India-China tension: अब क्या करेगा चीन, गलवान नदी पर सेना के इंजीनियर्स ने बना डाला है पुल
नई
दिल्ली।
इंडियन
आर्मी
इंजीनियरों
ने
उस
60
मीटर
लंबे
पुल
को
पूरा
कर
लिया
है
जो
पूर्वी
लद्दाख
में
गलवान
नदी
पर
बन
रहा
था।
इस
पुल
को
लेकर
ही
चीन
खासा
परेशान
था
और
उसने
इसक
निर्माण
कार्य
रोकने
की
भी
कोशिशें
की
थीं।
इंग्लिश
डेली
हिन्दुस्तान
टाइम्स
ने
अधिकारियों
के
हवाले
से
इस
बात
की
जानकारी
दी
गई
है।
इस
पुल
के
पूरा
हो
जाने
से
सेना
को
नदी
के
दूसरी
तरफ
जाने
में
बड़ी
मदद
मिलेगी।
Recommended Video
यह भी पढ़ें-सैनिकों को पकड़े जाने पर चीन की सरकार का बड़ा बयान
255 किलोमीटर लंबी सड़क अब रहेगी सुरक्षित
टॉप ऑफिसर्स के मुताबिक साथ ही पुल के बन जाने से सेना अब 255 किलोमीटर लंबी रणनीतिक रोड जो दारबुक से दौलत बेग ओल्डी तक जाती है, उसकी सुरक्षा भी हो सकेगी। दौलत बेग ओल्डी में भारत की आखिरी पोस्ट है और यह काराकोराम पास के दक्षिण में पड़ती है। इस पुल को सेना के फॉर्मेशन इंजीनियरों ने तैयार किया है और इंजीनियरों ने चीन की परवाह न करते हुए इस पुल का काम पूरा किया है। चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के जवानों ने इस पुल के निर्माण कार्य में खासी बाधा डाली थी। उन्होंने पूरी कोशिश की इंडियन आर्मी इस प्रोजेक्ट को छोड़ दे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और सेना ने इस पुल निर्माण कार्य पूरा करने का जो प्रण लिया था, उसे पूरा करके दिखाया।
60 मीटर लंबा है पुल
सेना के इंजीनियर्स ने जिस पुल का काम पूरा किया है वह 60 मीटर लंबा है। इस पुल के बन जाने से पूर्वी लद्दाख के संवेदनशल इलाकों तक सेना की पहुंच आसयान हो जाएगी। इस पुल के निर्माण कार्य से चीन सबसे ज्यादा चिढ़ा हुआ था। बताया जा रहा है कि लद्दाख में एलएसी पर जारी टकराव में इस पुल का बड़ा रोल है। आपको बता दें कि पीएलए के वेस्टर्न थियेटर कमांड की तरफ से गलवान घाटी पर दावा जताया गया है और भारत की तरफ से इसे खारिज कर दिया गया है। वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने बताया कि गुरुवार को पुल का निर्माण कार्य पूरा हुआ है। यह इस बात का इशारा है कि आर्मी इंजीनियर्स की तरफ से बॉर्डर पर इंफ्रास्ट्रक्चर के काम को तेजी से अंजाम दिया जा रहा है।
बिना डरे सेना के इंजीनियर कर रहे हैं काम
पीएलए के विरोध के बाद भी बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) के साथ मिलकर इंजीनियर्स अपने काम को बिना डरे पूरा कर रहे हैं। चार पाटों में बंटा यह पुल श्योक-गलवान नदी की पूर्वी दिशा से तीन किलोमीटर दूर है। साथ ही पेट्रोलिंग प्वाइंट (पीपी) 14 इससे दो किलोमीटर दूर पूर्व में है। इसी पेट्रोलिंग प्वाइंट पर इस समय दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं। पीपी 14 पर ही 15 जून को भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसा हुई थी। यह जगह वाई जंक्शन के एकदम करीब है जहां पर मुख्य नदी मिलती है। दोनों नदियां जहां मिलती हैं वहां पर सेना का बेस कैंप है जिसे 120 किलोमीटर कैंप कहा जाता है। यह कैंप डीएसडीबीओ रोड के एकदम बगल में है।
15 जून की हिंसा के बाद भी नहीं रुका काम
एक सीनियर ऑफिसर की तरफ से बताया गया कि टकराव के बाद भी पुल का निर्माण कार्य नहीं रोका गया था और 15 जून को हिंसक टकराव के बीच भी निर्माण कार्य जारी था। चीन की तरफ से गलवान घाटी पर अपना दावा जताया गया है। माना जा रहा है कि वह श्योक नदी पर भारत के दावे को कम करने की कोशिशें कर रहा है। अगर श्योक नदी पर भारत का दावा खत्म हुआ तो फिर चीनी जवान डीएसडीबीओ रोड तक आ जाएंगे और दौलत बेग ओल्डी को मुख्य सड़क से पूरा काट देंगे। अगर ऐसा होता है तो फिर वह मुरगो के रास्ते पाकिस्तान तक जा सकते हैं। मुरगो दौलत बेग ओल्डी से पहले आखिरी भारतीय गांव है।