रेलवे ने पिछले छह साल में खत्म कर दिए 72 हजार से ज्यादा पद, सभी ग्रुप सी और डी की नौकरियां
नई दिल्ली, 14 मई: देश में सबसे ज्यादा नौकरी देने वाले भारतीय रेलवे ने पिछले छह सालों में 72,000 से अधिक पदों को समाप्त कर दिया है, ये सभी पद ग्रुप सी और डी के थे। बताया गया है कि ये ऐसे पद थे जिनका काम बढ़ती तकनीक के चलते मशीनों ने ले लिया है। अब आगे से इन पदों के लिए रेलवे कोई भर्ती नहीं निकालेगा। वर्तमान में इन पदों पर कार्यरत कर्मचारियों को रेलवे दूसरे विभागों में समाहित किए जाने पर विचार कर रहा है।
रेलवे को 16 जोन ने 2015-16 से 2020-21 के दौरान 81,000 ऐसे पदों को सरेंडर करने का प्रस्ताव भेजा था। जोनल रेलवे अब तक 56,888 ऐसे पद सरेंडर कर चुके हैं और 15,495 पद सरेंडर किए जाने हैं। उत्तर रेलवे ने 9,000 से अधिक ऐसे पद सरेंडर किए हैं जबकि साउथ ईस्टर्न रेलवे ने 4,677 पदों को खत्म कर दिया है। इसी तरह सदर्न रेलवे ने 7524 पद और ईस्टर्न रेलवे ने 5700 से अधिक पद समाप्त कर दिए हैं। इस वित्त वर्ष के अंत तक रेलवे बोर्ड के मंजूरी के बाद 9000 से 10000 और पदों को खत्म किया जा सकता है।
रेलवे ने जिन 72 हजार पदों को खत्म किया है, उसमें चपरासी, वेटर, स्वीपर, माली जैसे पद शामिल हैं। अधिकारियों का कहना है कि ये पद गैर-जरूरी हैं। वर्क कल्चर में बदलाव और टेक्नोलॉजी के आने से अब इनकी कोई जरूरत नहीं रह गई है।
इन पदों को खत्म करने की वजह ये भी है कि रेलवे में सफाई, बेडरोल और खानपान का काम निजी हाथों में दिया जा चुका है। राजधानी, शताब्दी, मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों के जनरेटर में इलेक्ट्रिकल-मैकेनिकल तकनीशियन, कोच सहायक, ऑनबोर्ड सफाई कर्मचारी जैसे काम ठेके पर जा चुके हैं।