क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

India China Trade:तवांग के बाद चीन से व्यापारिक रिश्ते तोड़ने की मांग कितना सही है ? अर्थशास्त्री से जानिए

भारत और चीन के बीच व्यापारिक रिश्ते को खत्म करना अभी भारत के हित में नहीं है। नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष के मुताबिक अभी भारत के सामने दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने का मौका है।

Google Oneindia News

india-china-trade-demand-to-break-trade-ties-after-tawang-is-not-proper-economists

चीन की सेना ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग में जो हरकत की थी, उसके बाद कुछ राजनीतिक दलों ने भी उसके साथ व्यापारिक संबंधों को खत्म करने की वकालत की है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। हर बार जब चीन अपनी चालबाजी दिखाता है तो भारतीयों की आहत भावनाओं को भुनाने के लिए इस तरह की राजनीतिक मांगें सुनाई पड़नी स्वाभाविक है। लेकिन, सवाल है कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए ऐसा करना कितनी समझदारी का काम है ? नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने इसी विषय पर विस्तार से बात की है।

Recommended Video

Boycott China: इस साल 58% भारतीयों ने चीनी उत्पादों का किया बहिष्कार | वनइंडिया हिंदी *News

'आर्थिक विकास का बलिदान देने जैसा'

'आर्थिक विकास का बलिदान देने जैसा'

अरुणाचल प्रदेश के तवांग सीमा पर घुसपैठ की कोशिश के बाद चीन के साथ व्यापारिक रिश्ते तोड़ने की मांग की जा रही है। लेकिन,जाने-माने अर्थशास्त्री और नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया के मुताबिक इस मोड़ पर ऐसा करना भारत के संभावित आर्थिक विकास का बलिदान देने जैसा होगा। उनका कहना है कि इसकी जगह भारत को यूनाइटेड किंगडम और यूरोपियन यूनियन के देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) में शामिल होने की कोशिश करनी चाहिए।

व्यापारिक प्रतिबंध लगाना नासमझी होगी- नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष

व्यापारिक प्रतिबंध लगाना नासमझी होगी- नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक पनगढ़िया ने कहा है, 'इस मोड़ पर चीन के साथ व्यापार युद्ध में शामिल होने का मतलब है, आर्थिक आधार पर हमारे संभावित विकास का बलिदान कर देना,इसके (सीमा पर घुसपैठ) जवाब में कोई कार्रवाई करना नासमझी होगी। ' 9 दिसंबर को चीनी सैनिकों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति को एकतरफा बदलने की कोशिश की थी, इस दौरान उन्हें वापस उनके पोजिशन की ओर धकेलने में दोनों ओर के जवानों में हल्की झड़प हुई थी, जिसमें कुछ जवानों को मामूल चोटें आई थीं।

'प्रतिबंध का विपरीत असर ज्यादा पड़ सकता है'

'प्रतिबंध का विपरीत असर ज्यादा पड़ सकता है'

पनगढ़िया इस समय कोलंबिया यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं। उनका कहना है कि दोनो देश व्यापारिक प्रतिबंधों का खेल, खेल सकते हैं, लेकिन 17 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर वाली विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (चीन) के मुकाबले 3 ट्रिलियन डॉलर वाली दुनिया की पांचवीं अर्थव्यस्था (भारत) पर उसका विपरीत प्रभाव कहीं ज्यादा पड़ सकता है। उनके मुताबिक, 'अब कुछ लोग चीन पर व्यापारिक प्रतिबंध चाहते हैं, ताकि सीमा पर उल्लंघन को लेकर उसे सजा दी जा सके..... वह चुपचाप नहीं बैठेगा, जो कि शक्तिशाली अमेरिका को जवाब के तौर पर उसके पाबंदियों से भी स्पष्ट है।' अर्थशास्त्री ने इस तथ्य की ओर इशारा किया है कि अमेरिका जितनी विशाल अर्थव्यवस्था भी चीन या रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाकर ज्यादा कामयाब नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा, 'उसका करीबी सहयोगी, यूरोपियन यूनियन को रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की बड़ी कीमत चुकानी पड़ी थी। इसलिए यह बहुत ही कमजोर कड़ी है। '

'चिंता का कोई कारण नहीं'

'चिंता का कोई कारण नहीं'

चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा (आयात और निर्यात में अंतर) अप्रैल-अक्टूबर के बीच बढ़कर 51.5 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुका है। इस अवधि में चीन से 60.27 बिलियन डॉलर का आयात हुआ, जबकि 8.77 बिलियन डॉलर का निर्यात किया गया। पनगढ़िया ने कहा है कि चीन से भारत जो चीजें आयात करता है, उसमें से कई का वह सबसे सस्ता सप्लायर है। यही नहीं, भारत जो चीजें उसे निर्यात करता है, उसकी वह अच्छी कीमत नहीं दे पाता है। पनगढ़िया कहते हैं, 'इसलिए हम उन्हें कुछ और साझेदारों जैसे कि अमेरिका को बेचते हैं। तथ्य यह कि इसके परिणामस्वरूप चीन के साथ ट्रेड डेफिसिट है और अमेरिका के साथ ट्रेड सरप्लस है, इसलिए चिंता का कोई कारण नहीं होना चाहिए। '

इसे भी पढ़ें- Chinese Economy: कोरोना के चलते खतरे में चीन अर्थव्यवस्था, उद्योग पर भरोसा 8 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंचाइसे भी पढ़ें- Chinese Economy: कोरोना के चलते खतरे में चीन अर्थव्यवस्था, उद्योग पर भरोसा 8 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा

'तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने पर फोकस करे भारत'

'तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने पर फोकस करे भारत'

जहां तक चीन के साथ व्यापार घाटे को कम करने का सवाल है, तो उनका सुझाव है कि बाकी व्यापारिक सहयोगियों के साथ व्यापार को बढ़ाने पर फोकस करना चाहिए, ना कि प्रतंबिधों का सहारा लेकर चीन के साथ व्यापारिक प्रतिबंधों का इस्तेमाल किया जाए। उनके मुताबिक, 'हमें अगले दशक के लिए भारत की बेहतरीन विकास संभावनाओं का फायदा उठाना चाहिए और जितनी जल्दी हो सके अर्थव्यवस्था को बड़ा करने पर फोकस करना चाहिए। एक बार जब हम तीसरी बड़ी अर्थव्यस्था बन जाएंगे, हमारे प्रतिबंधों के खतरे की विश्वसनीयता भी बड़ी हो सकती है।'(तस्वीरें सांकेतिक)

Comments
English summary
Arvind Panagariya, former vice-chairman of NITI Aayog, has called the demand to end trade relations with China as mindless. According to him it will harm India more
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X