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भारतीय खगोल वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड में खोजी एक नई आकाशगंगा, क्यों कहला रही है 'भूतिया' ? जानिए

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बेंगलुरु, 4 अप्रैल: भारतीय वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड ज्ञान की तलाश में भी दुनिया के सामने अपना लोहा मनवाया है। इसबार भारतीय खगोल वैज्ञानिकों ने एक ऐसी आकाशगंगा खोजी है, जो अबतक नजर ही नहीं आ पाई थी। यह एक ऐसी खोज है, जिससे भविष्य में ब्रह्मांड के और नए रहस्यों का खुलासा हो सकता है। दअरसल, ये वैज्ञानिक पहले से मौजूद एक विशाल आकाशगंगा पर रिसर्च कर रहे थे, तभी उनकी नजर इस नई रहस्यमयी आकाशगंगा पर पड़ी, जिसे 'भूतिया' आकाशगंगा कहा जा रहा है। इस खोज में फ्रांस के शोधकर्ताओं ने भी सहयोग दिया है।

भारतीय खगोल वैज्ञानिकों ने खोजी 'भूतिया' आकाशगंगा

भारतीय खगोल वैज्ञानिकों ने खोजी 'भूतिया' आकाशगंगा

भारतीय शोधकर्ताओं के एक ग्रुप ने फ्रांस के सहयोगियों के साथ मिलकर ब्रह्मांड में एक नई आकाशगंगा की खोज की है। यह खोज आकाशगंगा 'एनजीसी 6902ए' के विश्लेषण के दौरान की गई है, जिसे परस्पर एक-दूसरे के प्रभावित करने वाली आकाशगंगा के रूप में पहचानी मिली है। अब भारतीय खगोलविदों ने जिस आकाशगंगा की खोज की है, वह इसी विशाल और ज्यादा चमकीली आकाशगंगा के सामने मौजूद है, जिसपर अभी तक किसी वैज्ञानिक की नजर नहीं पड़ी थी। बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स के वैज्ञानिकों की इस सफलता की घोषणा केंद्रीय विज्ञान और प्राद्योगिकी विभाग की ओर से की गई है। इस रिसर्च में पेरिस स्थित फ्रांस के कॉलेज डि फ्रांस के वैज्ञानिकों ने भी अपना योगदान दिया है।

नई आकाशगंगा क्यों कहला रही है 'भूतिया' ?

नई आकाशगंगा क्यों कहला रही है 'भूतिया' ?

ब्रह्मांड में जिस नई आकाशगंगा का पता चला है, वह बहुत ही धुंधली है; और इसमें अभी भी तारों के विकसित होने के निशान मौजूद हैं। दरअसल, बहुत ही चमकीली और विशाल आकाशगंगा के सामने मौजूद होने की वजह से इसकी छवि 'भूत' की तरह महसूस हो रही है, इसीलिए इसे 'भूतिया' आकाशगंगा कहा जा रहा है। भारतीय वैज्ञानिकों ने जिस आकाशगंगा की खोज की है, वह पृथ्वी से 13.6 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर है। यह आकाशगंगा उनके आसपास के काले आसमान से भी 10 गुना धुंधली है।

क्या है आकाशगंगा ?

क्या है आकाशगंगा ?

अगर सामान्य शब्दों में समझने की कोशिश करें तो आकाशगंगा में भारी मात्रा में गैस और धूल जमा होती है और यह अरबों सितारों और उनके सौर मंडल का एक समूह होता है। यह गुरुत्वाकर्षण की वजह से एकसाथ जुड़े होते हैं। पृथ्वी भी सौर मंडल का एक हिस्सा है। लेकिन, यह भी हमारी आकाशगंगा, मिल्की वे का ही एक छोटा सा हिस्सा है।

वैज्ञानिकों ने कैसे की खोज ?

वैज्ञानिकों ने कैसे की खोज ?

यहां हम जिस रहस्यमयी आकाशगंगा की बात कर रहे हैं, उसका पहला संकेत वैज्ञानिकों को तब मिला जब उनकी नजर 'एनजीसी 6902ए' के दक्षिण-पश्चिम के बाहरी क्षेत्र में उसकी रंगीन तस्वीर में बिखरे हुए नीले उत्सर्जन पर पड़ी। यह उत्सर्जन नए-नए बने सितारों से हो रहा है, जो कि इस आकाशगंगा का सबसे विशाल और बहुत ही कम समय तक जीवित रहने वाला तारा है। इसी से प्रेरित होकर शोधकर्ताओं ने उसमें ज्यादा दिलचस्पी ली।

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ब्रह्मांड का रहस्य जानने में मदद मिलेगी

ब्रह्मांड का रहस्य जानने में मदद मिलेगी

शोधकर्ताओं के मुताबिक ब्रह्मांड के द्रव्यमान के 15% तक ऐसी धुंधली आकाशगंगाएं हो सकती हैं। जर्नल एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स में छपी रिसर्च के आधार पर नई आकाशगंगा को यूवीआईटी जे2022 का नाम दिया गया है। इस खोज ने यह भी संभावनाएं जगा दी हैं कि विशाल आकाशगंगाओं से जुड़ी हुई ऐसी अनेकों धुंधली आकाशगंगाएं हो सकती हैं, जो कि उनकी चमक की वजह से आसानी से नहीं दिखाई देतीं और भविष्य में उनकी पहचान भी की जा सकती है। (पहली तस्वीर सौजन्य: पीआईबी, बाकी प्रतीकात्मक)

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English summary
Indian astronomers have discovered a very faint galaxy in the universe, which is being called ghostly because of its appearance
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