क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

क्या दलित राजनीति उफ़ान पर या सिर्फ़ 2019 की तैयारी है?

बीते कुछ वक्त में देश में दलितों पर अत्याचारों को लेकर कई छोटे-बड़े प्रदर्शन हुए. लेकिन हाल में अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद से देश में दलित राजनीति उफान पर है.

सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून के दुरुपयोग को लेकर चिंता जताते हुए इसके तहत तुरंत गिरफ़्तारी की जगह शुरुआती जांच की बात कही थी.

 

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News

बीते कुछ वक्त में देश में दलितों पर अत्याचारों को लेकर कई छोटे-बड़े प्रदर्शन हुए. लेकिन हाल में अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद से देश में दलित राजनीति उफान पर है.

सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून के दुरुपयोग को लेकर चिंता जताते हुए इसके तहत तुरंत गिरफ़्तारी की जगह शुरुआती जांच की बात कही थी.

कई दलित संगठनों ने दलितों पर हो रहे अत्याचारों के ख़िलाफ़ 2 अप्रैल को प्रदर्शन की अपील की. देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन हुए, कुछ जगहों पर हिंसा की घटनाएं भी हुईं. हज़ारों लोगों ने इसमें हिस्सा लिया और मांग की कि इस क़ानून को ना बदला जाए. आशंका जताई जा रही है कि इस क़ानून में बदलाव होने से दलितों के प्रति भेदभाव और उत्पीड़न के मामले बढ़ जाएंगे.

बसपा प्रमुख मायावती ने रविवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा, "भारत बंद की व्यापक सफलता और इस दौरान ख़ासकर दलितों और आदिवासियों में जबर्दस्त आक्रोश होने से केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकारें डर गई हैं कि सत्ता उनके हाथों से खिसक रही है. उन्होंने अब इन वर्गों के प्रति हर तरफ़ पुलिस और सरकारी तंत्र के आतंक का तांडव शुरू कर दिया है."

दलितों का आंदोलन बन सकता है बीजेपी-आरएसएस के लिए सिरदर्द!

अमित शाह की ज़ुबान को इन दिनों क्या हो गया है?

https://twitter.com/RahulGandhi/status/980682899845509121

दलितों के समर्थन में कांग्रेस का 'उपवास'

दलितों के उत्पीड़न के मुद्दे को लेकर कांग्रेस पार्टी सोमवार को उपवास दिवस का आयोजन कर रही है. पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी और देशभर के ज़िला और प्रदेश मुख्यालय पर कांग्रेस कार्यकर्ता एक दिन के उपवास पर बैठने वाले हैं.

कांग्रेस का कहना है कि सांप्रदायिक सौहार्द की रक्षा और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए वो उपवास दिवस मनाएगी.

इससे पहले, राहुल गांधी ने ट्वीट कर 2 अप्रैल को होने वाले भारत बंद का समर्थन किया था.

निषादों की गोलबंदी के सामने बेबस रहे हैं योगी!

क्या रहे गोरखपुर और फूलपुर में बीजेपी के हार के कारण

https://twitter.com/RahulGandhi/status/980682899845509121

कांग्रेस लगातार भाजपा पर दलित विरोधी होने का आरोप लगा रही है. कांग्रेस नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बीबीसी से कहा, "कांग्रेस दलित को मुद्दा नहीं मानती. ये देश के दलित के सामूहिक न्याय, उसके अधिकारों और संविधान में दिए वादे की गारंटी का मुद्दा है."

वो कहते हैं, "जिस छुआछूत को सांसदों ने संसद के फ्लोर पर एक साथ कहा कि हम छुआछूत और असमानता को पूरी तरह ख़त्म करेंगे, वो आज तक मौजूद है. छुआछूत आज भी है, आज भी लोगों को प्रताड़ित किया जाता है. तो ऐसे में ये कानून दंतहीन नही होना चाहिए."

"सबसे बड़ी बात ये है कि जो भारत का अपने दलित वर्गों से आज़ाद भारत का समूहिक वादा है, ये उसका अपमान कर रहे हैं. कुछ लोग जाति के आधार पर देश को बांटने की कोशिश कर रहे हैं जिसे हम बिल्कुल स्वीकार नहीं करते."

जुमलों से 2019 का चुनाव नहीं जीता जा सकता!

योगी का 'आत्मविश्वास' डिगा, अखिलेश का बढ़ा

दलितों के साथ होने का भाजपा का वादा

लेकिन भाजपा का कहना है कि कांग्रेस नाहक ही उन पर आरोप लगा रही है. पार्टी दलितों से साथ है और वो इस कानून में कोई परिवर्तन नहीं होने देगी.

भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनोद कुमार सोनकर कहते हैं, "कांग्रेस ने हमेशा से ऐसा कोई काम अनुसूचित समाज या अनुसूचित समाज के महापुरुषों के लिए नहीं किया है."

वो कहते हैं, "बाबा साहेब आंबेडकर की मौत के बाद अंतिम क्रिया के लिए जिन्होंने दिल्ली में छह गज़ ज़मीन नहीं दी और मजबूर हो कर उनके अनुयायियों को उन्हे मुंबई ले कर जाना पड़ा, आज वे लोग ही बाबा साहेब के नाम पर लोगों को गुमराह करने का काम कर रही है."

वो कहते हैं, "जब तक केंद्र में भाजपा की सरकार है तब तक अनुसूचित समाज का ना पहले कभी नुकसान हुआ है ना आगे होने वाला है."

दलितों की क़ानूनी ढाल भाजपा ने ख़त्म कर दिया: राहुल

दलितों की जींस और मूँछें खटकती हैं

दो दिन पहले यानी 6 अप्रैल को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भाजपा के 38वें स्थापना दिवस के मौके पर कांग्रेस को चुनौती दी थी. उन्होंने यह भी कहा था कि उनकी पार्टी कभी दलितों के खिलाफ़ कोई काम नहीं करेगी.

उनका कहना था कि "भाजपा कभी आरक्षण को हटाने वाली नहीं है और अगर कांग्रेस कभी इसे हटाने की कोशिश करेगी तो भाजपा उसे ऐसा करने नहीं देगी."

"मोदी के डर से सांप, नेवले, कुत्ते, बिल्ली सभी साथ मिल गए हैं"

तो क्या सारी कवायद दलित वोट बैंक की है?

भारत के दक्षिणी राज्य कर्नाटक में विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और यहां दलितों के खिलाफ बयानों के संबंध में भाजपा नेताओं से मुश्किल सवाल किए जा रहे हैं. लोकसभा चुनाव में भी अब अधिक देर नहीं है और चुनावों की तैयारी में उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा साथ आ चुकी हैं. ऐसे में कांग्रेस और भाजपा दोनों अधिक से अधिक लोगों का समर्थन जुटाने में लगी हैं.

कर्नाटक: अमित शाह पर भारी पड़े दलितों के सवाल

कैराना: भाजपा और सपा-बसपा की अगली जंग का मैदान

दलित प्रदर्शन
Getty Images
दलित प्रदर्शन

वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश कहते हैं, "राजनीति में अब निरंतरता दिख रही है. लेकिन पहले भी दलितों पर अत्याचार होते रहे हैं. 2007 से 2017 के सरकारी आंकड़े बताते हैं कि भारत में दलितों पर अत्याचारों और उनके दमन में बड़ा इज़ाफ़ा हुआ है. इसे देखें तो मेरा मानना है कि इसे देखते हुए जितना विरोध या जिस तरह का प्रतिरोध होना चाहिए ये उतना नहीं है."

"कोई और गणतांत्रिक देश होता और किसी समाज का इस तरह दमन और उत्पीड़न होता तो आवाज़ें और तेज़ होतीं. लेकिन हमारे यहां ऐसी आवाज़ें उठती हैं तो उनको दबाने के लिए निहित स्वार्थ वाले एक साथ आ जाते हैं."

भाजपा की सोशल इंजीनियरिंग के सामने नई चुनौती

भाजपा और दलितों की कुंडली मिलती क्यों नहीं?

'दलितों का मोहभंग हो चुका है'

उर्मिलेश कहते हैं, "दलित कांग्रेस का पारंपरिक वोट बैंक रहा है. फिर वो कुछ इलाकों में बिखर गया, दूसरे दलों के पास गया. दलितों के मुद्दों पर जिन पार्टियों को काम करना चाहिए उन्होंने वो नहीं किया. अगर उन्होंने असमानता ख़त्म करने के लिए काम किया होता तो आज ये हालात ही पैदा ना हुए होते."

"सिर्फ़ चार-पांच राज्य हैं जहां भूमि आवंटन (कश्मीर, केरल, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक) हुआ है और उन राज्यों में सबसे कम दलित उत्पीड़न है. लेकिन दूसरे राज्यों में ये आज तक नहीं हुआ और मुझे लगता है कि इसका सबसे बड़ा खामियाज़ा दलित और आदिवासियों को भुगतना पड़ा है."

2014 के चुनाव में कई पार्टियां थीं जिन्हें कभी दलित वोट नहीं मिलते थे, लेकिन दलितों ने उन पार्टियों को भी वोट दिए. लेकिन इस बार दलित लगभग एक साथ आता दिख रहा है. उन्होंने जिसे वोट दिया, उस पार्टी के साथ उनका गहरा मोहभंग हुआ है. और शायद यही बात सत्ताधारी पार्टी की बेचैनी का कारण है.

वो मौका जब भारत को मिल सकता था एक दलित प्रधानमंत्री

'सांसद हूं लेकिन दलित होने की वजह से शोषण झेलता हूं'

कुछ दलित भाजपा नेता पार्टी से नाराज़

दलित समुदाय के सदस्यों को प्रताड़ित किए जाने के मुद्दे को लेकर नई दिल्ली के उत्तर पश्चिम लोकसभा क्षेत्र से भाजपा सांसद उदित राज ने एक के बाद एक ट्वीट कर कहा है कि भारत बंद के दौरान हुए आंदोलन में हिस्सा लेने वाले प्रदर्शनकारियों के ऊपर अत्याचार की सूचनाएं मिल रही हैं और ये यह चिंताजनक है.

हालांकि ट्वीट करने के कुछ देर बाद वो बैकफुट पर चले गए और उन्होंने लिखा कि उनके ट्वीट्स के ग़लत मायने निकाले जा रहे हैं.

https://twitter.com/Dr_Uditraj/status/982875015296307200

उदित राज ने बीबीसी को बताया, "मैं दलितों से जुड़े मुद्दों पर कभी चुप नहीं बैठा हूं और ऐसे मुद्दे हमेशा संसद में उठाता रहा हूं. मैंने एक अपील की है, ग्वालियर में कुछ दलित लोगों को कोर्ट में पीटा गया है. कई और जगहों से भी लोगों के गिरफ्तार होने और पीटे जाने की ख़बरें आई हैं."

इधर, पिछले कुछ दिनों में कई दलित सांसदों ने इस सिलसिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जताई है. इनमें नई दिल्ली के उत्तर पश्चिम से उदित राज को छोड़कर उत्तर प्रदेश के चार सांसद शामिल हैं- बहराइच से सावित्री बाई फुले, सोनभद्र के रॉबर्ट्सगंज से छोटे लाल, इटावा से अशोक कुमार और नगीना से यशवंत सिंह शामिल हैं.

गुजरातः घोड़ी पर चढ़ने के 'जुर्म' में दलित की हत्या

ग्राउंड रिपोर्ट: मेरठ में बनी 'दलितों की हिट लिस्ट' का पूरा सच

वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश कहते हैं, "ये अब तक क्यों नहीं हुआ ये आश्चर्यजनक बात है. जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आ रहे हैं वो सवाल उठा रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्हें अपने चुनावक्षेत्र में जनता को जवाब देना पड़ेगा."

"ऐसा भी हो सकता है कि इनमें से कुछ को अपने आलाकमान से इजाज़त मिली हो कि आप विरोध करो हम बुरा नहीं मानेंगे. क्योंकि चुनाव जीतना है तो थोड़ा विरोध आपको करना चाहिए. ये एक मिली-जुली लड़ाई हो सकती है."

दलित प्रदर्शन
SAM PANTHAKY/AFP/Getty Images
दलित प्रदर्शन

उर्मिलेश पूछते हैं, "ये बीजेपी की राजनीति के दलित विरोधी एजेंडे का विरोध क्यों नहीं करते? उनकी सरकार हरियाणा में है जहां सबसे अधिक दलित महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार की घटनाएं नज़र में आई हैं, ऐसा सरकारी रिपोर्ट का कहना है. इस पर वो संसद में सवाल क्यों नहीं उठाते हैं?"

"ऊना से लेकर रोहित वेमुला की आत्महत्या की घटना तक किसी ने कोई सवाल उठाया हो, मुझे याद नहीं आता है. ये लोग अब तक आंबेडकर की मूर्ति ध्वस्त करने वालों की पहचान क्यों नहीं कर रहे हैं? मैं समझता हूं कि ये मामला चुनाव प्रेरित हैं."

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Is Dalit politics on the boom or just 2019
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X