कुमारस्वामी के राजनीति छोड़ने की बात पर ये बोले भाजपा नेता
नई दिल्ली- जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी के राजनीति छोड़ने वाली बात पर बीजेपी के नेता खूब चुटकी ले रहे हैं। कर्नाटक भाजपा के नेता जगदीश शेट्टार ने भी कहा है कि देवगौड़ा के परिवार के लोग ऐसे ही बयान देते रहते हैं। गौरतलब है कि शनिवार को पूर्व सीएम कुमारस्वामी ने सत्ता गंवाने के बाद राजनीति से भी संन्यास लेने के संकेत दिए थे।
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जो कहते हैं, उसके ठीक उल्टा करते हैं- शेट्टार
कर्नाटक बीजेपी के बड़े नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार ने कुमारस्वामी की संन्यास लेने के संकेत के बारे में रविवार को कहा है कि वे देवगौड़ा के परिवार वालों की ओर से कही जाने वाली राजनीति छोड़ने की बातों को गंभीरता से नहीं लेते। शेट्टार के मुताबिक, "मैंने ऐसी बातें कई बार सुनी हैं। देवगौड़ा का परिवार हमेशा इस तरह का बयान देता रहता है। लेकिन, वे जो कहते हैं, उसके ठीक उल्टा करते हैं।"
सियासी संन्यास पर विचार- कुमारस्वामी
गौरतलब है कि शनिवार को कुमारस्वामी ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि वे राजनीति से दूर जाने की सोच रहे हैं। उन्होंने कहा था, "मैं राजनीति से अलग होने की सोच रहा हूं। मैं राजनीति में संयोग से आ गया। मैं संयोग से सीएम बन गया। ईश्वर ने मुझे दो बार सीएम बनने का मौका दिया। मैं वहां किसी को संतुष्ट करने के लिए नहीं था। 14 महीनों में मैंने राज्य के विकास के लिए अच्छे काम किए। मैं संतुष्ट हूं।" उन्होंने ये भी कहा कि 'आज भी, मेरे पिता (एचडी देवेगौड़ा) ने लड़ाई नहीं छोड़ी है। उनके पास इसके लिए ताकत हो सकती है, लेकिन जिस गति से चीजें चल रही हैं, मुझे नहीं लगता कि मैं अब और इसमें रहूं।' कुमारस्वामी कह रहे थे कि राजनीति अच्छे लोगों के लिए नहीं है, इसमें जातिवाद और प्रतिशोध का बोलवाला है। उन्होंने कहा कि वे इसे ठीक नहीं कर सकते। उन्होंने मीडिया वालों से कहा कि उनके परिवार के सदस्यों से सवाल न करें, वे तंग आ चुके हैं और शांति से रहना चाहते हैं।
लगातार हार से हाहाकार
गौरतलब है कि कुमारस्वामी 1996 में तब राजनीति में कूदे थे, जब वे कन्नड़ फिल्में बनाने में रमे हुए थे। जब वे राजनीति में आए तो उनके पिता एचडी देवगौड़ा कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे। उस साल कुमारस्वामी ग्रामीण बेंगलुरु के कनकपुरा विधानसभा से चुनाव लड़े और जीत गए। मई 2018 में उन्होंने त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में कांग्रेस के साथ सरकार बनाई थी, लेकिन अंदरूनी खींचतान के चलते यह सरकार मुश्किल से 14 महीने में ही गिर गई। लगता है कि अपनी सरकार नहीं बचा पाने और लोकसभा चुनाव में अपने पिता और बेटे को भी नहीं जिता पाने की घटना ने उन्हें सियासी तौर पर तोड़ दिया है। हालांकि, वे राजनीति छोड़ ही देंगे, उन्होंने ऐसा भी नहीं कहा है।
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