भारत ने मलेशिया को दिया 18 तेजस जेट खरीदने का ऑफर, अमेरिका समेत 6 देशों ने दिखाई दिलचस्पी
नई दिल्ली, 05 अगस्त: भारत ने मलेशिया को 18 हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) "तेजस" बेचने की पेशकश की है। रॉयटर्स की रिपोर्ट्स के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, मिस्र, अमेरिका, इंडोनेशिया और फिलीपींस भी सिंगल इंजन वाले जेट में रुचि दिखा रहे हैं। सिंगल इंजन वाले इस लड़ाकू विमान के एचएएल ने विकसिक किया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक,भारत सरकार ने भारतीय वायु सेना के लिए पिछले साल फरवरी में हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड(एचएएल) को 83 तेजस हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) बनाने का कांट्रेक्ट दिया था। इस कांट्रेक्ट की कुल लागत 6 अरब डॉलर यानि 48,000 करोड़ रुपये थी। इन विमानों की 2023 से डिलीवरी शुरू होगी।
रक्षा मंत्रालय ने संसद को बातया कि हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स ने पिछले वर्ष अक्टूबर में रॉयल मलेशिया एयरफार्स के 18 जेट विमानों के प्रस्ताव का जवाब दिया था जिसमें दो सीटों वाले वेरिएंट को बेचने की पेशकश की गई थी। रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने संसद में एक लिखित सवाल के जवाब में बताया, भारत के तेजस एयरक्राफ्ट में रुचि प्रदर्शित करने वालें अन्य देशों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, मिस्र, अमेरिका, इंडोनेशिया और फिलीपींस शामिल हैं।
रिपोर्ट्स की मानें तो एलसीए तेजस की डील में भारत मलेशिया को मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉल का ऑफर भी दे रहा है। इसके तहत भारत मलेशिया में ही एक फैसिलिटी बनाएगा। जिसमें भारतीय इंजीनियर तेजस समेत रूसी सुखोई Su-30 फाइटर जेट की मरम्मत का काम देखेंगे। मलेशिया अभी रूस से मदद नहीं ले सकता है क्योंकि यूक्रेन-रूस युद्ध की वजह से रूस पर अंतरराष्ट्रीय डील करने पर प्रतिबंध लगा रखा है।
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उन्होंने बताया कि देश एक स्टेल्थ फाइटर जेट निर्माण पर भी काम कर रहा है लेकिन उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं के मद्देनजर इसकी समयसीमा देने से इनकार कर दिया था। ब्रिटेन ने इसी वर्ष अप्रैल में कहा था कि वह अपना फाइटर जेट बनाने के भारत के लक्ष्य का समर्थन करेगा।
भारत और मलेशिया के बीच इस फाइटर जेट के सौदे को लेकर बातचीत का दौर जारी है। भारत ने मलेशिया को 18 हल्के-लड़ाकू विमान (एलसीए) 'तेजस' बेचने की पेशकश की है। मेरिका सहित छह अन्य देशों ने भी तेजस में अपनी दिलचस्पी दिखाई है। कई देशों के इस विमान की क्षमता और कम कीमत ने आकर्षित किया है। जिसके चलते कई देश इस भारत निर्मित विमान को खरीदने में इच्छुक हैं।
भारत सरकार,विदेशी रक्षा उपकरणों पर देश की निर्भरता कम करना चाहती है, इसके साथ ही वह जेट विमानों के लिए निर्यात के लिए भी प्रयासरत है। डिजाइन और अन्य चुनौतियों के चलते तेजस का 'सफर' आसान नहीं रहा है और अधिक भारी होने का हवाला देते हुए भारतीय नौसेना ने भी एक बार इसे खारिज कर दिया था।