आजीवन सत्ता पाने के बाद शी जिनपिंग करेंगे चीन की इंडिया पॉलिसी में बड़ा बदलाव, जानें क्या है भारत की चुनौती
नई दिल्ली। चीन में रविवार 11 मार्च 2018 को बड़ा संवैधानिक संशोधन किया। यहां की संसद ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के लिए दो कार्यकाल की निर्धारित सीमा को समाप्त कर दिया। सीधे शब्दों में कहें तो शी जिनपिंग अब जब तक चाहें तब तक राष्ट्रपति बने रह सकते हैं। चीन में जो हुआ सो हुआ, यह उनका अंदरूनी मसला है, लेकिन शी जिनपिंग के हाथ आजीवन सत्ता आने से भारत पर क्या-क्या असर होंगे? हमारे लिए यह सवाल बेहद अहम है। आखिर क्या है शी जिनपिंग भारत और दुनिया को लेकर पॉलिसी? वह भविष्य में कैसा चीन बनाना चाहते हैं? कहीं ऐसा तो नहीं लंबे समय तक शी जिनपिंग के हाथों में सत्ता चले जाने से भारत की मुसीबत बढ़ जाए? आइए इन्हीं सब सवालों के जवाब तलाशते हैं.....
दोनों देशों के रिश्तों में तनाव
भारत और चीन के बीच 1965 में हुई जंग के बाद से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव रहा है। कभी सीमा विवाद को लेकर तो कभी ब्रह्मपुत्र नदी के पानी को लेकर। लेकिन रिश्तों में तनाव के बावजूद टकराव की स्थिति सबसे ज्यादा शी जिनपिंग के सत्ता संभालने के बाद ही बनी। भारत के पड़ोसी देशों में चीन सबसे ज्यादा 'घुसपैठ' शी जिनपिंग के कार्यकाल में ही की। चाहे नेपाल तक रेल रूट बनाने की बात हो या श्रीलंका और पाकिस्तान में बंदरगाह।
जब डोकलाम में टकराव चल रहा था...
चाइना पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर की बात हो या बांग्लादेश में पैसा की बरसात। यहां तक भूटान को दबाने की चीन लगातार कोशिश करता रहा, जिसके नतीजा डोकलाम के रूप में हम सबने देखा। कुछ महीनों पहले जब डोकलाम में टकराव चल रहा था, तब ब्रह्मपुत्र का पानी अचानक काला हो गया। तिब्बत से निकलने वाली ब्रह्मपुत्र को असम की लाइफलाइन कहा जाता है। भारतीय इंटेलिजेंस एजेंसियों की मानें तो इसके पीछे चीन था। ये सबकुछ एक ही आदमी के इशारे पर हुआ और वो कोई और नहीं बल्कि शी जिनपिंग ही हैं।
आखिर क्या है शी जिनपिंग की पॉलिसी?
पश्चिमी मीडिया में चीन के समाजवाद की बड़ी ही रोचक परिभाषा दी जाती है। 'चाइनीज समाजवाद' मतलब दोहरा चरित्र। दुनिया में ऐसी कम ही पार्टियां हैं, जो द्विअर्थी बातें करने में कम्युनिस्ट पार्टी से बेहतर हो। उदाहरण के तौर पर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी अपने सिद्धांत मार्क्स और लेनिन के बताती है, लेकिन दुनिया में सबसे ज्यादा खुली अर्थव्यवस्था मतलब ओपन ट्रेड चीन में ही है। शी जिनपिंग भी इस दोहरेपन में माहिर हैं। डोकलाम के समय भारत ने उनके इस रूप को करीब से देखा। एक ओर उनके मुखपत्र युद्ध की एक से बढ़कर एक धमकियां दे रहे तो दूसरी ओर चीन सरकार खुद को पीडि़त के तौर पर पेश कर रही थी।
OBOR जैसा प्रोजेक्ट
इतना ही नहीं, हाल में चीन की ओर से बयान आया कि भारत-चीन की दोस्ती हिमालय भी नहीं रोक सकता है। इसी बीच वह डोकलाम में सैन्य ठिकाने भी बना रहा है। शी जिनपिंग ही वो शख्स हैं, जो वन बेल्ट, वन रोड जैसा प्रोजेक्ट ला रहे हैं, जो कि 68 देशों को जोड़ता है। मतलब दुनिया की 40 फीसदी जीडीपी इन्हीं देशों की है। एशिया के हर छोटे देश में चीन बड़े निवेश कर रहा है। चीन लगातार सैन्य आधुनिकरण के साथ समंदर में बेस भी बना रहा है। इतना ही नहीं, शी जिनपिंग के आने के बाद से ही चीन खुलकर अमेरिका को चुनौती भी दे रहा है।
शी जिनपिंग का भारत को लेकर अगला बड़ा दांव क्या है?
चीन ने हाल ही में कहा कि भारत के साथ उसकी दोस्ती हिमालय भी नहीं रोक सकता है। भारत को लेकर यह चीन बीते दो दशकों में सबसे बड़ा दांव है। मतलब चीन की इंडिया पॉलिसी में आमूलचूल बदलाव हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिका और चीन अब खुलकर सामने आ रहे हैं। भारत-अमेरिकी की बढ़ती करीबी चीन को अखर रही है। यही कारण है कि अब वह भारत के साथ छोटे-मोटे मतभेद भुलाना चाहता है, जिससे कि उसका पूरा ध्यान ग्लोबल इकनॉमिक और मिलिट्री पावर बनने पर लगे और भारत के साथ उसकी दुश्मनी का फायदा अमेरिका को न मिले। ऐसे में भारत को बड़ी ही सावधानी के साथ आने वाले कुछ समय तक घटनाक्रमों पर नजर रखनी होगी, जिससे शी जिनपिंग की चालों से निपटा जा सके।