
Anti Ragging Law : सीनियर होने की धौंस पर करियर चौपट, तीन साल जेल ! 13 साल पहले SC के संज्ञान पर बना कानून
उत्तराखंड के मेडिकल कॉलेज में 40 छात्रों के कपड़े उतरवाने का मामला सामने आने के बाद ये जानना जरूरी है कि भारत में रैगिंग से संबंधित कानून (Anti Ragging Law) क्या कहते हैं। दरअसल, कॉलेजों में जूनियर छात्रों का परिचय हासिल करने के नाम पर कई बार सीनियर स्टूडेंट तमाम सीमाएं लांघ जाते हैं। नए माहौल में खुद को ढालने की जद्दोजहद करते फ्रेशर्स यानी जूनियर कई बार सीनियर्स की धौंस के सामने टूट जाते हैं और जीवन समाप्त करने जैसा भयानक स्टेप उठा लेते हैं। 13 साल पहले हुई ऐसी ही घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था, जहां हिमाचल के एक मेडिकल कॉलेज में छात्र की मौत हो गई थी।

जेल की सलाखों के पीछे जाएंगे आरोपी
2009 में हिमाचल प्रदेश के मेडिकल कॉलेज में स्टूडेंट अमन की मौत के बाद देश की सबसे बड़ी अदालत ने रैगिंग के मामले की गंभीरता को समझा। कानून का डंडा चलने पर सख्ती हुई और भारत में रैगिंग अपराध की श्रेणी में रखा गया। जानना दिलचस्प है कि रैगिंग कॉलेजों में होने वाली किन एक्टिविटीज को कहा जाता है। दोष साबित होने पर आरोपी स्टूडेंट का पूरा करियर चौपट होने की आशंका होती है। 36 महीनों की जेल का प्रावधान है ऐसे में दोष साबित होने पर रैगिंग करने के आरोपी छात्र के करियर के सुनहरे दिन सीनियर होने की धौंस जमाने के कारण सलाखों के पीछे बीत सकते हैं।

भारत में रैगिंग अपराध
करीब 13 साल पहले हिमाचल प्रदेश के एक छात्र की मौत के बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था। इस मामले को धर्मशाला के अमन काचरू केस 2009 के रूप में जाना जाता है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा था कि रैगिंग की गंभीरता को भांपते हुए इसके खिलाफ कानून बनाने के लिए समिति का गठन किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट की इस समिति ने रैगिंग को शिक्षा प्रणाली में सबसे बड़ा घाव करार दिया था।

क्या है रैगिंग के खिलाफ UGC का कानून
उच्च शिक्षण संस्थानों में रैगिंग के खिलाफ कानून पर दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक रंगरूप या पहनावे को निशना बनाकर टारगेट किए जाने और विचलित या परेशान करने की नीयत से नामकरण की कोशिश रैगिंग के दायरे में आएगी। स्टूडेंट को क्षेत्र, भाषा या जाति के आधार पर परेशान करना या अपमानजनक नाम लेकर पुकारना भी रैगिंग के तहत अपराध। किसी छात्र की नस्ल या फैमिली को लेकर टिप्पणी या आर्थिक पृष्ठभूमि के आधार पर लज्जित या अपमानित करना रैगिंग माना जाएगा।

कितनी सजा मिल सकती है
छात्र-छात्राओं (खास तौर पर फ्रेशर्स) को अजीबोगरीब नियम के नाम पर परेशान करना। अपमानजनक टास्क या उनके स्वाभिमान से खिलवाड़ भी रैगिंग। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने स्पष्ट कहा है कि यदि किसी छात्र के बारे में की गई ऐसी बात जो उसके धर्म, जाति या क्षेत्रीयता के आधार पर हो और उसे ऐसे कथित मजाक से अपमान का एहसास हो तो ऐसी एक्टिविटी रैगिंग के दायरे में आएगी।

शिक्षा प्रणाली के सबसे बड़े घाव का इलाज कैसे ?
UGC के नियमों में रैगिंग की सबसे सख्त सजा तीन साल का सश्रम कारावास है। यानी मस्ती के नाम पर जूनियर छात्रों के सामने सीनियर होने की धौंस जमाने वाले छात्रों को उनकी आपत्तिजनक एक्टिविटी जेल की सलाखों के पीछे भी पहुंचा सकती है।