पूर्व CEC कृष्णमूर्ति बोले, बेहतर होता अगर कर्नाटक में राष्ट्रपति शासन लगता
बेंगलूरू: पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएस कृष्णमूर्ति ने कर्नाटक चुनाव में किसी भी दल को बहुमत न मिलने पर बड़ा बयान दिया है और कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन बेहतर विकल्प हो सकता था। कर्नाटक चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं प्राप्त हुआ था। लेकिन येदुरप्पा ने राज्यपाल के न्योते के बाद शपथ ग्रहण किया तो कांग्रेस ने इसका विरोध किया और मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा था। सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत साबित करने के लिए 28 घंटे का समय दिया लेकिन फ्लोर टेस्ट से कुछ मिनटों पहले ही येदुरप्पा ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद अब राज्य में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार बनने जा रही है।
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएस कृष्णमूर्ति ने कहा कि अगर ऐसी स्थिति में कर्नाटक में सरकार गठन नहीं किया जा सकता था, फिर राष्ट्रपति शासन ही उचित था। इस स्थिति में राज्यपाल को तीन महीने के लिए राष्ट्रपति शासन लगाकर देखना था और अगर सरकार का गठन संभव नहीं था, फिर से इलेक्शन कराया जाता।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शासन विकल्प नहीं है लेकिन इससे पैसे और वक्त की बचत के साथ खरीदफरोख्त आदि जैसी चीजों से बचा जा सकता था। सबसे अच्छी बात यह है कि या तो प्रणाली शुरू करें, जहां राजनीतिक दलों को प्राप्त वोटों के प्रतिशत के आधार पर सीट मिलती है, या जीतने वाले को 33.33% वोट के आधार पर, जिससे निर्वाचन क्षेत्र के प्रति अधिक वफादारी होती।
अगर कोई 33.33% प्रतिशत वोट नहीं प्राप्त करता इस स्थिति में फिर से चुनाव कराया जाता। बता दें कि कर्नाटक में भाजपा को 104, कांग्रेस को 78 और जेडीएस+बसपा को 38 सीटें हासिल हुई थीं।