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एक और बिजली संकट की ओर बढ़ रहा है देश, CREA ने इन महीनों के लिए की भविष्यवाणी

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नई दिल्ली, 29 मई: हाल ही में देश के कई इलाके भयानक बिजली संकट झेल चुके हैं। लेकिन, एक रिपोर्ट आई है जिससे लगता है कि यह समस्या भले ही थोड़े दिनों के लिए टली है और आने वाले समय में एकबार फिर इसकी किल्लत का सामना करना पड़ सकता है। इसकी वजह ये है कि अभी तक थर्मल पावर स्टेशनों के पास कोयले का उतना स्टॉक जमा होने की व्यवस्था नहीं हो पाई है, जो बरसात के दिनों और उसके बाद के लिए होना चाहिए। क्योंकि, मानसून में कोयले के उत्पादन पर भी असर पड़ता है और इसकी ढुलाई भी बहुत ज्यादा प्रभावित होती है।

जुलाई-अगस्त में फिर हो आ सकता है बिजली संकट

जुलाई-अगस्त में फिर हो आ सकता है बिजली संकट

एक स्वतंत्र एजेंसी सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) ने जुलाई और अगस्त महीने के लिए फिर से देश में बिजली संकट की भविष्यवाणी की है। इसका आधार देशभर के थर्मल पावर प्लांट में मानसून-पूर्व कोयले का स्टॉक कम रहने के आधार पर है। इस समय देश में कोयला खदानों के नजदीक स्थित पावर स्टेशनों (पिटहेड पावर प्लांट) में 13.5 मिलियन टन का कोयला स्टॉक किया हुआ है जबकि, जबकि देश भर के सभी पावर प्लांट में कुल मिलाकर 20.7 मिलियन टन कोयले का स्टॉक पड़ा हुआ है। देश में पिछले दिनों आई बिजली संकट के मद्देनजर सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) ने 'फेलुअर टू लोड: इंडियाज पावर क्राइसिस इज ए कोल मैनेजमेंट क्राइसिस' के नाम से अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है, 'आधिकारिक स्रोतों से जुटाए गए आंकड़ों से पता चलता है कि कोयले से संचालित पावर प्लांट बिजली की मांग में जरा सा इजाफा भी झेलने की स्थिति में नहीं हैं और कोयले की ढुलाई के लिए समय से काफी पहले योजना बनाने की आवश्यकता है।'

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सीईए ने बिजली की मांग बढ़ने का पहले ही लगाया है अनुमान

सीईए ने बिजली की मांग बढ़ने का पहले ही लगाया है अनुमान

गौरतलब है कि सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सीईए) ने अगस्त में 214 गीगावाट तक बिजली की मांग पहुंचने का अनुमान लगा रखा है। इसके अलावा, ऊर्जा की औसत मांग भी मई के महीने की तुलना में बढ़कर 1,33,426 मिलियन यूनिट तक पहुंच सकती है। इसी वजह से (सीआरईए) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, 'दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत के साथ खनन में बाधा आएगी और खदानों से बिजली प्लांट तक कोयले की ढुलाई में भी दिक्कतें आएंगी..... अगर मानसून से पहले कोयले का स्टॉक पर्याप्त स्तर तक नहीं किया जाता है, तो देश जुलाई-अगस्त 2022 में एक और बिजली संकट की ओर बढ़ सकता है।'

'वितरण और आधिकारिक उदासीनता' रहा कारण-रिपोर्ट

'वितरण और आधिकारिक उदासीनता' रहा कारण-रिपोर्ट

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि देश में हाल में आया बिजली संकट कोयल के उत्पादन की वजह से नहीं, बल्कि 'वितरण और आधिकारिक उदासीनता' की वजह से आया था। रिपोर्ट के मुताबिक, 'आंकड़ों से यह साफ है कि कोयले की ढुलाई और प्रबंधन बिजली क्षेत्र की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए काफी नहीं था। ट्रेंड से पता चलता है कि कोयले के पर्याप्त खनन के बावजूद थर्मल पावर स्टेशनों को पर्याप्त स्टॉक नहीं मिल पाया था।' वित्त वर्ष 2021-22 में भारत में 777.26 मिलियन टन कोयले का उत्पादन हुआ, जो कि इसके पिछल वित्त वर्ष के 716.08 मिलियन टन से 8.54% अधिक था। वैसे यह जानकारी भी आवश्यक है कि 2020-21 में लॉकडाउन की वजह से भी कोयले का उत्पादन कम रहा था।

मई 2020 से ही कोयले के स्टॉक की समस्या शुरू- रिपोर्ट

मई 2020 से ही कोयले के स्टॉक की समस्या शुरू- रिपोर्ट

सीआरईए के एक एनालिस्ट सुनील दहिया ने कहा है, वित्त वर्ष 21-22 में देश की कुल खनन क्षमता 1,500 मीट्रिक टन से अधिक की थी। लेकिन कुल उत्पादन 777.26 मीट्रिक टन ही रहा, जो कि क्षमता का लगभग आधा था। इसलिए, अगर वास्तव में कोयले की किल्लत होती तो कोयला कंपनियां आसानी से अपना उत्पादन बढ़ा सकती थीं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 'मौजूदा परिस्थितियां कोई हाल में नहीं शुरू हुई हैं, मई 2020 से ही बीच के कुछ महीनों को छोड़कर पावर स्टेशनों के पास कोयले का स्टॉक घटने लगी हैं।'

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मानसून से पहले स्टॉक बढ़ाना जरूरी-रिपोर्ट

मानसून से पहले स्टॉक बढ़ाना जरूरी-रिपोर्ट

रिपोर्ट में बताया गया है कि 'पिछले साल जो बिजली संकट आया था, उसका प्राथमिक कारण पावर प्लांट ऑपरेटरों की ओर से दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत से पहले पर्याप्त मात्रा में कोयले का स्टॉक करने के लिए कार्रवाई नहीं करना था। यह समय बहुत ही महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि मानसून में कोयले के खदानों में पानी भर जाता है, जिससे उसके उत्पादन और पावर स्टेशनों तक ढुलाई में बाधाएं खड़ी होती हैं।'

English summary
Power crisis may start again in the month of July and August in India, predicted by Center for Research on Energy and Clean Air regarding coal stock
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