदनशीलता के नाम पर मेरे खिलाफ गलत तरीके से टागरेट किया गया।''
रश्मि सामंत का ट्विटर अकाउंट किया गया था अस्थायी रूप से सस्पेंड!
कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट ट्विटर ने इस विवाद के बाद अस्थायी रूप से रश्मि सामंत का अकाउंट प्रतिबंधित कर दिया था। रातों-रात उनके फॉलोअर्स जीरो हो गए थे। गोवा क्रॉनिकल के कानूनी संपादक शशांक शेखर ने अपने ट्विटर अकाउंट पर इसके बार में लिखा भी था। उन्होंने लिखा था, रश्मि सामंत के ट्विटर अकाउंट को 8 मार्च को मनमाने ढंग से निलंबित कर दिया गया था।
इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में रश्मि सामंत ने कहा है, "मुझे विश्वास है कि संस्कृति का दिखावा करने वालों ने मुझे जानकर ट्रोल किया। मुझे ट्रोल करने के लिए 2017 के मेरे पोस्ट का सहारा लिया गया। लेकिन चुनाव प्रक्रिया के दौरान किसी ने कोई मुद्दा नहीं उठाया। मेरे जीतने के बाद ही उन्हें जानकर उठाया गया। मेरा मानना है कि मेरे पोस्ट दुर्भावनापूर्ण या नस्लवादी नहीं थे। जो मेरे साथ हुआ है ये किसी अपराध से कम नहीं है और आपको इसे कुछ खास तरीकों से समझना होगा।''
रश्मि सामंत ने कहा, ''मैं उन सभी से एक सवाल पूछना चाहती हूं जिन्होंने मुझे अतीत के अपने सोशल मीडिया पोस्ट का हवाला देते हुए असंवेदनशील और नस्लवादी करार दिया। क्या आप संवेदनशील हो रहे हैं जब आप एक गैर-देशी अंग्रेजी बोलने वाले किशोरी के सोशल मीडिया कैप्शन के आधार पर किसी व्यक्ति के मूल्य का आंकलन करते हैं?...''