कौन हैं गिरीश चंद्र मुर्मू, जिन्हें पीएम मोदी ने बनाया जम्मू-कश्मीर का पहला उपराज्यपाल
नई दिल्ली। मोदी सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर जम्मू-कश्मीर का नया इतिहास लिखा, 31 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो नए केंद्र शासित प्रदेश बनकर भारत के नक्शे पर आएंगे। इसके साथ ही शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर को उसका पहला उपराज्यपाल भी मिल गया है, मोदी सरकार ने अपने सबसे विश्वसनीय वरिष्ठ आईएएस अधिकारी गिरीश चंद्र मुर्मू को यह जिम्मेदारी सौंपी है। मुर्मू पीएम मोदी और अमित शाह के बेहद करीबी माने जाते हैं। काफी तेज तर्रार माने जाने वाले अधिकारी गिरीश चुंद्र मुर्मू वर्ष 2004 से ही पीएम मोदी के साथ काम कर रहे हैं। आइए जानते हैं कौन हैं गिरीश चुंद्र मुर्मू, जिनपर सरकार ने जम्मू-कश्मीर को लेकर इतना भरोसा जताया है।
ओडिशा में है मूल निवास
साल 1985 बैच के आईएएस अधिकारी गिरीश चुंद्र मुर्मू का मूल निवास स्थान ओडिशा के सुंदरगढ़ में है, उन्होंने उत्कल यूनिवर्सिची से पॉलिटिकल साइंस में एमए किया और उसके बाद एमबीए की डिग्री लेने के लिए वह ब्रिटेन चले गए। मुर्मू ने बर्मिंगम यूनिवर्सिटी से एमबीए किया और फिर भारत आने के बाद सिविल सर्विसेज में आ गए। पीएम मोदी के बेहद करीबी माने जाने वाले मुर्मू को गुजरात में आइएएस अधिकारी के तौर पर नियुक्ती मिली। वर्ष 2004 से वह पीएम मोदी के साथ काम करते रहे हैं, उनकी काबिलियत को देखते हुए उन्हें दोहरी जिम्मेदारी सौंपी गई थी। जब पीएम मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो मुर्मू उनके सेक्रटरी रहे इसके अलावा वह गृह विभाग के भी सेक्रटरी थे।
पीएम मोदी के विश्वसनीय हैं मुर्मू
वर्तमान में वित्त विभाग में व्यय विभाग के सचिव गिरीश चंद्र मुर्मू की गिनती पीएम मोदी के सबसे करीबी अफसरों में की जाती है। गुजरात में मोदी के कार्यकाल के दौरान उन्हें अहम जिम्मेदारियां दी गई थीं। वर्ष 2014 में जब मोदी प्रधानमंत्री बने तो मुर्मू को भी दिल्ली में बड़ी जिम्मेदारी दी गई थी। वित्त विभाग में व्यय विभाग के सचिव के तौर पर वरिष्ठ आइएएस मुर्मू के नाम का ऐलान पिछले साल नवंबर में ही हो गया था लेकिन उन्होंने इस साल के अंत में पदभार संभाला। अब उन्हें नए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर का पहला उपराज्यपाल बनाया गया है।
इस वजह से रहे चर्चा में
पीएम मोदी के सबसे भरोसेमंद आइएएस अफसरों में रहे गिरीश चुंद्र मुर्मू उस समय चर्चा में आए जब सरकार के उपर खजाना खाली होने का संकट मंडरा रहा था। मुर्मू ने इस संकट से पीएम मोदी को निकालने के लिए वित्त आयोग से केंद्र सरकार के लिए ज्यादा राजस्व की मांग की थी। इसके अलावा उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा चलाई जाने वाली कई योजनाओं के विलय करने और कुछ को रोकने का सुझाव दिया, जिसके बाद सरकार पर खर्चे का दबाव कम हुआ और वित्तिय संकट को दूर किया जा सका। उन्होंने राजस्व, राजकोषीय घाटा और व्यय के बीच संतुलन बनाने पर भी जोर दिया।
जम्मू-कश्मीर में होंगी ये चुनौतियां
आतंकवाद और अलगाववाद से जूझ रहे जम्मू-कश्मीर में गिरीश चंद्र मुर्मू को कई बड़ी चुनौतियों का सामना भी करना पड़ेगा। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से जन्मे हालात को संभालते हुए वहां के सभी स्थानीय लोगों का विश्वास जीतना होगा, वहीं, मुर्मू को पीएम मोदी की उम्मीदों पर भी खरा उतरते हुए राज्य में सामान्य होते हालात को बेहतर करना होगा। गिरीश चंद्र मुर्मू की शक्तियों की बात करें तो उनके नियंत्रण में आईएएस, आईपीएस और एसीबी (भ्रष्टाचार रोधी आयोग) होगा। इन सभी पदों पर जम्मू-कश्मीर में चुनी जाने वाली सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा।