IMA ने JNU हिंसा के दौरान डॉक्टरों पर हुए हमले की निंदा की,लगाए ये आरोप
नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी कैंपस में रविवार को हुई हिंसा के दौरान घायल छात्रों की मदद के लिए गए डॉक्टरों और नर्सों के उपर हुए हमले का इंडियन मेडिकल एसोशिएसन ने विरोध किया है। इंडियन मेडिकल एसोशिएसन ने इस हिंसा को अराजकता का बैरोमीटर करार दिया है। प्रोग्रेसिव मेडिकोस एंड साइंटिस्ट्स के अध्यक्ष हरजीत सिंह भट्टी ने कहा, रविवार की रात जेएनयू में घायल छात्रों और शिक्षकों को प्राथमिक उपचार देने के लिए गए डॉक्टरों, नर्सों और चिकित्सा स्वयंसेवकों की एक टीम पर हमला किया गया।
भट्टी ने कहा कि भीड़ ने डॉक्टरों और नर्सों को धमकाया। हमारी एम्बुलेंस का शीशा और खिड़कियां टूट गईं। आईएमए ने एक बयान में कहा, देश में अराजकता की स्थिति है। कानून और व्यवस्था पूरी तरह से टूट चुकी है। यदि डॉक्टर और नर्स देश की राजधानी में सुरक्षित नहीं हैं, तो इसका मतलब है देश में गवर्नेस का अभाव है। भट्टी ने कहा कि, जब एम्स ट्रॉमा सेंटर के डॉक्टर कैंपस से घायल छात्रों का इलाज करने में व्यस्त थे तब कुछ गुंडे ट्रॉमा सेंटर की आपातकालीन इकाई के अंदर जाने में कामयाब रहे।
भट्टी ने कहा, वे लगातार मरीजों को घूर रहे थे, जबकि डॉक्टर उनका इलाज कर रहे थे और सभी को असहज कर रहे थे। भट्टी ने कहा कि,सभी घायलों को अभी छुट्टी दे दी गई है। एथिकल हेल्थकेयर की कोर कमेटी के सदस्य और पंजाब मेडिकल काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष, गुरिंदर ग्रेवाल ने कहा कि, स्वास्थ्यकर्मियों पर इस तरह के हमले जेनेवा कन्वेंशन का एक अनियंत्रित उल्लंघन है और बुनियादी मानवीय मूल्यों का उल्लंघन है।
Imagine being so cowardly you attack even doctors, violating protocols of war as well.#BanABVP pic.twitter.com/vCSZSSfxhW
— Dhruv Golani (@Caligulani) January 6, 2020
बता दें कि ,जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में रविवार शाम बड़ी हिंसा हुई। लाठी-डंडे, हॉकी स्टिक से लैस नकाबपोश हमलावरों ने यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स और टीचरों को बेरहमी से पीटा। जेएनयू में हुई हिंसा में छात्रसंघ अध्यक्ष आईशी घोष समेत 30 से ज्यादा छात्र और टीचर गंभीर रूप से घायल हुए, जिन्हें एम्स और सफदरजंग में भर्ती कराया गया। फिलहाल अब सब डिस्चार्ज हो गए हैं।
JNU हिंसा के विरोध कर रहे जादवपुर विवि के छात्रों की पुलिस से भिड़त