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झारखंड चुनाव 2019 : चुनावी रण के लिए सजने लगी सेनाएं, किनके बीच है मेन फाइट, कौन किसके साथ

By अशोक कुमार शर्मा
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नई दिल्ली। झारखंड में चुनावी रण के लिए बिगुल बज चुका है। रण जीतने के लिए सेनाएं सजने लगी हैं। मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच होने का अनुमान है। झारखंड विकास मोर्चा और वामदल भी रणकौशल दिखाएंगे। कौन किसकी तरफ होगा इसके लिए बातचीत चल रही है। महागठबंधन का स्वरूप अभी मोटे तौर पर ही उभरा है। अंतिम रूप धारण करने में अभी समय लगेगा। एनडीए की छतरी के नीचे भाजपा और आजसू चुनाव लड़ेंगे, ऐसा तय लग रहा है। अगर आजसू के मन में दिल मांगे मोर की आवाज उठने लगी तो एनडीए में भी मुश्किल होगी। महागठबंधन में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद साथ लड़ने की बात कर रहे हैं। लेकिन इनकी दोस्ती की असल परीक्षा सीट बंटवारे के समय होगी। महागठबंधन में तीन दलों के अलावा क्या और दलों की इंट्री होगी ? वाम दल किधर जाएंगे ? यह अभी साफ नहीं है। बाबूलाल मरांडी की पार्टी, झारखंड विकास मोर्चा, अलग ताल ठोक रही है।

एनडीए

एनडीए

2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा (37) ने आजसू के पांच विधायकों के दम पर बहुमत का आंकड़ा पार किया था। अब आजसू को गठबंधन के भागीदार के रूप में सीटें शेयर करनी होगी। इस साल हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 14 में से एक लोकसभा सीट आजसू को दी थी जिस पर पार्टी के उम्मीदवार चंद्रप्रकाश चौधरी चुनाव जीतने में सफल रहे थे। पिछले विधानसभा चुनाव में आजसू ने आठ सीटों पर और भाजपा ने 72 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इस बार आजसू को 10-11 सीट देने की चर्चा है। अब देखना है कि आजसू, भाजपा के इस प्रस्ताव को किस हद तक मानता है। कुछ सीटों की अदला बदली भी संभावित है। फिलहाल दोनों दलों में तालमेल दिख रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने आजसू को 14 में से एक सीट दी थी। अब 2019 के विधानसभा चुनाव में आजसू ज्यादा हिस्सेदारी मांग सकता है। आजसू को इस चुनाव में 10-11 सीटें देने की बात चल रही है। अब देखना है कि वह कितनी सीटों पर राजी होता है। जीत पक्की करने के लिए कुछ सीटों की अदला बदली भी संभावित है। 2014 में भाजपा ने 37 सीटें जीती थीं। बाद में में झाविमों के छह विधायक भाजपा में शामिल हो गये। 2019 चुनाव के ठीक पहले छह और विधायक भाजपा में शामिल हुए हैं। इनमें झारखंड मुक्ति मोर्चा के तीन और कांग्रेस दो विधायक शामिल हैं। एक विधायक नौजवान संघर्ष मोर्चा के भानुप्रताप शाही हैं। यानी अब भाजपा में भी सीट के लिए बहुत दावेदार होंगे। हालांकि भाजपा आने वाले विधायकों को अपने लिए फायदेमंद मान रही है।

महागठबंधन

महागठबंधन

महागठबंधन के तहत झारखंड मुक्तिमोर्चा, कांग्रेस और राजद मिल कर चुनाव लड़ने पर सहमत दिख रहे हैं। तीनों दलों ने अपनी सीटों को लेकर पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन सबको सम्मानजनक हिस्सेदारी मिलने की उम्मीद है। सबसे बड़ी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा है इसलिए वह बिना किसी विवाद के ड्राइविंग सीट पर रहेगी। चर्चा है कि झामुमो 40-42 सीटों पर चुनाव लड़ सकता है। कांग्रेस को 20- 22 और राजद को 8-10 सीट दिये जाने की चर्चा है। लेकिन कांग्रेस और राजद की महात्वाकांक्षा कुलाचें भरने लगी तो महागठबंधन के लिए एक बड़ी समस्या होगी। हालांकि अभी कांग्रेस और राजद हेमंत सोरेन के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं। छह- सात सीटें वामदलों को दिये जाने की संभावना है। अब ये वामदलों पर निर्भर है कि वे इस प्रस्ताव को मानते हैं कि नहीं। कांग्रेस और झामुमो के नेता सीट बंटवारे को लेकर बैठक कर चुके हैं। महागठबंधन के नेता झाविमो के विधायक प्रदीप यादव की तरफ भी देख रहे हैं। विधायक प्रदीप यादव पर यौन शोषण का मामला चल रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में झाविमो की एक महिला नेता ने उनके खिलाफ यौन शोषण का मामला दर्ज कराय़ा था। इसकी वजह से प्रदीप यादव को झाविमो के महासचिव पद से इस्तीफा देना पड़ा था। बाबूलाल मंरांडी ने उन्हें टिकट देने से मना कर दिया है। अगर प्रदीप यादव झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल होते हैं तो ठीक नहीं तो महागठबंधन उनके लिए एक सीट छोड़ सकता है।

झारखंड विकास मोर्चा

झारखंड विकास मोर्चा

बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा अगल चुनाव लड़ रही है। आया राम, गया राम की राजनीति से उन्हें बहुत नुकसान हुआ है। अब उन्होंने भी लोहा से लोहा काटने की रणनीति बनायी है। एनडीए और महागठबंधन के बागियों पर पार्टी की नजर रहेगी। अगर मजबूत नेताओं को भाजपा, झामुमो और कांग्रेस से टिकट नहीं मिलता है तो झाविमो उनकी पहली पसंद होगी। बाबूलाल मरांडी को भी चुनाव जीतने की क्षमता वाले नेता मिल जाएंगे। हरियाणा में जिस तरह दुष्यंत चौटाला को भाजपा और कांग्रेस के बागियों ने फायदा पहुंचाया था उसी तरह झारखंड में मरांडी को भी बागियों से लाभ मिल सकता है। बाबूलाल मरांडी के अपना जनाधार भी है। उनके अलग चुनाव लड़ने से जनता के सामने तीसरा विकल्प भी होगा। मरांडी के अलग चुनाव लड़ने से महागठबंधन को नुकसान की आशंका है।

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English summary
Jharkhand Election 2019 Between whom is the main fight who is with whom
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