Karnataka Floor Test: कौन हैं वो तीन जज जिन्होंने पलटा राज्यपाल वजुभाई का फैसला
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नई दिल्ली। कर्नाटक में सत्ता हासिल करने के लिए चल रहा सियासी ड्रामा अब दिलचस्प मोड़ पर आ चुका है, राज्य में बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता देने के बाद उपजे विवाद पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि कर्नाटक में शनिवार को ही फ्लोर टेस्ट कराया जाएगा। यानी अब तय हो गया कि कर्नाटक में बीजेपी को बहुमत साबित करने के लिए अब 14 दिनों का समय नहीं मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट की 3 सदस्यीय बेंच ने ये फैसला लिया है।
आइए विस्तार से बताते हैं कि कोर्ट के इन तीन जजों के बारे में, जिन्होंने बढ़ाई है येदुरप्पा सरकार की मुश्किलें..
जस्टिस एके सीकरी
जस्टिस एके सीकरी का पूरा नाम अरुण कुमार सीकरी है, जिनका जन्म मार्च, 1954 को हुआ था। इन्होंने दिल्ली विवि से लॉ की पढ़ाई पूरी की और इसके बाद सीकरी 1999 में दिल्ली हाई कोर्ट में जज बने।
सुप्रीम कोर्ट में साल 2013 से...
फिर 2012 में वह पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने। सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने अपना कार्यकाल 12 अप्रैल, 2013 से शुरू किया था। वो लिव इन रिलेशन पर टिप्पणी और दिल्ली में पटाखों पर बैन लगाने के लिए काफी चर्चित रहे हैं।
जस्टिस अशोक भूषण
जस्टिस अशोक भूषण उत्तर प्रदेश के जौनपुर के रहने वाले हैं,5 जुलाई, 1956 को जन्मे जस्टिस अशोक भूषण ने इलाहाबाद विवि से लॉ की पढ़ाई की है। इन्होंने साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट में अपना कार्यकाल शुरू किया। जस्टिस अशोक भूषण का कार्यकाल इस साल 4 जुलाई, 2018 को समाप्त हो रहा है।
जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े
जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े मूलरूप से महाराष्ट्र के नागपुर के रहने वाले हैं, 24 अप्रैल, 1956 में जन्म लेने वाले जस्टिस बोबड़े ने नागपुर यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की है। बॉम्बे हाई कोर्ट में लंबे वक्त तक प्रैक्टिस करने वाले जस्टिस बोबड़े ने साल 2000 में बॉम्बे हाई कोर्ट के अतिरिक्त जज का कार्यभार संभाला था इसके बाद 2012 को वो मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस बने और इसके बाद अप्रैल 2013 वो सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बने, उनका कार्यकाल 23 अप्रैल 2021 को समाप्त होगा।
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