सांसद निधि के निलंबन पर कार्ति चिदंबरम ने उठाए सवाल, कहा- यह एक भयावह कदम है
नई दिल्ली। मोदी सरकार द्वारा कोरोना की महामारी से जंग लड़ने के लिए सांसद निधि को दो साल तक स्थगित के फैसले पर कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने सरकार द्वारा लागू के लिए गए निर्णय को 'बुरी चाल' कहा है। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा की बेकार परियोजनाओं को खत्म किया जाना चाहिए। बता दें कि सरकार के इस निर्यण पर जहां कांग्रेस के कुछ सांसदों ने समर्थन किया है। वहीं अधिकतर विपक्ष के नेताओं ने भी विरोध किया है।
एमपीलैड को दो साल के लिए खत्म करना बिल्कुल अस्वीकार्य है
सोमवार को कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने कहा कि, अगर सरकार को धन इकट्ठा करना है, तो कई तरीके हैं, लेकिन एमपीलैड को दो साल के लिए खत्म करना बिल्कुल अस्वीकार्य है। निर्वाचन क्षेत्रों के सांसदों को अधिकार विहीन करना और इस तरह चुपके से सरकार को राष्ट्रपति शासन का रूप देना भयावह है।
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अपनी पार्टी के नेताओं को लिया निशाने पर
कार्ति ने कहा कि, MPLAD फंड सस्पेंशन का स्वागत करने वाले शहरी मानसिकता से बाहर निकलें। वे उनके संसदीय क्षेत्र शिवगंगा में आकर देखें कि सांसद निधि स्थानीय स्तर पर लोगों के लिए कितना लाभकारी है। बता दें कि, कांग्रेस पार्टी के नेता जयराम रमेश ने सांसद निधि को दो साल के लिए निलंबित किए जाने के फैसले का स्वागत किया था।
शशि थरूर ने उठाए सवाल
जयराम रमेश के बयान पर कार्ति ने निशाना साधते हुए कहा कि, ऐसी बात वही कर सकता है जिसने कभी चुनाव न लड़ा हो और उसे कभी जनता को सीधे जवाब नहीं देना पड़ा हो। कार्ति चिदंबरम के अलावा कांग्रेस के कई अन्य नेताओं मनीष तिवारी, शशि थरूर, तरुण गोगोई और मणिक्कम टैगोर ने भी सांसद निधि स्थगित करने के मोदी सरकार के फैसले पर सवाल उठाए हैं। शशि थरूर ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री को सुझाव दिया की सांसद निधि की राशि भले कोरोना से जंग लड़ने में खर्च की जाए मगर यह स्थानीय स्तर पर सांसदों के इलाके में ही खर्च की जाए। साथ ही उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि इस राशि को केंद्र सरकार की समेकित निधि में शामिल करने के फैसले पर पुनर्विचार हो।
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