India-China clash:गलवान घाटी में सोमवार की रात असल में हुआ क्या था ?
नई दिल्ली- पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में सोमवार की रात चीन ने एकबार फिर से भारतीयों की पीठ में खंजर घोंपा है। एलएसी पर तनाव को लेकर दोनों देशों के लेफ्टिनेंट जनरल स्तर पर बातचीत हो चुकी थी। चीन इस बात पर राजी हो गया था कि उसके सैनिक वापस अपने क्षेत्र में लौट जाएंगे। लेकिन, उसने दिखावे के लिए तो इसकी कोशिश की, लेकिन धोखा देना तो उसकी फितरत में शामिल है। उसके सैनिक वापस भारतीय क्षेत्र में घुस आए। यहीं से दोनों देशों के जवानों के बीच फिर से संघर्ष शुरू हुआ, जो आखिरकार कई जवानों के लिए जानलेवा साबित हुआ। भारत की ओर से एक कर्नल समेत 20 जवान शहीद हो गए तो चीनी सैनिकों की भी बहुत ज्यादा संख्या में हताहत होने की खबरें हैं। जब चीन की सत्ताधारी चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी की मुखौटा मीडिया ने इस बात को कबूल लिया है कि उसके जवान मारे गए हैं तो अंदाजा लग सकता है कि गलवान घाटी में उस रात क्या हुआ होगा?
चीनी सेना ने बातचीत का किया सिर्फ दिखावा
6 जून को पूर्वी लद्दाख में महीने भर पुरानी भारत-चीन के बीच जारी गतिरोध को दूर करने के लिए जो दोनों देशों में लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बातचीत हुई, उसके बाद चीनी सेना सिर्फ दिखावे भर के लिए पीछे हटी। अगले हफ्ते चीनी फिर से वापस आ गई और उसने भारतीय हिस्से में कैंप खड़ा कर लिया। जबकि, तय ये हुआ था कि चीन की सेना अपने इलाके की ओर पीछे हट जाएगी। इसके बाद दोनों देशों में 16 जून को मेजर जनरल स्तर पर बातचीत होनी थी। लेकिन, भारतीय सैनिकों से तय होने के बाद चीनियों की वापस आने वाली गुस्ताखी बर्दाश्त नहीं हुई और उन्होंने भारतीय सीमा में बने उनके कैंप उखाड़ फेंके। इस घटना के बाद दोनों ओर के सैनिकों में भिड़ंत हो गई और दोनों ही ओर के जवान जख्मी हुए। चीनी सेना पहले तो मार खाकर लौट गई लेकिन, 13 जून के आसपास भारी तादाद में वापस लौट आई। जानकारी के मुताबिक, 14 जून को भी कुछ पत्थरबाजी की घटनाएं हुईं। वहां तनाव की स्थिति बनी रही।
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सोमवार की रात असल में हुआ क्या था ?
15 जून यानि सोमवार की शाम गलवान नदी के पास दोनों देशों के सैनिकों के बीच फिर से झड़प शुरू हो गई। ये टकराव तेजी से बढ़ने लगा और सूत्रों के मुताबिक मारपीट के दौरान कई भारतीय सैनिक नदी में गिर गए। जब पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी के जवान फिर भी पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हुए तो बिहार रेजिमेंट के कर्नल संतोष बाबू की अगुवाई में बिना हथियारों वाली एक पेट्रोल टीम चीनी सेना के अफसरों से बात करके मामले को सुलझाने के लिए निकली। लेकिन, चीनी पीछे हटने के लिए तो राजी नहीं ही हुए, उल्टे उन्होंने हालात को जानबूझकर बिगाड़ना शुरू कर दिया। उन्होंने सिर्फ बातचीत करने गए भारतीय सेना के प्रतिनिधियों (जिसके सीओ संतोष बाबू थे) पर बड़े-बड़े पत्थरों, कंटीले तारों में लपेटे गए पत्थरों और कीलों से लैस डंडों से हमला बोल दिया। भारत की ओर से भी इस हमले का माकूल जवाब दिया गया।
चीनी सैनिकों को भी हुआ काफी नुकसान
चीनी सेना की ओर से अचानक हुए इस हमले में भारतीय सेना के कमांडिंग ऑफिसर गंभीर रूप से जख्मी हो गए। भारतीय सेना अपने सीओ और एक जख्मी हवलदार को वापस ले आई। कुछ जवान जख्मी हालत में वहीं पर थे, जिन्हें चीनियों ने फौरन कब्जे में ले लिया। करीब 40 मिनट बाद सेना की वही यूनिट जिसकी कमान एक मेजर के हाथ में थी, वापस उसी इलाके में पहुंची और चीनी सैनिकों पर धावा बोल दिया। भारतीय सेना ने जवाबी कार्रवाई में चाइनीज पोस्ट पर पूरी ताकत से हमला किया, जिसमें चीनी सेना के करीब 55-56 जवानों के उस वक्त जख्मी होने की खबरें हैं। ज्यादातर भारतीय जवान भी इसी वक्त पर हताहत हुए। सूत्रों के मुताबिक चीन की ओर भी कई जवानों की मौत हुई है, लेकिन उसकी ओर से संख्या की पुष्टि करने की संभावना नहीं है। वैसे एएनआई ने 43 चीनियों के मारे जाने की कही है और उसके एक कमांडिंग ऑफिसर के सफाए की भी बात अबतक सामने आई है।
तीन घंटे से ज्यादा देर तक चला खूनी संघर्ष
हाथापाई और मारपीट देर रात तक चलती रही। हमले के लिए जिस तरह से पत्थरों और लोहे की कील लगे डंडों का इस्तेमाल किया गया, उससे जख्म बहुत ही गहरे हो गए। यह खूनी संघर्ष तीन घंटे से ज्यादा देर तक चलता रहा। आधी रात के बाद ही लड़ाई बंद हुई। कई जवानों के शव तो नदी से खींचकर निकाला गया। यही वजह है कि शुरू में एक कर्नल और दो जवानों की शहादत की खबर आई थी, लेकिन जानकारी के मुताबिक बाद में 17 घायल जवान भी शहीद हो गए।
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