India-China tension: गलवान घाटी में PP-14 तक दोनों सेनाएं कर रही हैं पेट्रोलिंग
नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में सोमवार को भारतीय सेना और चीनी सैनिकों बीच हुई हिंसा के बाद भारत के सामने अब सबसे बड़ा चैलेंज यह है कि, गलवान घाटी की में पहले जैसा माहौल वापस लौटाया जाए। बता दें कि, दोनों पक्षों ने घाटी के दोनों ओर भारी संख्या में शिविर बना रखे हैं। भारतीय बेस श्योक नदी से दूर है, जबकि चीनी कैंप घाटी के मुहाने के करीब है।
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इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक दोनों ही देशों की पेट्रोलिंग पार्टियां पेट्रोलिंग पॉइंट 14 तक पेंट्रोलिंग कर रही है। दोनों पक्षों में क्लैश के बाद भारतीय़ प्रशासन चाह रहा है कि, चीन अपनी चौकिंयों में वापस लौट जाए और अप्रैल जैसी स्थिति अस्तित्व में लौट आए। हालाँकि, ताजा चीनी दावा राजनीतिक रूप से जटिल हो गया है। एलएसी के कई अन्य क्षेत्रों के विपरीत, गलवान घाटी कभी भी विवादित नहीं रही है। भले ही 1960 में चीन ने घाटी के कुछ हिस्सों पर दावा किया था।
रिपोर्ट के मुताबिक, 1962 में चीन ने जिन पोस्टों पर कब्जा किया था, कुछ समय बाद उन इलाकों से वापस लौट गई थी। चीन ने गलवान के कुछ प्रमुख इलाकों को भी कब्जे ले लिया था, हालांकि बाद में उन्हें खाली कर दिया था। लेकिन हाल ही में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की पश्चिमी थियेटर कमान के प्रवक्ता कर्नल झांग शुइली ने कहा था, चीन की हमेशा से गलवान घाटी पर संप्रभुता रही है। झांग ने दावा किया, भारतीय सैनिकों ने अपने वादे तोड़े और सोमवार को एक बार फिर गलवान घाटी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा को पार किया और जानबूझकर उकसाने वाले हमले किए, जिससे गंभीर संघर्ष हुआ और सैनिक हताहत हुए।
रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे परेशान करने वाली बात यह है कि, चीनी सेना गलवान और श्योक नदी के मुहाने पर निर्माण कार्य करने की कोशिश कर रही है। अगर इतिहास उठाकर देखें तो चीन के लिए गलवान हमेशा सैन्य रूप से महत्वपूर्ण रहा है। जिसका उद्देश्य एलएसी के उस क्षेत्र में अपना प्रभुत्व सुनिश्चित करना है। वहीं भारत गलवान घाटी में श्योक नदी के किनारे-किनारे भारत एक सड़क बना रहा है। इस सड़क पर काम बीते कई सालों से चल रहा है। चीन बीच-बीच में इसका विरोध करता रहा है, पर इसे लेकर आक्रामक नहीं रहा है।
यह सड़क दौलत बेग ओल्डी तक जाती है। दौलत बेग ओल्डी वह जगह है जहां भारत अपना हवाई बेस बना सकता है। वहां हवाई बेस बन जाने से भारत के लिए पूरे इलाक़े का हवाई सर्वेक्षण करना, निगरानी रखना आसान हो जाएगा। फिलहाल उस सड़क की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि चीनी सैनिक वहां से थोड़ी दूरी पर ही हैं और वे वहां से उस पर नजर रख सकते हैं।
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