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झारखंड में जिन सीटों पर पीएम मोदी और अमित शाह ने रैलिया कीं, वहां BJP हारी या जीती

झारखंड के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने भी ताबड़तोड़ रैलियां की थीं। जानिए उन सीटों पर भाजपा हारी या जीती...

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नई दिल्ली। झारखंड में पांच चरणों के मतदान के बाद सोमवार को विधानसभा चुनाव के नतीजे जारी कर दिए गए। चुनाव नतीजों में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम), कांग्रेस और आरजेडी के महागठबंधन को 47 सीटें मिलीं और जेएमएम राज्य में सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। वहीं, भाजपा को महज 25 सीटें ही मिल पाईं और सीएम रघुबर दास समेत राज्य सरकार के कई मंत्री चुनाव हार गए। झारखंड में मिली हार के साथ ही भाजपा ने एक साल के भीतर पांचवें राज्य में अपनी सत्ता गंवा दी है। झारखंड के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने भी ताबड़तोड़ रैलियां की थीं। आइए जानते हैं उन सीटों का हाल, जहां पीएम मोदी और अमित शाह की रैलियां हुईं।

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पीएम मोदी ने कीं 10 रैलियां, भाजपा जीती 4 सीट

पीएम मोदी ने कीं 10 रैलियां, भाजपा जीती 4 सीट

झारखंड के विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 दिनों के भीतर कुल 10 रैलियां कीं। जिन सीटों पर प्रधानमंत्री मोदी ने रैलियां की, वो थीं- गुमला, धनबाद, डालटनगंज, खूंटी, जमशेदपुर ईस्ट, जमशेदपुर वेस्ट, बरही, बोकारो, दुमका और बरहेट। इन 10 सीटों में से भाजपा के खाते में केवल 4 ही सीटें- धनबाद, डालटनगंज, खूंटी और बोकारो जा पाईं। वहीं, 6 सीटों- गुमला, जमशेदपुर ईस्ट, जमशेदपुर वेस्ट, बरही, दुमका और बरहेट में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा।

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अमित शाह की रैली वाली केवल 2 सीटें ही जीत पाई भाजपा

अमित शाह की रैली वाली केवल 2 सीटें ही जीत पाई भाजपा

गृह मंत्री अमित शाह ने झारखंड के विधानसभा चुनाव में कुल 9 रैलियां कीं। जिन सीटों पर अमित शाह ने रैलियां की, वो थीं- मनिका, लोहरदगा, चक्रधरपुर, गिरिडीह, देवघर, चतरा, गढ़वा, बहरागोड़ा और बाघमारा। इनमें से भारतीय जनता पार्टी केवल देवघर और बाघमारा सीटें ही जीत पाई, जबकि बाकी सात सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा। इसी तरह यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने झारखंड में 11 चुनावी रैलियों को संबोधित किया, जिनमें से केवल 3 सीटों पर ही भाजपा को जीत मिल पाई।

क्या रहे भाजपा की हार का कारण

क्या रहे भाजपा की हार का कारण

झारखंड में भारतीय जनता पार्टी की हार के पीछे कई कारण निकलकर सामने आ रहे हैं। इनमें से एक बड़ा कारण रहा, भाजपा और उसके पूर्व सहयोगी आजसू का अलग-अलग चुनाव लड़ना। मतगणना के दौरान ऐसी कई सीटें रहीं, जहां आजसू के अलग लड़ने की वजह से भाजपा को सीधा नुकसान हुआ। अगर ये दोनों दल साथ मिलकर चुनाव लड़ते तो झारखंड का चुनाव परिणाम कुछ और ही होता। इसके अलावा पार्टी के पूर्व दिग्गज नेता सरयू राय की नाराजगी भी भाजपा की हार का कारण बनी। सरयू राय ने इस चुनाव में भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोला और जमशेदपुर ईस्ट सीट पर निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए सीएम रघुबरदास को हराया।

एक साल में भाजपा के हाथ से निकले 5 राज्य

एक साल में भाजपा के हाथ से निकले 5 राज्य

पिछले एक साल के भीतर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और महाराष्ट्र के बाद झारखंड पांचवां राज्य है, जहां भारतीय जनता पार्टी के हाथ से सत्ता निकली है। हालांकि महाराष्ट्र और झारखंड में भाजपा सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी, लेकिन सरकार बनाने से चूक गई है। इससे पहले साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान पंजाब की सत्ता से बीजेपी बाहर हो गई थी। पंजाब में एनडीए की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के साथ मिलकर बीजेपी सत्ता में थी। इसके बाद साल 2018 में हुए राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में पार्टी करारी शिकस्त मिली।

झारखंड में जेडीयू और एलजेपी ने भी उतारे कैंडिडेट

झारखंड में जेडीयू और एलजेपी ने भी उतारे कैंडिडेट

वहीं, केंद्र और बिहार में भाजपा की सहयोगी जेडीयू और एलजेपी ने झारखंड के विधानसभा चुनाव में एनडीए से अलग चुनाव लड़ते हुए अपने-अपने प्रत्याशी उतारे थे। हालांकि दोनों दलों का प्रदर्शन बेहद खराब रहा और किसी भी दल को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली। जेडीयू और एलजेपी को झारखंड के मतदाताओं ने पूरी तरह नकार दिया और दोनों दलों का वोट शेयर एक फीसदी तक भी नहीं पहुंच पाया। चुनाव आयोग के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक जेडीयू का वोट शेयर 0.70 फीसदी और एलजेपी का वोट शेयर 0.27 फीसदी रहा। इन दोनों दलों से ज्यादा वोट नोटा के पक्ष में गए। नोटा का वोट शेयर 1.5 फीसदी रहा।

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English summary
Jharkhand: What Happened To Those seats, Where PM Modi And Amit Shah Held Rallies.
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