कर्नाटक में मायावती के गठबंधन ने बढ़ाई भाजपा-कांग्रेस के दिलों की धड़कन
नई दिल्ली। कर्नाटक के चुनाव की तारीखे धीरे-धीरे करीब आ रही है, यहां भाजपा और कांग्रेस किसी भी हाल में अपनी जीत को सुनिश्चित करना चाहती हैं, लिहाजा वह इसके लिए अपनी रणनीति बनाने में जुटी हैं। लगातार यहां अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए दोनों दल अलग-अलग समीकरण बनाने में जुटे हैं। 2019 के लिए पहले से ही तमाम दल तीसरे मोर्चे की कवायद में जुटे हैं, लेकिन कर्नाटक के सियासी माहौल में भी अब तीसरे मोर्चे की दस्तक दिखाई देने लगी है। कर्नाटक में जेडीएस का बसपा के साथ गठबंधन ना सिर्फ भाजपा बल्कि कांग्रेस के लिए भी मुश्किल खड़ी कर सकता है। दरअसल कर्नाटक में पिछड़े और ओबीसी वोटर की संख्या काफी अधिक है जिसपर जेडीएस की पकड़ काफी अच्छी है, वहीं ओबीसी वोटर्स में मायावती की पैठ कांग्रेस और भाजपा के लिए मुश्किल बन सकती है।
मुस्लिम वोटों को साधने की कोशिश
कर्नाटक में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने ऐलान किया है कि वह बसपा के साथ गठबंधन करेंगे। देवेगौड़ा की पार्टी जनता दल सेक्युलर ने बसपा के साथ गठबंधन का ऐलान किया है, जिसके बाद माना जा रहा है कि दलित और मुस्लिम समीकरण को साधने के लिए अन्य दल भी अपनी कोशिश में जुट गए हैं। ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तिहाद उल मुस्लिमीन के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद अससुद्दीन ओवैसी ने भी कर्नाटक में 40 सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करने का फैसला लिया है।
क्या है पूरा गणित
सूत्रों की मानें तो जेडीएस और बसपा के बीच गठबंधन की बात चल रही है, ऐसे में अगर दोनों दलों के बीच गठबंधन होता है तो यह भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के लिए मुश्किल खड़ा कर सकता है। आपको बता दें कि कर्नाटक के वोक्कालिगा और ओबीसी वोट बैंक पर जेडीएस और मायावती का काफी प्रभाव है। वहीं पिछले कुछ समय में असदुद्दीन ओवैसी की भी प्रदेश के मुसलमानों में पैठ काफी बढ़ी है। लिहाजा वह मुस्लिम वोटों में बड़ी सेंधमारी कर सकते हैं। प्रदेश में अल्पसंख्यक मतदाताओं की संख्या तकरीबन 17 फीसदी है, जबकि 13 फीसदी मुसलमान वोटर हैं।
ओवैसी पर रहेगी नजर
प्रदेश में दलितों और पिछड़ो की कुल आबादी 32 फीसदी है और वोक्कलिगा समुदाय की कुल आबादी 17 फीसीद है। ऐसे में मुस्लिम और दलित वोटों का बंटवारा कांग्रेस और भाजपा को भारी पड़ सकता है। हालांकि राहुल गांधी पहले ही जेडीएस पर आरोप लगा चुके हैं कि यह भाजपा की बी पार्टी है। ऐसे में मुश्किल है कि कांग्रेस और जेडीएस में गठबंधन हो, लिहाजा कांग्रेस पूरी कोशिश करेगी कि वह ओवैसी की पार्टी के साथ गठबंधन करे ताकि मुस्लिम वोटों का बंटवारा ना हो। कर्नाटक में विधानसभा की कुल 224 सीटें हैं, यहां 12 मई को मतदान होगा और 15 मई को नतीजे आएंगे।
इसे भी पढ़ें- एक देश-एक चुनाव को लेकर भाजपा ने पीएम मोदी को सौंपी रिपोर्ट, 2019 के लिए सुझाया यह फॉर्मूला