JNU में देर से पहुंचने के आरोपों को दिल्ली पुलिस ने किया खारिज, कहा- 7.45 बजे किया था कैंपस में फ्लैग मार्च
नई दिल्ली। जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में नकाबपोश हमलावरों द्वारा छात्रों की पिटाई के मामले पर दिल्ली पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कैंपस में देर से पहुंचने के आरोपों को खारिज किया। दिल्ली पुलिस के पीआरओ एमएस रंधावा ने बताया कि उन्होंने पुलिस कंट्रोल रूम को किए गए कॉल पर और कानून व्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए पेशेवराना अंदाज में जवाब दिया, साथ ही उन्होंने कहा कि आंतरिक सुरक्षा विश्वविद्यालय के अधीन है।
7.45 बजे पहुंचकर किया था फ्लैग मार्च- दिल्ली पुलिस
दिल्ली पुलिस ने दावा किया कि जेएनयू प्रशासन ने पुलिस से लगभग 7.45 बजे (हिंसा शुरू होने के लगभग चार घंटे बाद) हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया जिसके बाद परिसर में एक फ्लैग मार्च किया गया। दिल्ली पुलिस के पीआरओ एमएस रंधावा ने बताया कि मामले की जांच में किसी भी देरी से बचने के लिए संयुक्त पुलिस आयुक्त की अगुवाई में एक 'फैक्ट फाइंडिंग' कमेटी बनाई गई है। मामले में एफआईआर दर्ज हो चुकी है और लगातार फुटेज इकट्ठा किया जा रहा है।
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कुछ महत्वपूर्ण सुराग मिले- दिल्ली पुलिस
दिल्ली पुलिस ने बताया कि उन्हें कुछ महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं और वे मामले को जल्द सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि पूरे मामले की जांच क्राइम ब्रांच को दी गई है। रंधावा ने बताया, आमतौर पर एडमिनिस्ट्रेशन ब्लॉक पर पुलिस की तैनाती रहती है, जो हिंसा हुई है वो उससे दूर हुई। दिल्ली पुलिस के पीआरओ ने बताया कि कुल 34 लोग इस हिंसा में घायल हुए थे। किसी की हालत गंभीर नहीं है, सभी को एम्स ट्रॉमा सेंटर से छुट्टी दे दी गई है।
रविवार को हुए हमले में कई छात्र हुए थे घायल
बता दें कि रविवार शाम को नकाबपोश बदमाशों ने जेएनयू परिसर में घुसकर जमकर उत्पात मचाया। उन्होंने कई छात्रों की बुरी तरह पिटाई की। इस हमले में छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष और कई शिक्षक भी घायल हो गए थे। लेफ्ट विंग के छात्रों ने एबीवीपी पर हमला करने का आरोप लगाया था जबकि एबीवीपी का कहना था कि लेफ्ट के लोगों ने मारपीट की थी। वहीं, जेएनयू में हुए इस बवाल पर राजनीतिक दलों की तरफ से भी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। जेएनयू मामले को लेकर विपक्ष लगातार बीजेपी पर निशाना साध रहा है।