बिहार में टूटने की कगार पर है एनडीए गठबंधन? सहयोगी अलग होने का ढूंढ रहा है बहाना
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 के लिए बिहार में सीटों के बंटवारे को लेकर एनडीए में फिलहाल किसी सहमति की खबर नहीं है। नीतीश कुमार जहां 17 से कम सीटों पर राजी होते नहीं दिख रहे हैं तो वहीं बीजेपी उन्हें 12 से ज्यादा सीटें नहीं देना चाहती है। इसके पीछे बीजेपी का एक तर्क तो ये है कि पिछले लोकसभा चुनाव में जेडी(यू) सिर्फ दो सीटें ही जीत पाई थी और दूसरा ये कि उसे अन्य सहयोगियों रामविलास पासवान और उपेंद्र कुशवाहा को भी सीटें देनी है। अगर बीजेपी, जेडी(यू) की सीटें बढ़ाती है तो उसे उपेंद्र कुशवाहा से किनारा करना पड़ सकता है। इस बात को राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा भी समझ रहे हैं और यही कारण है कि वो संकेत दे चुके हैं कि उनके पास दूसरे विकल्प भी मौजूद हैं। खबर है कि उपेंद्र कुशवाहा अब खुद एनडीए गठबंधन से बाहर निकलने के लिए कोई ठोस बहाना ढूंढ रहे हैं। उपेंद्र कुशवाहा इस वक्त केंद्र में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री हैं।
कुशवाहा ने नकारा फॉर्मूला
उपेंद्र कुशवाहा बीजेपी के चर्चित 20-20 सीटों के फॉर्मूले को नकार चुके हैं। कुशवाहा का कहना है कि उन्होंने कभी क्रिकेट नहीं खेला और न ही इस खेल में उन्हें कोई दिलचस्पी है। इससे पहले वो अपने उस बयान से खलबली मचा चुके हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि यादव से दूध मिलेगा और कुशवाहा से चावल तो अच्छी खीर बन सकती है। उनके इस बयान के बाद से ही ये कयास लग रहे हैं कि वो लालू प्रसाद यादव से हाथ मिला सकते हैं।
20-20 का ही होगा फॉर्मूला
एनडीए
की
तरफ
से
फिलहाल
बिहार
में
सीटों
के
बंटवारे
को
लेकर
कोई
औपचारिक
घोषणा
नहीं
की
गई
है
लेकिन
अनौपचारिक
सूत्र
बता
रहे
हैं
कि
बिहार
में
एनडीए
20-20
सीटों
को
साझा
करने
के
फॉर्मूले
पर
ही
चलेगा।
इस
बारे
में
बिहार
के
मुख्यमंत्री
नीतीश
कुमार
और
भारतीय
जनता
पार्टी
के
अध्यक्ष
अमित
शाह
के
बीच
कई
दौर
की
बैठकें
पहले
ही
हो
चुकी
हैं।
सूत्रों
के
मुताबिक
ये
देखते
हुए
कि
जेडी(यू)
एनडीए
के
साथ
आया
है,
लोक
जनशक्ति
पार्टी
6
सीटों
से
संतोष
करने
पर
राजी
हो
सकती
है
हालांकि
एलजेपी
ये
भी
कह
चुकी
है
कि
कोई
भी
पार्टी
उन
जगहों
से
चुनाव
लड़ना
चाहेगी
जहां
से
उसे
जीत
की
संभावना
है।
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किसे मिलेगी कितनी सीटें
जिस फॉर्मूले को लेकर अभी चर्चा है उसके अनुसार बीजेपी 20 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी और बाकी बची 20 सीटों का बंटवारा एनडीए सहयोगियों के बीच होगा। जिसमें जेडी(यू) 12, एलजेपी छह और आरएलएसपी की दो सीटें होंगी। यहां समस्या ये है कि आरएलएसपी सिर्फ दो सीटों के साथ संतुष्ट नहीं है वो ज्यादा सीटों पर लड़ना चाहती है। इसके अलावा आरएलएसपी नेता उपेंद्र कुशवाहा के बिहार के मुख्यमंत्री के साथ समीकरण भी ठीक नहीं हैं। ऐसे में अगर गठबंधन उन्हें सिर्फ दो सीटें देने का फैसला करता है तो वो अपना अलग रास्ता ले सकते हैं।
आरएलएसपी के कड़े तेवर
आरएलएसपी
के
राष्ट्रीय
कार्यकारी
अध्यक्ष
नागमणि
ग्रामीण
इलाकों
में
पार्टी
के
आधार
की
बात
करते
हुए
एनडीए
में
ज्यादा
सीटों
की
हिस्सेदारी
के
लिए
कोशिश
कर
रहे
हैं।
क्योंकि
बिहार
में
कुशवाहों
की
8-10
फीसदी
आबादी
है।
कुछ
दिन
पहले
नागमणि
यहां
तक
कह
चुके
हैं
जेडी
(यू)
की
तरफ
से
आरएलएसपी
को
एनडीए
से
बाहर
करने
की
कोशिश
हो
रही
है
और
हमें
आरजेडी
के
नेतृत्व
वाले
महागठबंधन
का
हिस्सा
बनने
को
मजबूर
किया
जा
रहा
है।
राजनीतिक
विश्लेषकों
का
मानना
है
कि
कुशवाहा
अपने
ऊपर
एनडीए
से
नाता
तोड़ने
का
आरोप
नहीं
लेना
चाहते
हैं
लेकिन
ये
साफ
है
कि
वो
दो
सीटों
से
खुश
नहीं
हैं
और
वो
आखिरी
वक्त
तक
इंतजार
करेंगे।
दरअसल
बीजेपी
फिलहाल
जेडी
(यू)
के
साथ
ही
बातचीत
कर
रही
है
और
अगर
आरएलएसपी
गठबंधन
से
बाहर
निकलती
है
तो
क्या
स्थिति
बन
सकती
है
इस
पर
भी
चर्चा
चल
रही
है।
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