कौन हैं जस्टिस दीपांकर दत्ता ? सुप्रीम कोर्ट के नए जज नियुक्त हुए हैं
बॉम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया है। जस्टिस दत्ता के पिता दिवंगत जस्टिस सलिल दत्ता कलकत्ता हाई कोर्ट के जज थे। एक और रिश्तेदार सुप्रीम कोर्ट के जज रहे हैं।
कॉलेजियम सिस्टम को लेकर जारी विवादों के बीच इसी व्यवस्था के तहत सुप्रीम कोर्ट में एक और जज की नियुक्ति की गई है। केंद्र सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता को सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर नियुक्त किए जाने का ऐलान किया है। आपको बता दें कि जस्टिस दत्ता का पारिवारिक बैकग्राउंड भी न्यायाधीशों वाला रहा है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उनकी पदोन्नति की अनुशंसा पिछले साल सितंबर में ही की थी। लेकिन, केंद्र सरकार ने अब सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर उनके नाम का ऐलान किया है। गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से जजों की बहाली का मसला केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच मतभेद की एक बड़ी वजह बनकर उभरा है।
जस्टिस दीपांकर दत्ता सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त
बॉम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया है। रविवार को की गई इस घोषणा के बाद जैसे ही जस्टिस दत्ता सुप्रीम कोर्ट के नए जज के तौर पर शपथ लेंगे, देश की सर्वोच्च अदालत में जजों की मौजूदा संख्या बढ़कर 28 हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया समेत जजों के लिए कुल स्वीकृत पदों की संख्या 34 है। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने जस्टिस दीपांकर दत्ता को पदोन्नति देकर सुप्रीम कोर्ट का जज बहाल किए जाने की घोषणा की है। बॉम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर उन्होंने जो महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं, उनमें गंभीर रूप से बीमार लोगों को घर पर ही वैक्सीन लगाने, महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ शुरुआती जांच का निर्देश देने जैसे मामले शामिल हैं।
कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने की घोषणा
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने एक ट्वीट के जरिए बॉम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में किए जाने का ऐलान किया है। कानून मंत्री रिजिजू ने ट्विटर पर लिखा है, 'भारत के संविधान के मुताबिक प्राप्त शक्ति का इस्तेमाल करते हुए जस्टिस दीपांकर दत्ता को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के जज के रूप में नियुक्ति की गई है। मैं उन्हें अपनी शुभकामनाएं देता हूं।'
2030 तक होगा जस्टिस दीपांकर दत्ता का कार्यकाल
9 फरवरी, 1965 को जन्मे जस्टिस दीपाकर दत्ता अगले साल 58 वर्ष के हो जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट में उनका कार्यकाल 8 फरवरी, 2030 तक का होगा। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की रिटायरमेंट की उम्र 65 साल निर्धारित है। जस्टिस दीपांकर दत्ता की पदोन्नति की सिफारिश देश के पूर्व सीजेआई जस्टिस यूयू ललित की अगुवाई वाले कॉलेजियम ने 26 सितंबर में ही की थी। जस्टिस ललित पिछले महीने ही रिटायर हुए हैं और उनकी जगह जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ देश के नए प्रमुख न्यायाधीश बने हैं।
28 अप्रैल, 2020 को बॉम्बे हाई के चीफ जस्टिस बने थे
जस्टिस दीपांकर दत्ता को 22,जून 2006 को कलकत्ता हाई कोर्ट की बेंच में स्थायी जज के तौर पर बहाल किया गया था। फिर 28 अप्रैल, 2020 को उनकी नियुक्ति बॉम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर की गई थी। केंद्र सरकार की ओर से जस्टिस दत्ता को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किए जाने की घोषणा ऐसे समय में की है, जब सुप्रीम कोर्ट की ओर से कॉलेजियम की सिफारिशों पर कार्रवाई में देरी को लेकर केंद्र सरकार लगातार उसके निशाने पर रही है।
जस्टिस दीपांकर दत्ता का पारिवारिक बैकग्राउंड
लाइवलॉ के मुताबिक जस्टिस दीपांकर दत्ता कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व जज दिवंगत जस्टिस सलिल कुमार दत्ता के बेटे हैं और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अमिताव रॉय के भी करीबी रिश्तेदार हैं। देश में उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति को लेकर कॉलेजियन व्यवस्था की कड़ी आलोचना हो रही है। लेकिन, लगता है कि सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख के बाद सरकार की ओर से यह कदम उठाया गया है।
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1989 में कलकत्ता यूनिवर्सिटी से ली एलएलबी की डिग्री
जस्टिस दीपांकर दत्ता ने 1989 में कलकत्ता यूनिवर्सिटी से एलएलबी की डिग्री हासिल की थी। उसी साल 16 नवंबर को उन्होंने अपना नाम वकील के तौर पर दर्ज करवाया। 16 मई 2002 से लेकर 16 जनवरी, 2004 तक वह वह बंगाल सरकार के जूनियर स्टैंगिंग काउंसल रहे। जबकि 1998 से ही उन्होंने केंद्र सरकार के काउंसल के रूप में काम किया।