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यूपी में अखिलेश-मायावती के गठबंधन को तोड़ सकता है कर्नाटक का ये सियासी समीकरण!

15 मई को आने वाला चुनाव परिणाम जहां कर्नाटक का भविष्य तय करेगा, वहीं यूपी में 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए होने वाला सपा और बसपा का गठबंधन भी इस राज्य के सत्ता समीकरण पर टिका हुआ है।

By Dharmender Kumar
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नई दिल्ली। कर्नाटक में वोटिंग के बाद अब सभी की निगाहें 15 मई को आने वाले चुनाव परिणाम पर लगी हुई हैं। कर्नाटक के एग्जिट पोल में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिलता ना देख सियासी दलों ने अभी से गठबंधन की संभावनाएं तलाशकर सरकार गठन के समीकरण बनाने शुरू कर दिए हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक 15 मई को आने वाला चुनाव परिणाम जहां कर्नाटक का भविष्य तय करेगा, वहीं यूपी में 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए होने वाला सपा और बसपा का गठबंधन भी इस राज्य के सत्ता समीकरण पर टिका हुआ है।

क्या है वो सियासी समीकरण?

क्या है वो सियासी समीकरण?

दरअसल, कर्नाटक के सभी एग्जिट पोल में एक बात स्पष्ट तौर पर नजर आ रही है कि एचडी देवगौड़ा की पार्टी जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) किंगमेकर की भूमिका में है। इन चुनावों में जेडीएस मायावती की बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरी थी। ऐसे में समाजवादी पार्टी की निगाहें कर्नाटक के सियासी समीकरणों पर लगी हुई हैं। कर्नाटक में जेडीएस-बीएसपी गठबंधन अगर सरकार बनाने के लिए भाजपा के साथ हाथ मिलाता है तो यूपी में बनने वाला अखिलेश-मायावती का गठबंधन मुश्किल में पड़ सकता है।

फिर भी सपा है बेफिक्र

फिर भी सपा है बेफिक्र

समाजवादी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि सपा और बसपा यूपी में भाजपा को अपने कट्टर प्रतिद्वंदी के रूप में देखते हैं। ऐसे में सपा को पूरा भरोसा है कि कर्नाटक में भाजपा-जेडीएस गठबंधन में शामिल होकर मायावती यूपी में अपनी पार्टी के लिए संकट पैदा नहीं करेंगी। सपा नेता ने बताया कि बसपा यूपी की एक बड़ी और मुख्य पार्टी है और राज्य में उसकी उपस्थिति को देखते हुए कर्नाटक में जेडीएस-भाजपा के साथ उसके जाने की कोई संभावना नजर नहीं आती है।

तो क्या भाजपा के साथ जा सकती हैं मायावती?

तो क्या भाजपा के साथ जा सकती हैं मायावती?

हालांकि सियासी जानकार कर्नाटक में भाजपा-जेडीएस गठबंधन में मायावती के शामिल होने की संभावनाओं से इंकार नहीं कर रहे हैं। यूपी में बसपा सरकार के समय कथित तौर पर चीनी मिलों की बिक्री में हुई अनियमितताओं को लेकर मायावती पहले ही सीबीआई के रडार पर हैं। इससे पहले भी मायावती 2002 में भाजपा के 7 विधायकों को अपनी कैबिनेट में शामिल कर मुख्यमंत्री बन चुकी हैं। हालांकि उसके बाद से यूपी के सियासी हालात काफी हद तक बदल चुके हैं।

कर्नाटक में अब मायावती पर निगाहें

कर्नाटक में अब मायावती पर निगाहें

गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव के लिए सपा-बसपा के गठबंधन में अहम भूमिका निभाने वाले समाजवादी पार्टी के एमएलसी उदयवीर सिंह का कहना है कि कर्नाटक में फैसला मायावती को लेना है। उन्होंने कहा कि फिलहाल 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए सपा-बसपा का बनने वाला गठबंधन हर तरह से मजबूत है और उसमें कहीं कोई परेशानी नजर नहीं आ रही है।

ये भी पढ़ें- 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश के साथ गठबंधन पर मायावती का बड़ा ऐलानये भी पढ़ें- 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश के साथ गठबंधन पर मायावती का बड़ा ऐलान

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English summary
Karnataka New Political Equation Can Spoil Akhilesh Mayawati Alliance in UP.
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