नक्शा विवाद के बाद नेपाल के हर घटनाक्रम पर है भारत की नजर
नई दिल्ली। नेपाल की ओर से जारी एक नक्शे में भारत के कुछ क्षेत्रों को अपना बताने के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव है। नक्शे को नक्शे के संवैधानिक संशोधन को लेकर बुधवार को नेपाल की संसद में प्रस्ताव भी आना था, जिसे टाल दिया गया। इस सब के बीच भारत सरकार नेपाल के घटनाक्रम को लगातार देख रही है।
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सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि बॉर्डर के मुद्दे संवेदनशील हैं और इनमें हल निकालने के लिए विश्वास और विश्वास की आवश्यकता होती है। सरकार की ओर से कहा गया है कि हम नेपाल में इस मामले पर एक बड़ी बहस चल रही है। यह इस मुद्दे की गंभीरता को दिखाता है। यह नेपाल और भारत के बीच संबंधों से जुड़े मूल्य को भी प्रदर्शित करता है। हम स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।
नेपाल सरकार ने हाल ही में भारतीय क्षेत्र कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को अपना क्षेत्र बताते हुए नया नक्शा जारी किया था। नेपाल कैबिनेट की बैठक में यह भूमि संसाधन मंत्रालय ने नेपाल का यह संशोधित नक्शा जारी किया था। उसी नए नक्शे के अनुसार सांसदों और प्रतीक चिन्ह का लोगो संशोधित किया गया। नेपाल की ओली सरकार ने बुधवार को इसके लिए संविधान में संशोधन विधायक पेश करने की बात कही थी। संविधान संशोधन प्रस्ताव को स्पीकर अग्नि प्रसाद सपकोटा ने सदन में रखने की मंजूरी भी दे दी थी। नेपाल के कानून मंत्री इसे संसद में पेश करने वाले थे। हालांकि बुधवार को इसे सदन के अजेंडे से ही बाहर कर दिया गया। संवैधानिक तौर पर इस नए नक्शे को मान्यता मिलने पर ही इसे वैध माना जाता है।
बता दें कि हाल ही में भारत ने लिपुलेख के रास्ते मानसरोवर के लिए एक लिंक रोड का निर्माण किया था जिसके बाद से भारत और नेपाल के रिश्ते ठीक नहीं चल रहे हैं। नेपाल की ओर से कई ऐसे बयान आए हैं, जिनमेंएक तरह से धमकाने वाली भाषा का इस्तेमाल किया गया है। नेपाल के रक्षा मंत्री ईश्वर पोखरेल ने हाल ही में इंडियन आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवाणे के बयान पर जवाब देते हुए कहा कि उनकी सेना लड़ना भी जानती है।
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