भारत-चीन सीमा पर तनाव: कैलाश पर्वत पर भारतीय सेना के क़ब्ज़े का सच – फ़ैक्ट चेक
भारत-चीन तनाव के बीच सोशल मीडिया पर लगातार ये दावा किया जा रहा है कि कैलाश पर्वत पर भारतीय सेना क़ब्ज़ा कर चुकी है.
लद्दाख़ में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन के बीच तनाव लगातार जारी है.
इसी क्रम में रोज़ाना लद्दाख़ की अलग-अलग जगहों को लेकर ख़बरें सामने आती हैं.
सोशल मीडिया पर बीते एक सप्ताह से यह दावा किया जा रहा है कि भारतीय सेना ने कैलाश पर्वत और मानसरोवर पर क़ब्ज़ा कर लिया है.
इस बात को रोज़ाना सोशल मीडिया पर फैलाया जा रहा है.
इस ख़बर के साथ एक तस्वीर भी काफ़ी शेयर हो रही है जिसमें कहा जा रहा है कि भारतीय जवान कैलाश पर्वत पर तिरंगा फहरा रहे हैं.
दावा किया गया कि ये कैलाश पर्वत को भारत में मिलाने के बाद की तस्वीरें हैं.
इसी तस्वीर को मेजर जनरल जीडी बख़्शी (रिटायर्ड) के ट्विटर अकाउंट से भी ट्वीट किया गया है लेकिन इसमें यह लिखा था कि भारतीय सेना कैलाश पर्वत को लेने की ओर बढ़ रही है. इस ट्वीट को 3 हज़ार से अधिक बार री-ट्वीट किया गया था.
कैलाश पर्वत पर क़ब्ज़े की यह ख़बर यहीं नहीं रुकी.
इसके बाद सोशल मीडिया पर एक निजी टीवी चैनल की ख़बर का स्क्रीनशॉट लेकर कई यूज़र्स ने ट्वीट किया कि भारतीय सेना ने कैलाश पर्वत श्रृंखला पर क़ब्ज़ा कर लिया है.
क्या है सच्चाई
सबसे पहले बात करते हैं उस तस्वीर की जिसमें जवान तिरंगा लहरा रहे हैं और पीछे कैलाश पर्वत दिख रहा है.
गूगल रिवर्स इमेज के ज़रिए जब हमने इस तस्वीर को सर्च किया तो इन जवानों की झंडा लहराते हुए तस्वीर हमें कई जगहों पर मिली लेकिन उसमें बैकग्राउंड कैलाश पर्वत नहीं था.
इंडिया टुडे की वेबसाइट पर 26 जनवरी 2020 की एक पिक्चर गैलरी में इस तस्वीर को इस्तेमाल किया गया था और इसमें बताया गया था कि 71वें गणतंत्र दिवस पर जम्मू और कश्मीर में LOC पर बच्चों और जवानों ने कैसे इस राष्ट्रीय पर्व को मनाया.
रिवर्स इमेज सर्च के दौरान ही एक फ़ेसबुक पेज पर उन्हीं 9 जवानों की तस्वीर मिली जिसमें पांचवें जवान ने तिरंगा ले रखा है और इस तस्वीर को 17 जून को शेयर किया गया था.
येंडेक्स सर्च पोर्टल के ज़रिए जब हमने रिवर्स इमेज सर्च किया तो इसी तस्वीर को 17 अगस्त 2020 को एक यूट्यूब वीडियो में इस्तेमाल किया गया था.
कैलाश पर्वत पर कथित जवानों के झंडा फहराने की तस्वीर और इन तस्वीरों को देखा जाए तो इसमें बैकग्राउंड छोड़कर सबकुछ एक जैसा है. इससे साफ़ ज़ाहिर होता है कि जवानों की तस्वीर में छेड़छाड़ की गई है और बैकग्राउंड में कैलाश पर्वत लगा दिया गया है.
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अब आते हैं दूसरी बात पर सोशल मीडिया पर एक निजी टीवी चैनल की ख़बर के हवाले से कहा जा रहा है कि भारत ने कैलाश पर्वत श्रृंखला पर क़ब्ज़ा कर लिया है.
दिल्ली विश्वविद्यालय में भूगोल के एक प्रोफ़ेसर अपना नाम न ज़ाहिर करने की शर्त पर कहते हैं कि भारतीय सीमा के अंदर कैलाश रेंज मौजूद ही नहीं है.
वो कहते हैं, "पश्चिमी तिब्बत के ट्रांस हिमालय में कैलाश पर्वत मौजूद है. कैलाश रेंज में कैलाश पर्वत है जो लद्दाख़ रेंज के ख़त्म होने के बाद शुरू होती है. लद्दाख़ में केवल हायर हिमालय की लद्दाख़ रेंज है जो पश्चिमी तिब्बत में जाकर ख़त्म हो जाती है और वहां से कैलाश रेंज शुरू होती है."
भारतीय सेना अभी कहां पर है?
अप्रैल महीने से लद्दाख़ में LAC पर भारत और चीन के बीच विवाद जारी है. इसी क्रम में लद्दाख़ की गलवान घाटी में 15 जून को भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई जिसमें 20 भारतीय जवान मारे गए.
हालांकि, इस घटना में कितने चीनी सैनिकों की मौत हुई यह अभी तक साफ़ नहीं है लेकिन चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स ने माना है कि 15 जून को चीन को नुक़सान हुआ था.
इसके बाद 29-30 अगस्त की रात दोनों देशों के बीच सीमा पर तनातनी की ख़बरें आईं लेकिन इस पर दोनों ही देश कहते हैं कि उकसावे वाली कार्रवाई दूसरे देश ने की थी.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को लोकसभा में कहा था कि चीन ने एलएसी यानी वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास और उसके भीतरी इलाक़ों में बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती की है और भारी मात्रा में गोला बारूद भी जमा किए हुए है.
वहीं, गुरुवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में भी सीमा तनाव को लेकर बयान दिया. उन्होंने बयान में कहा कि इसमें कोई शक़ नहीं है कि भारत लद्दाख़ में एक चुनौती से जूझ रहा है लेकिन देश उस चुनौती का सामना करेगा.
लोकसभा और राज्यसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीमा क्षेत्र में किसी बदलाव के बारे में कोई भी टिप्पणी नहीं की थी जिससे साफ़ हो जाता है कि भारत ने किसी जगह पर क़ब्ज़ा नहीं किया है.
बीबीसी हिंदी की फ़ैक्ट चेक की पड़ताल में हमने पाया है कि कैलाश पर्वत की बताई जा रही तस्वीरें पूरी तरह फ़र्ज़ी हैं और भारतीय सैनिकों ने कैलाश पर्वत पर कोई क़ब्ज़ा नहीं किया है.